प्रसूताओं को नहीं मिल पाए निश्चेतक!
(अखिलेश दुबे)
सिवनंी (साई)। प्रियदर्शनी के नाम से
सुशोभित जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन का प्रभार अस्सी के दशक से सिवनी में
पदस्थ निश्चेतक डॉ.सत्य नारायण सोनी के होते हुए भी गत दिवस चिकित्सालय में
प्रसूताओं को निश्चेतक यानी बेहोश करने के लिए एनेस्थिसिया वाले चिकित्सक उपलब्ध
नहीं हो पाए जिससे प्रसूताएं दिन भर परेशान होती रहीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार और
मंगलवार की दर्मयानी रात से इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जिला चिकित्सालय में
प्रसूताओं को भारी परेशानी का सामना इसलिए करना पड़ा क्योंकि निश्चेतक डॉ.सत्यनाराण
सोनी के कांधों पर सिविल सर्जन जैसी प्रशासनिक जिम्मेदारी है, और वे इसके चलते अपने मूल काम पर ध्यान
केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।
जिला चिकित्सालय का प्रसूती वार्ड वैसे
भी सदा से ही चर्चाओं का केंद्र रहा है। इस वार्ड में अव्यवस्थाएं चरम पर हैं। इस
वार्ड में प्रसूताओं के साथ अमानवीय व्यवहार की खबरें आम ही हैं। कहा जाता है कि
इस वार्ड में बिना पैसे लिए कोई भी काम नहीं होता है। ऐसा नहीं कि इस बारे में
सिविल सर्जन अनजान हों, सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण सोनी पर ही बेहोश करने के लिए पैसे लेने के
अनगिनत आरोप हैं, पर उंची सियासी पकड़ के चलते वे लगभग तीन दशकों से सिवनी में ही अपनी
आसनी जमाए हुए हैं।
मरीजों के अनुसार प्रसूती वार्ड की
प्रभारी डॉ.मनीषा सिरसाम तो अपने काम को मुस्तैदी के साथ अंजाम दे रही हैं वे
नार्मल डिलेवरी तो करवा रही हैं किन्तु सीजर से होने वाली डिलेवरी के लिए उन्हें
मरीज को बेहोश करना होता है और मरीज को बेहोश कौन करे की समस्या से वे दो चार हो
रही हैं।
कहा जा रहा है कि चिकित्सालय के इकलौते
निश्चेतक डॉ.सत्यनारायण सोनी आठ दिनों के अवकाश पर चले गए हैं, जिससे अब सीजर वाले मरीजों के परिजनों
की जेब निजी चिकित्सालयों में काटी जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार निजी
चिकित्सालयों में एक डिलेवरी के लिए बीस से चालीस हजार रूपए शुल्क लिया जाता है।
संपन्न लोगों का तो ठीक है पर गरीब गुरबे तो उपर वाले के भरोसे ही जिला चिकित्सालय
में पड़े रहने पर मजबूर हैं।
औसत एक दर्जन प्रसव रोजाना
बताया जाता है कि जिला चिकित्सालय में
औसतन एक दर्जन प्रसव रोजना होते हैं इस औसत के हिसाब से लगभग चार सौ प्रसव
प्रतिमाह होते हैं। इनमें से आधे से ज्यादा प्रसव आपरेशन से होते हैं। इन
परिस्थितियों में चिकित्सालय में निश्चेतक की मांग सबसे ज्यादा होती है।
विधायक हैं मौन!
विडम्बना यह है कि जिला चिकित्सालय में
लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर के पति डॉ.वाय.एस.ठाकुर मुख्य चिकित्सा एवं
स्वास्थ्य अधिकारी तो सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया के पति डॉ.एच.पी.पटेरिया
जिला मलेरिया अधिकारी के प्रभार में हैं। दो दो विधायक पतियों के होते हुए भी जिला
चिकित्सायल के खुद आईसीसीयू में होने से पता चल ही जाता है कि दोनों विधायक अपने
कर्तव्यों के प्रति कितने सजग हैं।
कांग्रेस को नहीं है लेना देना
जिला कांग्रेस कमेटी या नगर कांग्रेस
कमेटी को जिला वासियों से अब कोई लेना देना बाकी नहीं रह गया है। जिला चिकित्सालय
में मरीजों को सुविधाएं मिलें ना मिलें, पैंशनर्स दवाओं के लिए भटकते हैं तो
भटकते रहें, मरीजों को बदहाली के दौर से गुजरना हो तो गुजरते रहें, चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक अपने
कर्तव्यों का निर्वहन चिकित्सालय के बजाए घरों या निजी क्लीनिक रूपी दुकानों में
करते हों तो करते रहें, पर कांग्रेस अपनी कुंभकर्णीय निंद्रा में बनी हुई है। कांग्रेस के
जागरूक, प्रबुद्ध, समझदार, संवेदनशील प्रवक्ता भी जिलों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के
बजाए शिवराज सिंह चौहान की नीतियों की आलोचना कर अपने कर्तव्यों की इतीश्री कर रहे
हैं।
भाजपा को नहीं है परवाह!
जिला चिकित्सालय की दुर्दशा पर भारतीय
जनता पार्टी संगठन भी बैठकर ताली पीटता नजर आ रहा है। भाजपा संगठन के जिलाध्यक्ष
नरेश दिवाकर भी अपनी ही पार्टी के विधायकों के निष्क्रीय रवैए के सामने बेबस नजर आ
रहे हैं। भाजपा का नगर संगठन भी इस मामले में मौन ही है। देखा जाए तो यह भाजपा
सरकार की विफलता ही है कि दो दो विधायकों के पतियों की पदस्थापना के बाद भी जिला
चिकित्सालय बदहाल है। भाजपा के प्रवक्ता भी जिले की समस्याओं पर ध्यान देने के
बजाए राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के कार्यक्षेत्र में हस्ताक्षेप कर मनमोहन सिंह सरकार
को कोसते नजर आते हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर भी उन्हें जिले की समस्याओं
पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश देने से बचते नजर आते हैं।
नूरा कुश्ती जारी है।
कांग्रेस के प्रवक्ता प्रदेश के मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान को तो भाजपा के प्रवक्ता प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को कोस
रहे हैं। कुल मिलाकर जिले में कांग्रेस भाजपा संगठन में नूरा कुश्ती जारी है।
स्थानीय स्तर पर समस्याएं खदबदा रही हैं, पर कांग्रेस भाजपा को इससे लेना देना
नहीं नजर आ रहा है, वह भी तब जब चुनाव सर पर हैं। कांग्रेस के संपन्न लोगों के नाम भाजपा
विधायक निधि से प्रदत्त महज दो पांच हजार रूपए की राशि में सामने आ रहे हैं और
दोनों ही दलों के नेता बेशर्मी के साथ खींसे निपोरते नजर आ रहे हैं।
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