बुधवार, 18 जनवरी 2012

पावर प्लांट के प्रदूषण में पीसीबी का कोई रोल नहीं: शुक्ला


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  52

पावर प्लांट के प्रदूषण में पीसीबी का कोई रोल नहीं: शुक्ला

सारी जवाबदेही जिला कलेक्टर सिवनी पर आहूत: शुक्ला



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। ‘‘देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के द्वारा प्रदूषण फैलेगा यह बात संयंत्र की स्थापना के उपरांत ही पता चल पाएगी, रही बात लोकसुनवाई की तो मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल महज जिला प्रशासन के लिए असिस्टेंट की भूमिका ही निभाता है।‘‘ उक्ताशय की बात मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अध्यक्ष एन.पी.शुक्ला ने गत दिवस दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही।
श्री शुक्ला ने कहा कि यह सच है कि लोक सुनवाई मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा आहूत की जाती है, किन्तु इस तरह की लोकसुनवाई में पीसीबी के अधिकारियों की भूमिका महज सहयोगी की ही होती है। सारा काम जिला प्रशासन सिवनी द्वारा किया जाता है। पीसीबी तो महज वहां व्यवस्था के लिए ही होती है।
पीसीबी के चेयरमेन श्री शुक्ला ने आगे कहा कि लोक सुनवाई का कार्यवाही विवरण भी जिला प्रशासन द्वारा ही तैयार करवाया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों की उपस्थिति और भूमिका के प्रश्न पर श्री शुक्ला ने कहा कि मौके पर लोगों की आपत्तियों को सुनने के लिए संबंधित जिले का जिला प्रशासन मौजूद रहता है। वह जो भी प्रतिवेदन या कार्यवाही विवरण बनाकर देता है उसे ही मूलतः क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से मुख्यालय भोपाल भेजा जाता है जहां से इसे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रेषित कर दिया जाता है।
जब श्री शुक्ला के संज्ञान में 22 अगस्त 2008 और 22 नवंबर 2011 को मे.झाबुआ पावर लिमिटेड के घंसौर में दो चरणों में लगने वाले पावर प्लांट की लोकसुनवाई में हुई अनियमितताओं को लाया गया तो उन्होनें इससे अनिभिज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि वे इसका पता लगवाते हैं। गौरतलब है कि संयंत्र प्रबंधन को पहले चरण में संयंत्र लगाने की अनुमति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रदान की जा चुकी है।

(क्रमशः जारी)

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