किसकी बेटरी से चमक
रहा विनोद राय का लट्टू!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) ने मनमोहन सरकार पर मुश्किलों के पहाड़ खड़े कर दिए
हैं। इस पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ मनमोहन सिंह ही आहत नजर आ रहे हैं। मनमोहन
की बली चढ़ाकर कांग्रेस विपक्ष के तुणीर के इस तीर से जहर अलग कर सकती है। सियासी
गलियारों में इस बात की पतासाजी की जा रही है कि आखिर सीएजी विनोद राय को
प्रधानमंत्री डॉ।मनमोहन सिंह से सीधे सीधे पंगा लेने के लिए करंट किसकी बैटरी से
मिल रहा है?
कोल गेट मामले में
क्षति का आंकलन कर कैग ने सरकार के लिए मुश्किलों का पिटारा खोल दिया है।
भ्रष्टाचार पर सदा ही मौन साधने वाले प्रधानमंत्री डॉ।मनमोहन सिंह इस मामले में
इसलिए कटघरे में हैं क्योंकि उनके कोयला मंत्री रहते ही सारी पटकथा लिखी गई थी।
कांग्रेस अब रक्षात्मक मुद्रा में ही दिख रही है।
कांग्रेस महासचिव
राजा दिग्विजय सिंह ने पूर्व सीएजी चतुर्वेदी पर सेवानिवृत्ति के उपरांत भाजपा की
गोद में बैठने तो वर्तमान सीएजी विनोद राय पर राजनैतिक तौर पर महात्वाकांक्षी होने
का आरोप मढ़ दिया है। दिग्गी राजा के आरोपों के बाद सभी की निगाहें भाजपा की ओर
होना स्वाभाविक ही हैं।
उधर, कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित
सरकारी आवास) के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष
श्रीमति सोनिया गांधी के सामने इस मामले की हकीकत आ चुकी है कि किसके इशारे पर
सीएजी विनोद राय द्वारा मनमोहन सिंह को घेरने की रणनीति बनाई गई है?
सूत्रों ने कहा कि
दरअसल, मनमोहन
सिंह की रूखसती और राहुल गांधी की ताजपोशी के बीच एक नेता को देश की बागडोर सौंपी
जाने की स्थिति निर्मित हो रही है। मनमोहन सिंह का सक्सेसर कौन होगा इस बारे में
कुहासा अभी हट नहीं सका है। कांग्रेस के अंदर ही अंदर पीएम इन वेटिंग की फेहरिस्त
बेहद लंबी है। इसमें ए।के।अंटोनी, पलनिअप्पम चिदम्बरम, राजा दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे
आदि के नाम आगे बताए जा रहे हैं।
उधर, पीएम के सबसे प्रबल
दावेदार प्रणव मुखर्जी के रायसीना हिल्स जाने के उपरांत अब वे इस दौड़ से बाहर हो
चुके हैं। इसके साथ ही साथ टूजी मामले में देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा क्लीन चिट
देने के बाद वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम इसके प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं।
7, रेसकोर्स रोड़ (भारत
गणराज्य के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को अपना आशियाना बनाने की चाहत में हर
नेता अपने अपने दांव चल रहा है। विनोद राय को कैग की आसनी पर आसीन करवाने में
चिदम्बरम की महती भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। उनकी नियुक्ति चिदम्बरम
के वित्त मंत्री रहते ही हुई थी।
कांग्रेस के
अंदरखाने में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो भारत के महालेखा परीक्षक
विनोद राय दरअसल, वित्त
मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम के ही आदमी हैं, और उनकी कठपुतली बनकर ही सारा नाटक खेला जा
रहा है। वरना, क्या कारण
था कि टूजी मामलों में कैग ने अपने प्रतिवेदन में चिदम्बरम का जिकर भी मुनासिब
नहीं समझा!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें