मोबाईल और अश्लीलता
(शरद खरे)
वाकई संचार क्रांति
ने आज हमें बहुत ही तेजी से अत्याधुनिक युग की ओर अग्रसर कर दिया है। दो ढाई दशक
पहले जिस बात की कल्पना भी नहीं होती थी आज की पीढ़ी उसका उपभोग भी करने लगी है।
अस्सी के दशक के आरंभ में कलर फोटो खिंचवाना अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट
हुआ करता था। उस वक्त ब्लेक एण्ड व्हाईट केमरे से फोटो खीची जाकर उसमंे क्रत्रिम
तौर पर रंग भरे जाते थे। यह बहुत ही मेहनत का काम होता था। उस दौर में वीडियो
फिल्म बनाना स्वप्न देखने के मानिंद ही हुआ करता था।
उस दौर में चलती
फिरती चीजें पर्दे पर देखना मतलब फिल्म देखना ही होता था। 1981 तक देश में टीवी
भी श्वेत श्याम ही हुआ करता था। 1982 के एशियाड में देश में टीवी भी कलर वाला
आया। फिर वीडियो आया। लोगों की जिज्ञासा थी कि आखिर वीडियो होता कैसा है? बाद में पता चला कि
यह तो कलर्ड टीवी ही है। इस समय तक कलर कैमरे से फोटो खीची जाने लगी। शनैः शनैः और
प्रगति हुई तब बड़े आकार के कैमरों से वीडियो फिल्म बनाना भी आरंभ हुआ। विलासिता
प्रेमी धनाड्य लोगों द्वारा शादी ब्याह आदि के अवसर पर वीडियो बनवाना प्रिय शगल बन
गया था। वीडियो बनाने के बाद उसकी एडीटिंग आदि का अपना अलग ही आनंद हुआ करता था।
कालांतर में वीडियो
कैसेट इतिहास में समा गई और आया सीडी का युग। सीडी भी एक समय बाद इतिहास में शामिल
होती गई और डीवीडी ने उसका स्थान ले लिया। मोबाईल आने के बाद तो मानो प्रगति को
पंख लग गए। मोबाईल में पहले बल्व वाला मोबाईल अर्थात जिसमें पीली रोशनी हुआ करती
थी, के बाद
ट्यूब लाईट वाला मोबाईल जिसकी एलसीडी सफेद चमका करती थी, वह आया। धीरे से
मोबाईल में कैमरा तो वीडियो कैमरा भी आ गया। अब तो चार इंच के मोबाईल से घंटों की
वीडियो फिल्म बनाई जा सकती है।
प्रगति के ये सारे
सौपान देखने वाली आज की प्रौढ़ होने वाली पीढ़ी अपने आप को खुशकिस्मत मान रही होगी, क्योंकि बाबा आदम
के जमाने से वर्तमान परिवेश के वे साक्षात गवाह जो ठहरे। तरक्की अपने साथ अच्छी और
बुरी दोनों ही बातें लाती है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। अस्सी के दशक
के बाद तेजी से हुए विकास के भी अनेक दुष्परिणाम सामने आए और अनवरत आते ही जा रहे
हैं।
आज मोबाईल झूठ
बोलने का सबसे बड़ा कारक बनता जा रहा है। माता पिता को धोखा देकर बच्चियां, युवतियां यहां तक
शादी शुदा महिलाएं भी झूठ पर झूठ बोल रही हैं। वे होती कहीं और हैं और बताती कहीं
और हैं। मां बाप यह सोचते हैं कि उनके बच्चे स्कूल कालेज में पढ़ रहे हैं, वस्तुतः इनमें से
कुछ बच्चे अपने आवारा मित्रों के साथ कहीं और मस्ती में झूम रहे होते हैं। कल तक
अश्लील फोटो खींचने पर उसे धुलवाने के दौरान लीक होने का जोखिम होता था, पर आज तो ना रोल
धुलवाने की झंझट ना एक्सपोज करवाने की।
आज अनेक वेब साईट्स
अश्लील एमएमएस से पटी पड़ी हैं। पहले विदेशी बालाओं के इस तरह के चित्र दिखते थे, पर अब तो देशी
बालाएं इसमें नजर आ रही हैं। यहां तक कि सुनने में तो यह भी आया है कि जिला
मुख्यालय सहित सिवनी जिले की अनेक बालाओं के अश्लील एमएमएस तक लोगों के मोबाईल की
शोभा बढ़ा रहे हैं। नशे की हालत में युवा अपनी डींग मारने के चक्कर में प्यार में
फांसी गई इन बालाओं के अश्लील एमएमएस ना केवल दिखाते हैं वरन् मेरी घोडी बड़ी की
तर्ज पर ये एक दूसरे के साथ मोबाईल पर शेयर भी कर देते हैं।
इस तरह के अश्लील
वीडियो का अंजाम हत्या तक पहुंचना स्वाभाविक ही है। बीते दिनों बरघाट में पुलिस
द्वारा मारे गए एक छापे में अश्लील एमएमएस या क्लिपिंग्स का जखीरा मिला है जो
उपरोक्त वर्णित सारी बातों का जीवंत रोजनामचा कहा जा सकता है। जिला मुख्यालय सिवनी
में ना जाने कितने लोग मोबाईल के लिए डाउनलोडिंग आदि का काम कर रहे हैं। इन लोगों
के पास ना जाने कितने एमएमएस होंगे कहा नहीं जा सकता है। सिवनी की फिजां में
युवाओं के मोबाईल पर वित्त मंत्री रहे राघवजी, जस्सी जैसी कोई
नहीं की मोना सिंह सहित अनेक लोगों यहां तक कि सिवनी की स्थानीय बालाओं के नग्न और
आपत्ति जनक एमएमएस शोभा बढ़ा रहे हैं।
आठवीं कक्षा के उपरांत बच्चों में शारीरिक बदलवा तेजी से होते हैं, उस दौर
में अगर माता पिता ने अपने बच्चे पर बारीक नजर नहीं रखी तो उसका पांव फिसलने में
देर नहीं लगती। गलत तरीके से पैसा कमाने वाले युवा दिखने में तो भोले दिखते हैं और
आसानी से इन बालाओं को अपने आगोश में ले लेते हैं। जब इन बालाओं के सामने इन
युवाओं की हकीकत आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसके बाद बालाओं के
पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं होता है। इसलिए मोबाईल का उपयोग सावधानी से किया
जाना जरूरी है। पालकों को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों के मोबाईल और आचरण पर नजर
रखें वरना उनके हाथ भी पछतावे के अलावा और कुछ नहीं लगने वाला।
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