नीता के गोलमोल प्रश्न का गोलमोल जवाब दिया मलैया ने
पेंच मामले में मरहम लगाने की असफल कोशिश
(नंद किशोर)
भोपाल। छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के किसानों के लिए 1984 में बनी महात्वाकांक्षी पेंच परियोजना कांग्रेस और भाजपा के शासन के बावजूद भी सत्ताईस सालों के कालांतर में परवान नहीं चढ़ सकी है। इस योजना में एक ईंट भी न लग पाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। कांग्रेस के मध्य प्रदेश के एक क्षत्रप की नाराजगी का शिकार हुई इस परियोजना को एसा पक्षाघात हुआ कि भाजपा के चिकित्सक भी इस मरीज को हाथ लगाने से कतरा रहे हैं।
सिंचाई विभाग के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि बढ़ती लागत के चलते राज्य सरकार द्वारा पेंच परियोजना को बंद करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। घोषणावीर मुख्यमंत्री को इस बात का इल्म नहीं था। अनजाने में ही उन्होंने छिंदवाड़ा के किसानों के समक्ष इस योजना को बंद न किए जाने की घोषणा कर दी। सिंचाई विभाग के आला अधिकारी अब संशय में ही हैं कि इस परियोजना को चालू कैसे रखा जाए।
सूत्रों ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर ही इस परियोजना को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया है। इसमें ‘स्टेटस को‘ की स्थिति बना दी गई है अर्थात अब न तो केंद्र से ही कोई पत्र व्यवहार किया जाए और न ही राज्य सरकार इस मामले में कोई पहल करे। अगर इस संबंध में कोई पत्राचार भी करता है तो उसे भी गोल मोल ही जवाब दिया जाकर मामला शांत करवा दिया जाए।
इस संबंध में सिवनी की पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया ने विधानसभा में एक प्रश्न पूछा, तो शिवराज सिंह चौहान अचंभित रह गए। वे इसलिए चौंक गए क्योंकि श्रीमति पटेरिया भाजपा की विधायक हैं, और सूबे में सरकार भी भाजपा की ही है। श्रीमति पटेरिया ने किसानों का हित साधते हुए प्रश्न किया कि क्या किसानों की हित संवर्धक पेंच परियोजना को बंद करने का राज्य सरकार का कोई प्रस्ताव है।
विधानसभा में श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा लगाए गए प्रश्न क्रमांक 1421 में एक पूरक प्रश्न भी लगाया कि यह परियोजना कब तक पूरी हो जाएगी। इसके जवाब में सिंचाई मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि इस परियोजना में भूअर्जन का काम चल रहा है, जिसमें कुछ विलंब हो रहा है। यह परियोजना कब तक पूरी हो पाएगी यह बताया जाना संभव नहीं है। श्रीमति पटेरिया ने यहां तक ही किसानों का हित साधा।
इसके बाद पता नहीं श्रीमति पटेरिया ने किसानों के हित संवंर्धन को आगे नहीं बढ़ाते हुए यह नहीं पूछा कि क्या कारण है कि यह परियोजना सत्ताईस सालों से हिचकोले खा रही है? क्या कारण है कि इसमें बार बार भ्रम की स्थिति बनती जा रही है। आखिर क्या वजह थी कि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया जिला कलेक्ट्रेट सिवनी के सभाकक्ष में चल रही आवश्यक बैठक को छोड़कर सर्किट हाउस में केवलारी के कांग्रेस विधायक हरवंश सिंह के बुलावे पर चले गए और उनसे लंबी चर्चा के बाद जब बाहर निकले तो किसानों से बदसलूकी की? क्या वजह है कि पुलिस में भाजपा के युवा नेता के खिलाफ इस मामले में प्रथम सूचना दर्ज हो गई? इन सहित अनेक जनहित के मामलों में श्रीमति पटेरिया ने संवेदना नहीं दिखाया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
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