0 लूट लिया लाजपत ने जनसंपर्क
एमपी जनसंपर्क को
ठेके पर देने की तैयारी!
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
भारतीय जनता पार्टी जबसे मध्य प्रदेश पर काबिज हुई है तबसे मध्य प्रदेश जनसंपर्क
विभाग चर्चाओं में रहा है। कभी यहां के अफसरान भाजपा के संगठन की सेवा में हाथ
बांधे खड़े दिखते हैं तो कभी विज्ञापनों में जमकर घालमेल और मनमानी तो कीभी
पत्रकारों को दी जाने वाली सुविधाओं और अधिमान्यता आदि के लिए शासन स्तर पर भेजने
की बात कहकर प्रताड़ित किया जाता है। हाल ही में दिल्ली में मध्य प्रदेश के सूचना
केंद्र में एक अदने से अधिकारी को प्रभारी बनाने का मामला सामने आया है।
ज्ञातव्य है कि देश
की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के मंहगे और व्यवायिक इलाके कनाट सर्कस के बाराखम्बा
रोड़ में एम्पोरिया हाउस में मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग का सूचना केंद्र
स्थापित है जो दिल्ली में मध्य प्रदेश बीट कव्हर करने वाले पत्रकारों को ना केवल
समय समय पर प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देता है, वरन् प्रदेश के
मंत्री संत्री के दिल्ली आने पर उनसे मीडिया को रूबरू भी करवाता है।
इसकी स्थापना से अब
तक इस कार्यालय में अतिरिक्त अथवा संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारियों की तैनाती
रही है। संभवतः इतिहास में पहली बार देश की राजधानी के इतने बड़े और महत्वपूर्ण
कार्यालय का भार सहायक संचालक स्तर के अधिकारी के कांधों पर रखा जा रहा है। एमपी
की राजधानी भोपाल से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से राजेश शर्मा ने बताया
कि राज्य शासन ने उज्जैन संभागीय कार्यालय में संयुक्त संचालक अर्जुन सिंह सोलंकी
के अधीन कार्यरत सहायक संचालक अरूण राठौर को दिल्ली स्थित सूचना केंद्र का प्रमुख
बनाकर भेजा है।
अमूमन सहायक संचालक
को जिलों में मीडिया और प्रशासन के बीच जुगलबंदी बनाने के लिए पदस्थ किया जाता है
को देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में बिठाया जाना निश्चित तौर पर जनसंपर्क विभाग
में चल रही उन चर्चाओं को ही बल दे रहा है जिनमें कहा जा रहा था कि जनसंपर्क विभाग
की सत्ता की धुरी बन चुके अपर सचिव लाजपत आहूजा द्वारा जल्द ही जनसंपर्क विभाग को
ठेके पर देने की कार्यवाही करने वाले हैं।
यक्ष प्रश्न तो यह
है कि आखिर एक सहायक संचालक स्तर का अधिकारी जो दिल्ली की भौगोलिक स्थिति से भी
रूबरू ना हो वह दिल्ली में कब एमपी बीट कव्हर करने वाले पत्रकारों की तासीर जान
पाएगा? कब वह
अधिकारी इन पत्रकारों में से असली और लिखने पढ़ने वाले पत्रकारों को छांट पाएगा? जब तक वह यह सब कुछ
कर पाएगा तब तक चुनाव ही सर पर आ जाएगा।
साई न्यूज के भोपाल
ब्यूरो राजेश शर्मा ने मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों के हवाले से कहा
कि दिल्ली के सूचना केंद्र में एक भी कर्मचारी मध्य प्रदेश मूल का पदस्थ नहीं है।
अगर दिल्ली कार्यालय का पक्का आडिट करवा दिया जाए तो अनेक कर्मचारियों की गरदन नप
सकती है। जनता के पैसों की जमकर होली खेली गई है दिल्ली के सूचना केंद्र में।
सूत्रों ने साई
न्यूज को आगे बताया कि चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान की मुसीबतें बढ़ाने की गरज
से ही लाजपत आहूजा द्वारा फेंके गए पांसे में जनसंपर्क आयुक्त राकेश श्रीवास्तव
फंस चुके हैं। दिल्ली जैसे स्थान पर अनुभवी अफसरों के बजाए सहायक संचालक स्तर के
अफसर की तैनाती वाकई में चौंकाने वाली है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि
कांग्रेस के इशारे पर जनसंपर्क विभाग ने यह तीर चलाया है।
देखा जाए तो देश की
दिशा और दशा दिल्ली से ही निर्भर करती है। दिल्ली के बड़े राजनेता सुबह जागते ही
दिल्ली के अखबार मांगते हैं। अगर वे दौरे पर हों तो ईपेपर निकालकर उन्हें दिए जाते
है। दिल्ली में राज्यों का जनसंपर्क विभाग पत्रकारों को साधे रखता है। अब अरूण
राठौर जब दिल्ली पहुंचकर कार्यभार ग्रहण करेंगे तब कम से कम तीन माह में तो वे
पत्रकारों को नाम और चेहरे से पहचान पाएंगे।
जनसंपर्क के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि सबसे आश्चर्यजनक पहलू तो यह
है कि दिल्ली में पदस्थ संयुक्त संचालक प्रदीप भाटिया को भोपाल वापस बुलाकर उन्हें
पुलिस मुख्यालय तो उप संचालक संजय सक्सेना को ग्वालियर पदस्थ कर दिया गया है। इस
तरह अब दिल्ली में मीडिया पर्सन्स को पहचानने और मीडिया पर्सन्स की पहचान वाले एक
भी अफसर सूचना केंद्र में नहीं बचे हैं।
एैन चुनावी साल में
आचार संहिता लगने से महज चार माह पहले इस तरह का परिवर्तन आत्मघाती ही साबित हो
सकता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि जनसंपर्क विभाग
की सत्ता और शक्ति के सूत्रधार आला अधिकारियों ने इस बात का ताना बाना बुनना आरंभ
कर दिया है कि जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित सूचना केंद्र को आउट सोर्स यानी
ठेके पर दे दिया जाए।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि एक दो माह में दिल्ली के जनसंपर्क विभाग के
सूचना केंद्र के पुअर परफार्मेंस का प्रतिवेदन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के
समक्ष रखकर उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया जाएगा कि इस कार्यालय को ठेके पर दे
दिया जाए। फिर निजी पीआर कंपनियों को मनमानी दरों पर इसे ठेके पर देकर चुनावी साल
में एक बार फिर मलाई खाने की तैयारी में दिख रहे हैं जनसंपर्क विभाग के कर्णधार!
इस संबंध में जनसंपर्क आयुक्त राकेश श्रीवास्तव का पक्ष जानने का प्रयास किया
गया, तो
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को जनसंपर्क विभाग की वेब साईट पर उनके निवास के नंबर 07552430988 पर कहा गया कि यह सीपीआर
के घर के गार्ड रूम का नंबर है साहब के घर का क्या नंबर है यह उन्हें नहीं पता और
सीपीआर का मोबाईल स्विच्ड आफ ही आता रहा।
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