शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

शहर आपके कदम की प्रतीक्षा कर रहा है राजेश त्रिवेदी जी

शहर आपके कदम की प्रतीक्षा कर रहा है राजेश त्रिवेदी जी

(लिमटी खरे)

शहर में आज धुंआधार पानी गिरा, पानी ने चारों ओर त्राही त्राही मचा दी। इस पानी ने आज जो गजब ढाया उससे साफ हो गया है कि सिवनी में नगर पालिका परिषद की व्यवस्थाएं आधी अधूरी और अपर्याप्त ही हैं। बुधवारी बाजार में पानी का जमावड़ा आज का नहीं है। हल्की सी बरसात में बुधवारी बाजार की सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं। आज भी वही हुआ। उधर, विवेकानंद वार्ड में लोगों के घरों में पानी की टंकी के क्षेत्र का पानी बहकर आया और घुस गया।
जबलपुर रोड़ पर स्थित डॉ.सलिल त्रिवेदी के घर में इस बरसात ने कहर बरपाया। उनके आवास के अंदर एक से डेढ़ फिट तक पानी भर गया है। यह पानी उसके घर के हर हिस्से में समान रूप से पहुंचा है। घर में अफरातफरी का माहौल था। मौके पर प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी भी पहुंचे। राजेश त्रिवेदी का कहना था कि उनके आवास के आगे हाण्डा एजेंसी वालों ने नाले पर अतिक्रमण कर लिया है, इसलिए रिटर्न वाटर आ रहा है।
सवाल यह उठता है कि आखिर अतिक्रमण हटाने का काम किसका है। जब इसे हटाने के लिए जिम्मेदार नगर पालिका अध्यक्ष ही अपने आप को बेबस बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहें तो आखिर आम आदमी उम्मीद करे तो किससे? विचारणीय प्रश्न यह है कि शहर में नालियों की क्या स्थिति है आज! जाहिर है पानी निकासी की मुकम्मल व्यवस्थाएं नहीं हैं। बारापत्थर में आज बाहुबली चौक से पालीटेक्निक वाले मार्ग पर पानी का जमावड़ा देखते ही बन रहा था। सड़क पर एक से डेढ़ फिट पानी था। लोगों के वाहन बंद हो रहे थे, पर इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था।
मराही माता के सामने का नाला ओवर फ्लो था। ज्यारत नाके के पास सड़कें पानी से सराबोर, मठ मंदिर के आसपास सड़कें दिखाई ही नहीं पड़ रही थीं। ललमटिया में घरों मेें पानी भर गया। हड्डी गोदाम क्षेत्र तालाब में तब्दील हो गया। आखिर किसकी सुने और कौन सुने! क्या यह सब कुछ नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व वााले नगर पालिका के अमले को दिखाई नहीं दे रहा है। नगर पालिका अध्यक्ष खुद
मान लिया कि आज पानी बहुत तेज और ज्यादा तादाद में बरसा। पर प्रशासन द्वारा आपदा प्रबंधन का राग अलापा जाता है कहां है आपदा प्रबंधन! क्या सिर्फ सरकारी विज्ञप्तियों तक ही सीमित है आपदा प्रबंधन का राग! कहां हैं कांग्रेस के विज्ञप्तिवीर! क्या उनका दायित्व अब नहीं है कि वे इस बारे में विज्ञप्ति जारी करें। भाई भतीजावाद छोड़िए कमल के वीर सिपाहियों अब उठिए और करिए कुछ। शहर में त्राही त्राही मच गई है आज! निचली बस्तियों का हाल बेहाल है।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि नगर पालिका परिषद के निकम्मे और नपुंसक प्रशासन के चलते शहर बदहाल हो गया है। शहर में आम जनता कराह रही है, क्या यही है भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री शिवराज का सुराज! क्या यही है पंडित दीनदयाल के सपनों के भारत का सिवनी! क्या यही है अटल बिहारी बाजपेयी के भारतीय जनता पार्टी के संगठन के हालात। क्या भाजपा की विधायक श्रीमति नीता पटेरिया अब कुछ कहने का।
आज ना जाने कितने घरों मंें पानी भर गया होगा। रोज कमाने खाने वालों का अनाज और बिस्तर गीला हो गया होगा। वे कैसे रात काटेंगे और कैसे रात का खाना बनेगा, कैसे सोएंगे उनके मासूम बच्चे! स्थिति वाकई चिंताजनक है। जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों से मुंह चुरा रहे हैं, वे तो रात को भरपेट खाना खाकर चैन से एयर कंडीशर चलाकर सो जाएंगे पर गरीब गुरबों की कौन सुध लेगा। अभी अगर कहीं पानी निकासी की बात होती और पालिका काम करवा रही होती तो दसियों फोटोग्राफर्स को बुलवाकर नगर पालिका प्रशासन के कारिंदों द्वारा मीडिया में वाहवाही लूट ली गई होती, पर आज किसी को निचली बस्तियों में जाकर सुध लेने की फुर्सत नहीं मिली।
सर्वाधिक आश्चर्य तो नगर पालिका परिषद के संवेदनशील उपाध्यक्ष राजिक अकील की चुप्पी पर हो रहा है। नगर पालिका में कांग्रेस के 12 पार्षद हैं। राजिक अकील भी पार्षद हैं, क्या इन सभी के वार्ड में पानी नहीं भरा! अगर भरा है तो ये खामोश क्यों हैं। नगर पालिका में कमीशनखोरी एक अलहदा बात है पर जो मामले जनता को सीधे सीधे प्रभावित करते हैं उन मामलों में तो संवदेनशील होने की महती जरूरत है।
आज हुई बारिश में शहरी सीमा से लगे लूघरवाड़ा में तीन दर्जन से ज्यादा मकानों में पानी भर गया और तीन मकान के गिरने की खबर है। वहां प्रशासन के अमले के साथ ही साथ लूघरवाड़ा स्पोर्टस क्लब के सदस्यों ने लोगों के घरों में जाकर उनका सामान सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और लोगों को राहत प्रदान की।

गर्मियों में एक मर्तबा पानी की किल्लत पर एक पार्षद राजेश साहू ने अपना दुखड़ा रोया और कहा कि नगर पालिका में किसी की कोई सुन नहीं रहा है! हमने उन्हें एक ही मशविरा दिया था, कि राजेश भाई अगर जनता को साफ पानी नहीं पिला सकते तो बेहतर होगा त्यागपत्र दे दिया जाए। हमारा कहना महज इतना ही है कि जनप्रतिनिधि वास्तव में जनता का सेवक होता है। उसका काम अपनी रियाया का दुखदर्द देखना सुनना है। दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सिवनी में जनप्रतिनिधि जनता के सेवक नहीं निरंकुश शासक बन बैठे हैं। पक्ष विपक्ष के प्रतिनिधियों ने अपना एक सिंडीकेट बना लिया है। इसमें मीडिया को भी मिला लिया गया है। इन तीनों के त्रिफला के बन जाने से आम जनता हलाकान हो रही है, होती रहे किसी को क्या लेना देना। पर अंत में हम नगर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी जी से एक ही आग्रह करना चाह रहे हैं कि बाकी सारी चीजें ठीक हैं कम से कम इस बात के पुख्ता इंतजामात मुकम्मल कर लिए जाएं कि आम जनता को कम से कम बुनियादी सुविधाएं तो मुहैया हो सकें। आप विधानसभा चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, उपर वाले से कामना है कि आपको टिकिट बख्शे पर जनता आज आपके सख्त कदम का रास्ता देख रही है, आशा है आप सिवनी के उन नागरिकों की भावनाओं का सम्मान कर सख्त कदम उठाते हुए जनता के जनादेश का सम्मान अवश्य ही करेंगे. . .।

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