अम्मा वर्सेस अण्णा!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश की राजनैतिक राजधानी में आजकल अम्मा वर्सेस अण्णा की चर्चाएं चटखारे लेकर हो रही हैं। अम्मा यानी जयललिता अब अण्णा हजारे की गांधीगिरी और अनशन की बीमारी से हलाकान नजर आ रही हैं। अन्नादुरै जयंती पर 15 सितम्बर को जब हजारों मछुआरों ने अम्मा की इमदाद लेने से इंकार किया तो जयललिता का पारा सातवें आसमान पर ही पहुंच गया।
बताते हैं कि अम्मा ने अपने दूतों को मामले का पता लगाने रवाना किया। बाद में जो परिदृश्य अम्मा के सामने आया उससे अम्मा को लगने लगा कि अण्णा हजारे की अनशन और गांधीगिरी की संक्रामक बीमारी इतनी जल्दी उत्तर से दक्षिण तक कैसे पहुंच गई। अम्मा के दूतों ने उन्हें बताया कि जब मछुआरों से अनशन तोड़ने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि बात कहीं भी और कभी भी हो जाएगी। समस्या बातचीत की नही है पर अनशन जारी रहेगा।
दूतों ने अम्मा को बताया कि मछुआरे इस बात पर खफा हैं कि आखिर अम्मा ने विधानसभा में राजीव गांधी के हत्यारों की सजा माफ करवाने का प्रस्ताव कैसे कर दिया। इतना ही नहीं कुडनकूलम में प्रस्तावित परमाणु बिजलीघर परियोजना को जनता के विरोध के बाद भी रद्द क्यों नहीं किया जा रहा है। अम्मा के करीबी सूत्रों का दावा है कि अम्मा अब कांग्रेस के रणनतिक प्रबंधकों को पानी पी पी कर कोस रहीं हैं जिन्होंने अण्णा मामले में गलत कदम उठाए और अण्णा को रातों रात हीरो बनवा दिया। अण्णा की आग की चिंगारी कम समय में ही समूचे देश में फैल चुकी है।
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