अवैध कब्जों से सजा
हुआ है बस स्टेंड
(अखिलेंद्र नाथ
सिंह)
सिवनी (साई)। सिवनी
शहर के मुख्य मार्ग पर स्थित मध्यप्रदेश राज्य परिवहन के बस स्थानक के डिपो मैनेजर
एस.के.पाण्डे के अनुसार इस बस स्टैंड के परिसर में स्थित चाय, पान, हॉटल एवं अन्य कई
दुकानें पूर्णतः अवैद्य रूप से संचालित हो रही हैं।
जानकारी के अनुसार
इस परिसर के अंदर संचालित 4 दुकानों जिनमें जैन हॉटल, दो पान दुकानें एवं
फल की दुकान जो कि मुख्य द्वार के समीप लगती है, इनको उस समय
संचालित मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम द्वारा दुकानें संचालित करने के लिये लीज पर
दी गईं थी। वर्तमान में वास्तविकता यह कि जैन केन्टीन की लीज सन् 1995-96 में ही
समाप्त हो चुकी हैं। जबकि अन्य तीन दुकानों के लीज का नवीनीकरण 2005 से नहीं किया
गया है। इन कारणों से ये चारों ही दुकानें स्वतः ही अवैद्य रूप से संचालित होना
मानी जा सकती हैं।
इन दुकानों के
अलावा बस स्टैंड परिसर के अंदर संचालित होने वाली चर्मशिल्पी, मस्जिद के सामने लग
रही हॉटल एवं पुस्तक भंडार को राजस्व विभाग द्वारा पट्टा दिया गया है। यह जानकारी
अभी स्पष्ट नहीं है। विगत दिनों अतिक्रमण हटाने गये दस्ते को खाली हाथ ही लौटना
पड़ा था। उसके बाद से कोई कार्यवाही बस-स्टैंड परिसर के अंदर या बाहर हुई हो इसकी
जानकारी नहीं मिल सकी है। कार्यवाही के नाम पर राजस्व विभाग के द्वारा केवल
यातायात थाने के समीप स्थित बस-स्टैण्ड के मुख्य द्वार को खोलने में सफलता प्राप्त
की गई है, लेकिन मजे
की बात तो यह है कि इस मार्ग पर कोई दुकानें संचालित ही नहीं हो रही थी।
बस-स्टैण्ड परिसर
के बाहर दुकान लगाने वाले दुकानदारों ने गरीब और अमीर के भेदभाव का आरोप अतिक्रमण
विरोधी दस्ते के ऊपर लगाया है। इनका आरोप है कि राजनैतिक दबाव एवं नगर में विभिन्न
मार्गों पर धनाढ्य एवं रसूखदार वर्ग द्वारा विशेष रूप से नेहरू रोड, बुधवारी बाजार एवं
जी.एन.रोड पर 10-10 फीट अवैद्य रूप से नाले एवं नालियों के ऊपर तक कब्जा कर रखा
गया है, वहां पर
प्रशासन नरमी दिखा रहा है।
बहरहाल प्रशासन यदि
सख्ती पूर्वक सभी वर्ग के अतिक्रमणकारियों पर प्रभावी कार्यवाही कर बिना किसी
भेदभाव के अतिक्रमण हटाने की मंशा रखेगा तो यकीनन अनियंत्रित यातायात व्यवस्था को
पटरी पर लाया जा सकता है, वरना तो वर्तमान परिस्थितियां स्थानीय कलेक्टर की सिवनी की
यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने की मंशाओं पर पानी फेरने की ओर ही इशारा कर रही
हैं।
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