शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

हरीश खरे से खासे खफा हैं कांग्रेस के क्षत्रप


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 42

हरीश खरे से खासे खफा हैं कांग्रेस के क्षत्रप

अटल से करीबी गिरा सकती है खरे पर गाज


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे के प्रबंधन पर कांग्रेस के आला नेता अब खुलकर सामने आते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के अंदर हरीश खरे को हटाने अकुलाहट बढ़ती ही जा रही है। हरीश खरे पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से करीबी के आरोप भी लग रहे हैं। कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार खरे द्वारा मीडिया प्रबंधन के काम को कुशलता से अंजाम दिए जाने के बजाए मनमोहन सिंह को शर्मसार अधिक करवाया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के बीच खाई खोदने में भी हरीश खरे की भूमिका है। हरीश खरे के अकुशल मीडिया प्रबंधन की मिसाल के तौर पर लोग प्रधानमंत्री की मीडिया के साथ दो मुलाकातों का ब्योरा दे रहे हैं। दोनों ही बार प्रधानमंत्री को राहत मिलने के बजाए उन्हें शर्मसार ज्यादा होना पड़ा है। पीएमओ की तरफ से चीन और बंग्लादेश के लिए कही गई ऑफ द रिकार्ड बातचीत ने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवाद को ही जन्म दिया था। प्रधानमंत्री की गिरी हुई साख को उठाने में खरे पूरी तरह से नाकाम ही रहे हैं।

रामलीला मैदान में भी अण्णा हजारे के अनशन के दौरान भी प्रधानमंत्री असहाय ही नजर आए। उस वक्त लगने लगा था कि पीएम का प्रबंधन कितना लचर है। इस दौरान कुछ पत्रकार ही खरे से प्रसन्न रहे बाकी सब सूचना पाने के लिए जब भी हरीश खरे को फोन मिलाते वहां से कोई जानकारी न मिलने पर उन पर बरस पड़ते। पत्रकारों को बेतुके जवाबों के चलते खरे वैसे भी संदेह के दायरे में ही आ चुके हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के खासे करीबी माने जाने वाले प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे सूचनाएं देने में रेवड़ियां चीन्ह चीन्ह कर बांटते हैं। भाजपा समर्थित एक समाचार पत्र के पत्रकार का तो हरीश खरे पर सीधा सीधा आरोप है कि उन्होंने उस पत्रकार को सूचना देने से ही मना कर दिया। उक्त पत्रकार इस मामले को लेकर प्रेस परिषद की शरण में जाने की तैयारी में जुट गए हैं।

कांग्रेस के आला नेता भी अब हरीश खरे की प्रधानमंत्री कार्यालय से बिदाई में लग गए हैं। जब से सोनिया के अति विश्वस्त पुलक चटर्जी ने पीएमओ में आमद दी है तब से ही हरीश खरे असहज महसूस करने लगे हैं। मीडिया की पृष्ठभूमि वाले एक केंद्रीय मंत्री इन दिनों अपने खासुलखास को पीएमओ में प्रधानमंत्री का मीडिया सलाहकार बनाने की जुगत में लग चुके हैं। संभवतः उनकी सोच होगी कि अपने खासुलखास मीडिया सलाहकार के रास्ते ही वे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनते ही वे मलाईदार कैबनेट मंत्रालय पा जाएं।

(क्रमशः जारी)

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