फिर उलझा फोरलेन का मसला!
राजनैतिक सक्रियता में गेंद एक दूसरे के पाले में फेंकने लगी कांग्रेस भाजपा
नौ दिन चले अढ़ाई कोस
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। धवल छवि के धनी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की राजग सरकार की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में पेंच का पेंच अब भी नहीं निकाला जा सका है। पूर्व भूतल परिवहन एवं वर्तमान शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर कांग्रेस के आधा दर्जन सेकड़ा प्रतिनिधिमण्डल की वनमंत्री और भूतल परिवहन मंत्री से भेंट का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।
गौरतलब है कि तत्कालीन जिलाधिकारी पिरकीपण्डला नरहरि के 18 दिसंबर 2008 के आदेश क्रमांक 3266/फो.ले./2008 जिसे 19 दिसंबर को पृष्ठांकित किया गया था के द्वारा राज्य सरकार से आदेश मिलने की प्रत्याशा में पूर्व कलेक्टर द्वारा सिवनी जिले में मोहगांव से खवासा तक के भाग में सड़क चौड़ीकरण हेतु जारी वन एवं गैर वन क्षेत्रों की वनों की कटाई पर रोक लगा दी थी। इसके उपरांत सड़क की राजनीति के गर्म तवे पर न जाने कितने ही शैफ (मुख्य रसोईए) आए और अपनी अपनी रोटियां सैंकते चले गए। न्यायालयीन प्रक्रियाओं के चलते इस सड़क पर हाथ लगाने से हर कोई घबरा रहा था।
इसके बाद जब मामला इस साल के आरंभ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पास गया तब से यह ठंडे बस्ते के ही हवाले है। राज्य सरकार द्वारा पेंच नेशनल पार्क और कान्हा नेशनल पार्क के वाईल्ड लाईफ कारीडोर के बारे में क्या प्रतिवेदन भेजा है भेजा भी है अथवा नहीं इस बारे में सभी मौन हैं। सिवनी के चार विधायक और दो सांसदों का भी मौन आश्चर्यजनक ही है। वस्तुतः इन्हें राज्य सरकार और केंद्र सरकार से पत्र लिखकर इस मामले की वास्तविकता को पता करना था और जनता के समक्ष रखना था, किन्तु एक बाहुबली क्षत्रप से भयाक्रांत कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने एक साथ इस मामले में तलवारें कतार बद्ध होकर रेते में गड़ा रखी हैं।
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के वरद हस्त प्राप्त केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी के करीबी सूत्रों का कहना है कि सिवनी जिले से आए प्रतिनिधिमण्डल की मांग पर उन्होंने दो टूक कह दिया कि राज्य सरकार से प्रास्ताव आने पर वे इस बारे में विचार करेंगे। मतलब साफ है कि एक साल से मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके विधायक फोरलेन मामले में कुंभकर्णीय निंद्रा में हैं। रही बात कांग्रेस की तो वह तो मृत्यु शैया पर ही है, कांग्रेस की ओर से इस मामले को विधानसभा या लोकसभा में उठाए जाने की कल्पना करना बेमानी ही है।
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