रविवार, 12 फ़रवरी 2012

सवर्णों के लिए गुरूजी पर राहुल का दांव


सवर्णों के लिए गुरूजी पर राहुल का दांव



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस की नजर में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी अब सवर्ण वोट बैंक को लुभाने की जुगत में भी दिख रहे हैं। राहुल की सलाह पर कांग्रेस ने सोनिया गांधी के करीबी महासचिव जनार्दन द्विवेदी को बतौर ब्राम्हण चेहरा सामने किया है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी इन दिनों द्विवेदी को खासी तरजीह दे रहे हैं। कांग्रेस में द्विवेदी को ‘‘गुरूजी‘‘ के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
गौरतलब है कि अपने चुनावी दौरों में राहुल गांधी अपने साथ स्थानीय सांसद, प्रत्याशी एवं यूपी कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी को ही लेकर चलते हैं। राहुल के करीबियों का कहना है कि भले ही द्विवेदी का जनाधार न हो पर वे यूपी से ही हैं और ब्राम्हण होने के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश विशेषकर बुंदेलखण्ड के जातीय और सियासी समीकरणों से भली भांति परिचित हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस से दूर होते सवर्ण विशेषकर ब्राम्हण वोटों को साधने के लिए राहुल गांधी ने जनार्दन द्विवेदी को उत्तर प्रदेश में साथ लेकर चलना आरंभ किया है।
जनार्दन द्विवेदी हिन्दी के पंडित होने के साथ ही साथ सोनिया गांधी के विश्वस्त भी हैं। सोनिया गांधी के लिए भाषण लिखने के काम को भी द्विवेदी बखूबी अंजाम दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के मीडिया सेल के प्रमुख गुरूजी को 10, जनपथ की नज़दीकियों का खासा लाभ मिल रहा है। संभवतः यही कारण है कि राहुल गांधी अपने यूपी के दौरों में गुरूजी को साथ लेकर चल रहे हैं। राहुल गांधी का द्विवेदी पर लगाया दांव किस हद तक कारगर साबित होगा यह तो वक्त ही बताएगा किन्तु राहुल के इस कदम से यूपी अन्य कांग्रेसी नेता अवश्य ही अंदर ही अंदर कसमसाए हुए हैं।
जनाधार न होने के कारण गुरूजी को दूसरी बार राज्य सभा से चुना गया है। कांग्रेस के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि अगर उत्तराखण्ड की तर्ज पर बुंदेलखण्ड अलग राज्य बनता है, और वहां कांग्रेस की सरकार बनी तो निश्चित तौर पर जनार्दन द्विवेदी बुंदेलखण्ड के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री बन जाएंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: