शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

अविश्वास प्रस्ताव से कांग्रेस की किरकिरी


अविश्वास प्रस्ताव से कांग्रेस की किरकिरी

भूरिया राहुल का असफल रहा प्रबंधन

एक बार फिर सैट नजर आई कांग्रेस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने में सूबाई कांग्रेस नाकाम ही रही। भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कांग्रेस अंततः खेत ही रही। शिवराज सिंह चौहान ने महज 658 करोड़ रूपए की बिजली बिना निविदा के खरीदी और कांग्रेस उनकी देहरी पर मुजरा करते ही नजर आई। तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने सड़कों के सुधार के लिए बीस हजार करोड़ रूपए दिए पर शिवराज का दावा है कि उन्हें महज 144 करोड़ रूपए ही मिले।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय 24 अकबर रोड़ में शिवराज के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के स्वांग पर छींटाकशी के दौर थम नहीं रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पीछे खड़े राजा दिग्विजय सिंह के अकुशल प्रबंधन को सभी आड़े हाथों ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब तैयारी ही पूरी नहीं थी तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस की भद्द पिटवाने का क्या ओचित्य था। इतना ही नहीं दिग्गी विरोधी गुटों ने इसका पूरा लेखा जोखा तैयार कर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी के दरबार में मामले को घसीटने का मन बना लिया है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि शहरी विकास मंत्री कमल नाथ ने हाल ही में मध्य प्रदेश दौर के दर्मयान आरोप लगाए थे कि उन्होंने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को नेशनल हाईवे के सुधार के लिए बीस हजार करोड़ रूपए की इमदाद दी थी। उधर शिवराज सिंह चौहान ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कहा कि कमल नाथ ने केंद्रीय सड़क निधि से 14 सौ करोड़ रूपए देने का वायदा किया था किन्तु उन्हें महज 144 करोड़ रूपए ही मिले।

इस मामले में कमल नाथ गलत बयानी कर रहे हैं या शिवराज यह कहना मुश्किल है किन्तु प्रदेश के कांग्रेस के विधायकों ने इस बात पर अपत्ति न करना साफ जाहिर करता है कि प्रदेश कांग्रेस पूरी तरह शिवराज मय हो चुकी है। हालात देखकर लगने लगा है कि कांग्रेस इन दिनों शिवराज की देहरी पर मुजरा ही कर रही है।

इसी तरह बिजली के मामले में भी कांग्रेस के बिजली के मामले में 14 हजार करोड़ रूपए के आरोप को गलत ठहराते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि इस तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने महज 658 करोड़ 60 लाख रूपए की बिजली ही बिना निविदा के खरीदी है। देखा जाए तो डम्फर मामले में क्लीन चिट लेने और कांग्रेस के बोथरे तीरों के बाद शिवराज सिंह चौहान के हौसले बुलंदी पर हैं।

राज्य सरकार द्वारा अगर एक रूपए की बिजली भी बिना निविदा के खरीदी है तो यह मामला संगीन और अवैध है। इस मामले में कांग्रेस की चुप्पी आश्चर्यजनक ही है। कांग्रेस के मौन रहने से उन अफवाहों को बल मिल रहा है जिनमें कहा जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही राज्य सरकार से लाखों रूपए महीना का अघोषित वजीफा पा रहे हैं।

मध्य प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लाए गए अब तक के पहले अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा ने तो परचम लहरा दिया किन्तु सूबे में पहले से ही उखड़ी सांसों वाली कांग्रेस की जमकर भद्द पिटी। चार दिन तक कांग्रेस के लगाए गए हर आरोप का शिवराज सिंह चौहान ने सिलसिलेवार जवाब दिया। अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में शिवराज के पक्ष में 149 तो विपक्ष में 63 मत पड़े। इस अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस की तैयारी को देखकर लगने लगा है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में सूबे में एक बार फिर कमल को खिलने से कोई रोक नहीं सकता है।

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