सत्ता और संगठन में
महती भूमिका निभाएंगे राहुल
कौन होगा कांग्रेस और सरकार में नंबर दो
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी जल्द ही सत्ता और संगठन की
बागड़ोर परोक्ष तौर पर अपने हाथों में लेने वाले हैं। सोनिया की बीमारी के बाद से
ही राहुल को कांग्रेस की जवाबदारी संभालने का दबाव बढ़ रहा था। उधर पार्टी और सरकार
में नंबर दो पर मारकाट तेज हो गई है।
कांग्रेस संगठन के
अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो युवराज राहुल
गांधी अभी सोनिया गांधी के बाद नंबर दो पोजीशन पर तो हैं, पर घोषित तौर पर
नहीं। कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जल्द ही राहुल
गांधी को घोषित तौर पर कांग्रेस संगठन की नंबर दो की आसनी सौंपी जा सकती है।
उधर, प्रधानमंत्री
कार्यालय इस बारे में कुछ अलग ही ताना बाना बुनता नजर आ रहा है। पीएमओ के विश्वस्त
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सरकार में प्रधानमंत्री के उपरांत
नंबर दो पर राहुल को लाने की कवायद कांग्रेस द्वारा की जा रही है, जिससे मनमोहन की
कुर्सी पर संकट के बादल साफ दिखाई पड़ने लगे हैं।
सूत्रों ने यह भी
कहा कि शरद पवार को नंबर दो की आसनी ना मिल पाने से वे खिन्न थे। पंवार की खिन्नता
दरअसल, मनमोहन
सिंह के संकट मोचकों की ही उपज थी। अगर पंवार शांत रह जाते तो निर्विवाद तौर पर
राहुल गांधी को नंबर दो का पद मिल जाता। अब सोनिया और पंवार की मुलाकात के उपरांत
हुई कथित सौदेबाजी के बाद राहुल को सरकार में नंबर दो का रूतबा मिलने में संशय ही
जताया जा रहा है।
विशेषज्ञ अब राहुल
की भूमिका के कयास लगाने में जुटे हुए हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि अगर
राहुल गांधी संगठन की जगह सरकार में शामिल होते हैं तो एक संभावना है कि उन्हें उप
प्रधानमंत्री का पद दे दिया जाए। इसके पीछे तर्क यह है कि इससे जहां राहुल को
सरकार चलाने का सीधा अनुभव मिलेगा, वहीं पीएमओ में रहकर वह सरकार व सहयोगी दलों
के साथ संपर्क रख सकते हैं।
अगर राहुल को उप
प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो पार्टी के सामने लोकसभा में नेता सदन का संकट से तो
कांग्रेस निजात पा लेगी पर वरिष्ठ मंत्री जो राहुल के पिता राजीव गांधी के साथ काम
कर चुके हैं, वे राहुल
के नेतृत्व में काम करने में अपने आप को असहज ही पा रहे हैं।
दूसरी ओर कहा जा
रहा है कि जहां तक सरकार में पोर्टफोलियो का सवाल है, सूत्र कहते हैं कि
राहुल गांधी को वैसा विभाग दिया जा सकता है जिसमें अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर
उनके पास लोगों से संपर्क करने का अधिक मौका हो। साथ में कोई बड़े नीतिगत निर्णय
लेने की गुंजाइश भी हो। ऐसे में वह ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल
सकते हैं। पद को संभाल रहे जयराम रमेश ने पिछले दिनों सरकार के बजाए संगठन में
जाने की इच्छा जताई थी।
इधर, पार्टी में भी
राहुल की भूमिका को लेकर मंथन जारी है। कांग्रेस के भीतर राहुल को पार्टी
उपाध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष पद देने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के
मुताबिक, 2014 के बाद
राहुल को देश की बागडोर देने की संभावना के मद्देनजर इन पदों पर राहुल का काम करना
मुफीद होगा। इसके अलावा, यह जिम्मेदारी उन्हें आने वाले दिनों में पार्टी को चलाने के
लिए भी तैयार करेगा।
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