बुधवार, 20 जून 2012

शिखर सम्मेलन में भारत को मिली बड़ी सफलता


शिखर सम्मेलन में भारत को मिली बड़ी सफलता

(टी.विश्वनाथन)

लॉस काबोस (साई)। जी-२० शिखर सम्मेलन की समापन घोषणा में दुनिया की आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिए विकासशील देशों में बुनियादी ढांचागत  सुविधाओं में निवेश को प्राथमिकता देने की भारत की पहल को प्रमुखता से शामिल किया जाना देश के लिए एक बड़ी सफलता है। विश्व अर्थव्यवस्था में कमजोरी और यूरोजोन संकट के कारण विश्व अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार है।
मैक्सिको में लॉस काबोस में सातवें जी-टूवेंटी शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर जारी १४ पृष्ठ की घोषणा में कहा गया है कि गरीबी उन्मूलन तथा समावेशी, सतत और संतुलित विकास जी-२० संगठन के मुख्य लक्ष्य बने रहेंगे। घोषणा में कहा गया है कि विकास के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संगठन विकसित देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस घोषणा में वैश्विक वृद्धि की मजबूती, विश्वास बहाली और रोजगार के अवसर बढ़ाने के जरूरी उपाय करने की वचनबद्धता व्यक्त की गई है। घोषणा में कहा गया है कि यूरोजोन के सदस्य देश क्षेत्र की एकता और स्थिरता बनाये रखने और  वित्तीय बाजारों के कामकाज में सुधार के लिए मिलकर काम करेंगे।
यूरोप के आर्थिक संकट का विस्तार से उल्लेख करते हुए घोषण में कहा गया है कि जी-२० संगठन  उभरती आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये मजबूत आर्थिक नीतियों के जरिए इस संकट के समाधान के लिए काम करेगा। घोषणा में कहा गया है कि सदस्य देश मुक्त व्यापार,  निवेश, बाजारों के विस्तार, और सभी तरह का संरक्षणवाद खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि आर्थिक वृद्धि, रोजगार और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था मजबूत करने के लिये घोषणा में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष में सुधार और कोष की प्रासंगिकता, प्रामाणिकता, प्रभावशीलता बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई हैं। घोषणा में यह भी कहा गया है कि कोटा सुधारों की प्रक्रिया २०१३ तक पूरी कर ली जाएगी।
उधर, प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा है कि लॉस काबोस घोषणा, भारत के इस विचार की पुष्टि करती है कि विकासशील देशों के बुनियादी ढांचे में निवेश से वृद्धि की रफ्घ्तार तेज की जा सकती है तथा इससे वैश्विक मंदी से उबरने में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है।
शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद एक बयान में प्रधानमंत्री ने कहा है कि जी-२० देशों के नेताओं के बीच इस बात पर आम सहमति थी कि सभी देशों की नीति, आर्थिक वृद्धि को मज$बूत करने पर केन्द्रित होनी चाहिए तथा इस समय सबसे बड़ी जरूरत यूरोजोन में अनिश्चितता कम करना है।
डॉक्टर सिंह ने कहा कि वर्तमान स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए संसाधन बढ़ाने की आवश्यकता को देखते हुए जी-२० देशों ने सकारात्मक कार्रवाई की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को भारत की ओर से १० अरब डॉलर के योगदान के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पता चलता है कि विश्व समुदाय में भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभा रहा है।

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