आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर .
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थापर के सामने ठगा सा महसूस कर रहे हैं घंसौर के
आदिवासी
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश में बिजली की
कमी और क्षेत्र के विकास के लिए सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड
में स्थापित होने वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के
पावर प्लांट में आदिवासियों के साथ धोखा किए जाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
आदिवासियों की जमीन खरीदने के साथ किए जाने वाले समझौते के मामले में कंपनी
प्रबंधन मौन ही नजर आ रहा है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मध्य
प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा आवश्यक और निर्धारित प्रक्रिया से जांच
कर इस बात की संतुष्टि कर ली गई है कि झाबुआ पावर लिमिटेड की प्रस्तावित विद्युत
परियोजना राज्य में विद्युत की कमी की पूर्ति और क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने
के लिए आवश्यक है। इस परियोजना से क्षेत्र का किस तरह का, कैसा और कितनी समयावधि में विकास होगा
इस बारे में भी शिवराज सिंह चौहान ने मौन ही साध रखा है। कहा जा रहा है कि झाबुआ
पावर लिमिटेड को इसी साल (2013) में फरवरी माह से ही विद्युत उत्पादन आरंभ कर देना
चाहिए था।
वहीं, झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा ब्रितानी
हुकुमत के दौरान अखण्ड भारत पर शासन करने वाले अंग्रेाजों द्वारा बनाए गए भू अर्जन
अधिनियम 1894 की धारा 41 के अंतर्गत विहित प्रावधान के अनुरूप अनुबंध निष्पादित
किया है। अंग्रेजों के समय भारतीयों से जमीन अधिग्रहण के दौरान हिन्दुस्तानियों को
कम से कम फायदा होने की गरज से कानून बनाए गए थे। भारत गणराज्य की स्थापना के बाद
आज भी देश में अनेक कानून की कंडिकाएं उन्हीं के मुताबिक जस की तस ही हैं।
जबसे झाबुआ पावर लिमिटेड ने सिवनी जिले
के घंसौर में कदम रखा है उसके बाद से आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में
आदिवासियों की जमीन पर लोगों की निगाहें गड़ गईं हैं। क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं
के अनुसार कंपनी ने आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनकी जमीन हड़प ली है। भोले भाले
आदिवासी अब कंपनी प्रबंधन के आगे पीछे घूमकर उन लुभावने प्रस्तावों को पूरा करवाना
चाह रहे हैं तो उन्हें झिड़की के अलावा और कुछ नहीं मिल रहा है।
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