मुख्य धारा में आने
का जतन कर रहे हुकुम!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। एक
समय में सिवनी में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर का पौंचा पकड़कर
सियासी पायदान में सीढ़ियां चढ़ने वाले कुंवर शक्ति सिंह भले ही जिला कांग्रेस कमेटी
के महामंत्री हों पर वे कांग्रेस के अंदर ही मुख्य धारा में आने के प्रयास में दिख
रहे हैं। इसी कड़ी में हाल ही में बारापत्थर में अस्पताल के समीप कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति की धुरी बन चुके एक नेता के साथ उनकी लगभग डेढ़ घंटे हुई चर्चा को जोड़कर
देखा जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि
घंसौर क्षेत्र से आने वाले और मित्रों यारों में हुकुम के नाम से मशहूर कुंवर
शक्ति सिंह जिला पंचायत सिवनी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। कहा जाता है कि उस समय
हुकुम को जिला पंचायत उपाध्यक्ष का पद हरवंश सिंह ठाकुर के आर्शीवाद से ही प्राप्त
हुआ था। इस बात में सच्चाई कितनी है यह बात तो वे ही जानें पर बाद में शक्ति सिंह
का कांग्रेस में प्रवेश इन बातों को बल ही देता है।
कहा जाता है कि
इसके उपरांत हुकुम और हरवंश सिंह की जुगलबंदी के चलते घंसौर में सियासी समीकरण
तेजी से बदलने लगे। घंसौर के कांग्रेस के एक नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि वर्तमान हिमाचल प्रदेश की महामहिम राज्यपाल
उर्मिला सिंह घंसौर में सियासत में सक्रिय थीं, उस समय हुकुम ने
अंदर ही अंदर उर्मिला सिंह का पुरजोर विरोध किया।
कहा तो यहां तक जा
रहा है कि सिवनी में कांग्रेस में एकछत्र राज्य स्थापित करने की गरज से तत्कालीन
प्रभावशाली क्षत्रप द्वारा अपने समकक्ष के सारे नेताओं को हाशिए पर लाना आरंभ कर
दिया था। इसी कड़ी में उर्मिला सिंह को भी किनारे लगाने का काम तेजी से किया जाने
लगा था।
हरवंश सिंह के
करीबी एक कांग्रेसी नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि हरवंश सिंह ठाकुर की
उंगली पकड़कर सियासी बियावान में विचरण करने वाले शक्ति सिंह द्वारा उनके अवसान के
साथ ही उनके परिजनों को आंखें दिखाना आरंभ कर दिया है। केवलारी विधानसभा क्षेत्र
से टिकिट की मांग की खबरें पिछले दिनों समाचार पत्रों में छाई हुई हैं।
कहा जा रहा है कि
हरवंश सिंह के निधन के उपरांत केवलारी क्षेत्र में सियासी तौर पर उनके पुत्र रजनीश
सिंह ही उत्तराधिकारी हो सकते हैं, पर केवलारी से हुकुम की दावेदारी की खबरें
सभी को आश्चर्यचकित कर रही हैं। लोग इसके पीछे के निहितार्थ खोजते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस के
कद्दावर नेता हरवंश सिंह के असमय अवसान के उपरांत कुंवर शक्ति सिंह के कदमताल के
बाद उनकी स्थिति कांग्रेस में मजबूत नहीं मानी जा रही है। भले ही शक्ति सिंह यह
प्रचारित करवाने में सफल रहे हों कि वे कांग्रेस में स्थापित नेता हो चुके हैं, पर जमीनी हकीकत से
वे भी संभवतः रूबरू हो चुके होंगे।
कांग्रेस के अंदर
चल रही चर्चाओं के अनुसार एकला चलो रे की नीति पर काम करते हुए कुंवर शक्ति सिंह
को यह अहसास होने लगा है कि उनकी जमीन भुरभरी होकर खिसक रही है। संभवतः यही कारण
है कि पिछले दिनों कमल नाथ के कट्टर समर्थक एक युवा नेता के साथ उन्होंने
सार्वजनिक तौर पर अस्पताल के सामने बने काम्पलेक्स में डेढ़ घंटे से अधिक समय तक
सार्वजनिक तौर पर चर्चा की। माना जा रहा है कि वे इसके जरिए यह संदेश देना चाह रहे
थे कि कांग्रेस के अंदर उभरते नए समीकरणों से वे पूरी तरह वाकिफ हैं और जल्द ही वे
किसी नए झंडे के तले अपने आपको खड़ा कर सकते हैं।
(क्रमशः जारी)
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