शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

केंद्र के नियमों का पालन करने में कोताही बरत रहे हैं शिवराज


लूट मची है मनरेगा के कामों में . . . 4

केंद्र के नियमों का पालन करने में कोताही बरत रहे हैं शिवराज

मनरेगा के कामों को बनाया लूट का अड्डा


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस बात पर बेहद हैरान है कि अरबों रूपए फूंकने के बाद भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून जमीनी स्तर पर बुरी तरह फ्लाप कैसे है। पिछले दिनों में हुई ग्रामीण विकास मंत्रालय की बैठक में अप्रेल 2011 तक विजलेंस मानिटरिंग कमेटी की बैठकों का पिछले पांच साल का लेखा जोखा देखा तो अफसरों के होश उड़ गए। अरबों रूपए खर्च करने के बाद भी यह कमेटी कोई ठोस नतीजा देने में असफल ही रही।

इस बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि भाजपा की मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार, गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ ही साथ बिहार, पंजाब, झारखण्ड और उत्तराखण्ड जैसे राज्यों में पिदले पांच सालों से मानीटरिंग कमेटी की बैठक ही आहूत नहीं हुई। कहा जा रहा है कि बैठक में इस बात को भी रेखांकित किया गया कि मध्य प्रदेश में मनरेगा के कामों में सबसे अधिक भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पांच सालों में महाराष्ट्र ने नौ, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने तीन तीन, छत्तीसगढ़ ने दो, हरियाणा ने एक ही बैठक आयोजित की। सूत्रों ने कहा कि वस्तुतः देश के सभी राज्यों को इन पांच सालों में कम से कम 330 बैठकें आहूत करना आवश्यक था। इसकी तुलना में देश में मनरेगा मानीटरिंग कमेटी की महज 56 बैठकें ही हो पाई हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि मनरेगा के नियमों के अनुसार राज्य स्तर पर विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठक साल में कम से कम दो बार तो आहूत होना ही चाहिए। इतना ही नहीं जिला स्तर पर साल में मनरेगा की मानीटरिंग कमेटी की बैठक साल में कम से कम चार बार होना अनिवार्य रखा गया है। मजे की बात है कि देश में किसी भी हिस्से के जिला कलेक्टर ने मनरेगा के नियमों का पालन ही नहीं किया।

सूत्रों ने आगे कहा कि मनरेगा की निगरानी समिति की बैठकों में वहां के स्थानीय सांसद और विधायकों को शामिल करने का दायित्व भी जिला कलेक्टर्स के कांधों पर ही डाला गया है। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी कोटरी इस बात पर सबसे ज्यादा हैरान हैं कि केंद्र शासन की इस अभिनव योजना को भाजपा शासित राज्यों में पलीता लगाया जा रहा है और जिला स्तर पर कांग्रेस मूक दर्शक बनी इस भ्रष्टाचार में सहभागी होने का धर्म निभा रही है।

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