बुधवार, 1 मई 2013

डेढ़ लाख और एक नौकरी में बरी हो जाएंगे गौतम थापर!


. . . और खामोश हो गई सिवनी की लाड़ो

डेढ़ लाख और एक नौकरी में बरी हो जाएंगे गौतम थापर!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। उसकी मां बस एक बार उसकी तोतली आवाज सुनना चाहती थी, लेकिन अब वह अपनी गुड़िया सी बच्ची की तोतली आवाज कभी नहीं सुन पायेगी। मध्य प्रदेश के सिवनी में दो समझदार लोगों की हैवानियत का शिकार बनी वह चार साल की अबोध बच्ची चिरनिद्रा में समा गई। एक हफ्ते तक उसको बचाने की जितनी कोशिशें हुईं, आखिरकार सब बेकार हो गईं और सोमवार की शाम 7.50 पर उसकी कोमल देह को डॉक्टरों द्वारा लाश घोषित कर दिया गया।
बीते 17 अप्रैल को सिवनी जिला मुख्यालय से सटे एक गांव की वह अबोध बच्ची गायब हुई तो अगले दिन मरघट के पास मरी हुई सी अवस्था में ही मिली थी। जब घर से गायब हुई तो आखिरी बार फिरोज खान के साथ देखी गई थी। घंसौर में गौतम थापर के अथर्वा पॉवर प्लांट में काम करनेवाला फिरोज उसे खाने पीने के नाम पर कुछ देने के बहाने अपने साथ ले गया था।
क्षत विक्षत हालत में मिले उसके पवित्र शरीर पर अपवित्रता के दर्दभरे दाग ने परिवारवालों को मजबूर किया कि अस्पताल से पहले वे पुलिस के पास जाएं। वे पुलिस के पास गये भी। पुलिस ने मामला दर्ज भी किया। जबलपुर में उसका इलाज भी शुरू हुआ लेकिन उस अबोध मन और कोमल शरीर के साथ कुछ ऐसे जघन्य अपराध को अंजाम दे दिया गया था कि वह बच्ची जो बेहोश हुई तो फिर कभी होश में नहीं आ पाई। सिर्फ उसके साथ जिस्मानी अत्याचार नहीं हुआ था, उसको गला दबाकर मारने की भी कोशिश की गई थी।
मामले में हंगमा खड़ा होता देख मध्य प्रदेश सरकार ने बेहतर इलाज के लिए उसे नागपुर शिफ्ट कर दिया। सिवनी से नागपुर नजदीक पड़ता है इसलिए उसे एयर एम्बुलेंस से तत्काल नागपुर भेज दिया गया। उसे नागपुर के केयर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। नागपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से आशीष कौशल ने बताया कि अस्तपाल में करीब एक सप्ताह तक इलाज चलने के बाद भी वह बच्ची होश में नहीं आ पाई और सोमवार शाम को केयर अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्तपाल प्रवक्ता ने कहा है कि हमने इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार को सूचना दे दी है। बच्ची के पार्थिव शरीर को शल्यक्रिया के लिए सरकारी मेडिकल कालेज भेज दिया गया है।
देश, समाज की सड़ती सोच, बोने साबित होते कानून, खोखली पुलिस, सबको सबकुछ छोड़कर सिवनी की लाडो दुनिया को अलविदा कह गयी। 13 दिनों तक दर्द, दवाओं को सहती रही लेकिन वहेशी दरिंदे ने जो जख्म दिये थे। 4 साल की मासूम बच्ची उन्हें सह नहीं सकी।
आज शाम लगभग पांच बजे उसका अंतिम संस्कार घंसौर में संपन्न हुआ जिसमें प्रभारी मंत्री नाना भाउ माहोड़, विधायक शशि ठाकुर सहित प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
0 छावनी में तब्दील हुआ घंसौर
घंसौर क्षेत्र के लोगों को ब पता चला कि उनकी मासूम गुडिय़ा उनसे हमेशा- हमेशा के लिए विदा हो गई तो घंसौर के लोगों की हर आंखों में आंसू छलक पड़े। हीं अपनी प्यारी गुडिय़ा की खबर सुनकर कहीं घंसौरवासी आक्रोशित न हो जाए, इसके लिए घंसौर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। वहीं, नागपुर केयर अस्पताल में 04 साल की मासूम की मौत हो जाने के बाद अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी, ताकि आक्रोशित लोग किसी अप्रिय घटना को अंजाम न दें दे।
0 डॉ. वर्मा व भारद्वाज पर अपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने गत दिवस पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर गुडिया के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एलपी वर्मा एवं शिशु रोग विभाग के डॉ. वीके भारद्वाज पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये। पुलिस ने शिकायतकर्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे के बयान दर्ज करने के साथ ही मेडिकल अस्पताल के डीन को एक पत्र लिखकर 24 घंटे के भीतर जवाब पेश करने के लिये कहा है।
शिकायत में बताया गया है कि बालिका 18 अप्रैल की सुबह 11.30 बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में भर्ती कराई गई थी, उस समय बच्ची को फिट आ रहे थे, तथा उसका ब्रेन डेमेज होने की कगार पर था। परीक्षण के बाद निष्कर्ष निकला कि यह रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क की क्षति का मामला है। बाद में रात 11 बजे बच्ची को जब जबलपुर अस्पताल भर्ती किया तो वहां ब्रेन सिटी स्केन में यह प्रमाणित भी हो गया था। डॉक्टर के ऊपर कार्यवाही किये जाने की मांग उपभोक्ता मंच के राजेंद्र पटेल, रजनी निगम, संजय दुबे, शहजादी अंसारी, रीना सोनकर, मुस्कान यादव ने की है।
ढाई बजे सिवनी से गुजरी गुडिया
नागपुर में पोस्टमार्टम के बाद मासूम गुडिय़ा के शव को लेकर घंसौर की ओर निकला वाहन क्रं. एमएच 31 डीएच 6077 एम्बूलेंस धंतौली लगभग ढाई बजे सिवनी बायपास पहुंचा और वहीं से पलारी की ओर से होते हुए घंसौर की ओर रवाना हुआ।
इस मौके पर प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री देवी सिंह सैय्याम, लखनादौन की विधायिका श्रीमती शशि ठाकुर, बरघाट के विधायक कमल मर्सकोले, घंसौर की जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती चित्रलेखा नेताम, कलेक्टर भरत यादव, पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला, अपर कलेक्टर आर.बी.प्रजापति, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश श्रीवास्तव, जनपद पंचायत सदस्यगण व अन्य क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित बडी संख्या में ग्रामीणजन एवं पत्रकारगण भी उपस्थित थे।
0 बंटने लगी राहत राशि
इस मौके पर श्री सैय्याम ने बालिका के माता-पिता को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से मंजूर २ लाख रूपये की मदद राशि का चैक भी सौंपा। श्री सैय्याम ने कहा कि परिजनों को शीघ्र ही इंदिरा आवास भी दिलाया जायेगा। कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि आगामी १७ मई को मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान सिवनी जिले में अटल ज्योति अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल होंगे, इस मौके पर सिवनी जिला मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान वे दिवंगत बालिका के माता-पिता से भी मिलेंगे।
कलेक्टर श्री यादव ने दिवंगत बालिका के पिता को भरोसा दिलाया कि उन्हें झाबुआ पावर प्लांट में स्थायी नौकरी दिलाई जायेगी और प्लांट में स्थायी नौकरी का नियुक्ति पत्र खुद जिला प्रशासन उन्हें उपलब्ध करायेगा। कलेक्टर ने बताया कि बालिका की माता को (जहां कही भी संभव हो), वहां कलेक्टर रेट पर रसोईया की स्थाई नौकरी दिलाई जायेगी। बालिका के माता-पिता का बैंक खाता भी खुलवा दिया जायेगा और उन्हें सभी शासकीय योजनाओं का पात्रतानुसार लाभ दिलाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि बालिका के परिवार को कलेक्टर के विशेष कोटे से इंदिरा आवास भी मंजूर कर दिया गया है। नये वित्तीय वर्ष का इंदिरा आवास का आवंटन आते ही सबसे पहले इस परिवार को ही इंदिरा आवास दिया जायेगा। दिवंगत बालिका के अन्य भाई-बहनों की पढाई-लिखाई एवं उनके लालन-पालन का संपूर्ण खर्चा भी राश्य सरकार उठायेगी। उन्होंने कहा कि पीडित परिवार को हर प्रकार की मदद दिलाई जायेगी।
0 डेढ़ लाख के डिपिजिट की रसीद!
सारे फसाद की जड़ देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने भी चौदह दिन बाद दरियादिली दिखाते हुए गुड़िया के तीन भाई बहनों के नाम से पचास पचास हजार रूपए की राशि फिक्स डिपाजिट कर दी है। जिसकी रसीद उन्होंने परिजनों को सोंपी। क्षेत्र में चर्चा व्याप्त है कि महज डेढ़ लाख रूपए में गौतम थापर ने अपनी जान इस पूरी प्रकरण से छुड़ा ली है।

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