कांटों भरा ताज पहना है खण्डूरी ने
एक तीर से कई निशाने साध लिए भाजपा आला नेताओं ने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में जिस चतुराई से निशंक को बाहर का रास्ता दिखाया गया उससे भाजपा के आला नेता हत्प्रभ थे। आखिर कौन एसा मास्टरमाईंड था जो नितिन गड़करी के अति विश्वस्त रमेश पोखरियाल को मात दे गया। धीरे धीरे परतें खुलने लगीं और फिर सामने आया कि पूरी व्यूह रचना भगत सिंह कोशियारी के इशारों पर ही ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे‘ की तर्ज पर रची गई थी।
निशंक के हाथों से फिसली सत्ता की बागड़ोर और कमान को देखकर भाजपा के आला नेताओं ने उनके स्थान पर कोश्यिारी या खण्डूरी में से एक को सत्तासीन करने का विचार बनाया था। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि कोश्यारी ने बड़ी ही चतुराई से अपने मार्ग का कांटा निकाल दिया है। उन्होंने इस संक्रमण काल में सत्ता की बागडोर सेना से सेवानिवृत हुए खण्डूरी को सौंपने में अपनी सहमति जता दी। सूत्रों का कहना है कि इस साल दिसंबर तक आचार संहिता लागू हो सकती है। वर्तमान में पितर फिर नौ दिनों का दुर्गा उत्सव। इसके बाद दीपावली और अन्य अवकाश। इस तरह खण्डूरी को अपना जलवा दिखाने के लिए चार दर्जन से भी कम दिन बचते हैं।
उधर कोश्यारी के करीबी सूत्रों का कहना है कि चतुर सुजान कोश्यारी ने एक ही तीर से कई निशाने साध लिए हैं। अगर वे सीएम की कुर्सी संभालते तो उन्हें लोकसभा से त्यागपत्र देना पड़ जाता। फिर किसी ने उन्हें स्व.प्रमोद महाजन की नीति सुझाई। ज्ञातव्य है कि प्रमोद महाजन ने अपनी चालों से केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को दिल्ली का निजाम बनवा दिया था। उस समय सुषमा के हाथ से केंद्रीय मंत्री पद गया, सांसदी गई और तीन महीने में ही दिल्ली में भाजपा सत्ता से उठकर विपक्ष में बैठ गई। बताते हैं यह बात कोश्यारी को जम गई। अगर चुनाव में हार हुई तो खण्डूरी अपने आप ही साईज में आ जाएंगे। निशंक का तो विरोध तेज है ही तब सूबे में वे ही इकलौते मीर बचेंगे।
2 टिप्पणियां:
खरेजी एक साईट है http://himalayauk.org . इसे अवश्य देखिएगा. आपका यही लेख उसमे भी प्रकाशित हुआ है पर कुछ फेरबदल के साथ. बतौर लेखक नाम आपका ही लिखा है. क्या ये आपके ही विचार हैं या इस साईट के मालिक ने अपनी तरफ से इसमें कुछ जोड़कर आपके ही नाम से प्रकाशित करवा दिया है? अगर उसने ऐसा किया है तो क्या ये नियम विरुद्ध नहीं? क्या उस पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? ये तो आपके विरुद्ध अपराधिक षड़यंत्र है. कृपया इसे देखिएगा अवश्य.
किस मास्टरमाईंड ने गड़करी के अति विश्वस्त को मात दी
(लिमटी खरे)
उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग में एस0एम0एस0 द्वारा प्रचार प्रसार के लिए 50 लाख की मंजूरी देते हुए फाइल मूव करायी गयी
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में जिस चतुराई से निशंक को बाहर का रास्ता दिखाया गया उससे भाजपा के आला नेता हत्प्रभ थे। आखिर कौन ऐसा मास्टरमाईंड था जो नितिन गड़करी के अति विश्वस्त रमेश पोखरियाल को मात दे गया। धीरे धीरे परतें खुलने लगीं और फिर सामने आया कि पूरी व्यूह रचना भगत सिंह कोशियारी के इशारों पर ही ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे‘ की तर्ज पर रची गई थी। वहीं यह भी चर्चा है कि डा0 निशंक का नकारा स्टाफ उन्हें आगाह तक नहीं कर पाया, मुख्यमंत्री बनने के बाद जब भी कुछ संकट के बादल फैले, निशंक के नकारा स्टाफ को कानो कान हवा तक नहीं लगी, हमेशा कुछ बाहरी विश्वस्तों ने ही निशंक को आगाह किया, वहीं निशंक के स्टाफ पर ऊपरी स्तर से कडी निगाह थी, मनवीर चौहान व द्विवेदी जनता की नापंसद के प्रमुख केन्द्र बनते गये, और इनकी एक एक हरकत दिल्ली से होते हुए नागपुर तक पहुंचती गयी, यह भी खबर ऊपरी स्तर तक पहुंची कि स्वास्थ्य विभाग में एस0एम0एस0 द्वारा प्रचार प्रसार के लिए 50 लाख की मंजूरी देते हुए फाइल मूव करायी गयी, अब यही अधिकारी बचने के लिए कह रहे है कि उन्होंने एसएमएस कैम्पैनिंग के लिए 50 लाख रूपये की मंजूरी की फाइल लटकायी। इस तरह जहां कुछ के लिए 50 लाख एसएमएस द्वारा प्रचार प्रसार के लिए वहीं असलियत में एसएमएस अभियान चलाने वालों के लिए शायद निशंक सरकार के पास कुछ नहीं था,
निशंक के हाथों से फिसली सत्ता की बागड़ोर और कमान को देखकर भाजपा के आला नेताओं ने उनके स्थान पर कोश्यिारी या खण्डूरी में से एक को सत्तासीन करने का विचार बनाया था। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि कोश्यारी ने बड़ी ही चतुराई से अपने मार्ग का कांटा निकाल दिया है। उन्होंने इस संक्रमण काल में सत्ता की बागडोर सेना से सेवानिवृत हुए खण्डूरी को सौंपने में अपनी सहमति जता दी। सूत्रों का कहना है कि इस साल दिसंबर तक आचार संहिता लागू हो सकती है। वर्तमान में पितर फिर नौ दिनों का दुर्गा उत्सव। इसके बाद दीपावली और अन्य अवकाश। इस तरह खण्डूरी को अपना जलवा दिखाने के लिए चार दर्जन से भी कम दिन बचते हैं।
उधर कोश्यारी के करीबी सूत्रों का कहना है कि चतुर सुजान कोश्यारी ने एक ही तीर से कई निशाने साध लिए हैं। अगर वे सीएम की कुर्सी संभालते तो उन्हें लोकसभा से त्यागपत्र देना पड़ जाता। फिर किसी ने उन्हें स्व.प्रमोद महाजन की नीति सुझाई। ज्ञातव्य है कि प्रमोद महाजन ने अपनी चालों से केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को दिल्ली का निजाम बनवा दिया था। उस समय सुषमा के हाथ से केंद्रीय मंत्री पद गया, सांसदी गई और तीन महीने में ही दिल्ली में भाजपा सत्ता से उठकर विपक्ष में बैठ गई। बताते हैं यह बात कोश्यारी को जम गई। अगर चुनाव में हार हुई तो खण्डूरी अपने आप ही साईज में आ जाएंगे। निशंक का तो विरोध तेज है ही तब सूबे में वे ही इकलौते मीर बचेंगे।
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