सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

भईया जी नहीं चाहते मनमोहन रहें पीएम


ये है दिल्ली मेरी जान



(लिमटी खरे)

भईया जी नहीं चाहते मनमोहन रहें पीएम
वज़ीरे आज़म की बिदाई किसी भी वक्त हो सकती है। प्रधानमंत्री के सहयोगी मंत्री ही अब पीएम की बिदाई की कामना में लग गए हैं। अब उनके सहयोगी मंत्री ही भविष्य का संकेत दे रहे है। यूपी कोटे से केंद्रीय इस्पात मंत्री बने बेनी प्रसाद वर्मा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उम्र ज्यादा होने के बारे में विवादास्पद बयान दे डाला। वर्मा ने शनिवार को जौनपुर में कहा कि पीएम मनमोहन सिंह 80 साल के हैं, 2014 में 82 के हो जाएंगे। काम करने की आयु और सीमा होती है। ऐसे हालात में राहुल जी प्रधानमंत्री बनेंगे। बेनी ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के हाथों को मजबूत करने के लिए कहा। बेनी वर्मा की इस कामना से लगने लगा है कि अब मनमोहन सिंह के सहयोगी ही उनकी बिदाई का ताना बाना बुन रहे हैं। संभवतः यह पहला मौका होगा जब किसी मंत्री ने प्रधानमंत्री की इस तरह सीधे सीधे मुखालफत की हो। राहुल गांधी की तारीफों में कशीदे गढ़कर कांग्रेसी नेता राहुल कैबनेट में अपने अपने स्थान पुख्ता करने में लगे हुए हैं।

जनता के धन में आग लगातीं अंबिका!
देश की सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने जनता के गाढ़े पसीने से संचित अरबों खरबों रूपयों को पानी में बहाने की तैयारी पुख्ता कर ली है। इस साल सूचना प्रसारण मंत्रालय के सरकारी कलेंडर में सोनिया गांधी के संदेश और फोटो को वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह से पहले स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं करोड़ों की तादाद में छपे इन मंहगे कलेण्डर को देश के छः लाख गांवों में निजी तौर पर भेजा जा रहा है। इसके लिए चार चके के वाहन में जीपीएस लगवाकर काम को अंजाम दिया जा रहा है। इसका ठेका निजी कंपनियों को दिया गया है। मंत्रालय ने जिला कलेक्टर से लेकर ग्राम पंचायत तक इस कलेंडर को बटवाने की व्यवस्था की है। आम चुनावों के पहले कांग्रेस अपनी छवि के निर्माण के लिए जनता के धन के पैसे का सरासर दुरूपयोग किए जा रही है और विपक्ष में बैठी भाजपा मूकदर्शक बनी बैठी है।

कैबनेट के बाहर हो गए अनंत कुमार!
भारतीय जनता पार्टी में अनंत कुमार इन दिनों हाशिए पर ही चल रहे हैं। एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा के उपरांत शिकवे शिकायतों के पुलिंदों ने अनंत कुमार को आड़वाणी की किचिन कैबनेट से हटाकर किनारे लाकर खड़ा कर दिया है। दरअसल, दादा की रथ यात्रा के प्रभारी रहे अनंत कुमार से आड़वाणी का परिवार खासा खफा है। आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि यात्रा के दौरान उनका अख्खड़ और घमंडी स्वभाव आड़वाणी के परिवार को आहत कर गया। बची खुची कसर निकाली दी रविशंकर प्रसाद और अर्जुन मुण्डा ने। दोनों ही नेताओं को अनंत कुमार ने अपने अपने क्षेत्रों में माईक पकड़ने ही नहीं दिया। अनेक नेता इसलिए भी नाराज थे, क्योंकि अनंत कुमार ने सबको अंडर एस्टीमेट करते हुए किनारे किया था। आड़वाणी जुडांली इस बात से भी खफा है कि अनंत कुमार के चलते आड़वाणी की रथ यात्रा को वांछित कव्हरेज नहीं मिल पाया।

राहुल से तगड़ा है प्रियंका का मीडिया मैनेजमेंट
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की पीआर बेहद ही कमजोर लोगों के हाथों में है। यही कारण है कि मीडिया में उनकी छवि उस तरह की नहीं बन पा रही है जैसी कि इतने जतन के बाद बननी चाहिए। आज भी देश भर में राहुल गांधी को परिपक्व नहीं माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राजनीति के किनारे किनारे चलने वाली उनकी बहन प्रियंका का मीडिया मैनेजमेंट देखकर जानकार दातों तले उंगली दबा लेते हैं। प्रियंका की पीआर संभालने वाले लोगों ने समाचार चेनल्स के साथ ही साथ प्रिंट को भी मैनेज किया। मीडिया में प्रियंका की वढ़ेरा के स्थान पर गांधी वाली छवि को उकेरा जा रहा है। मीडिया को चुनावों के दौरान ही प्रियंका में अपनी दादी यानी प्रियदर्शनी श्रीमति इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देने लगती है। फिर क्या है लोग भावनात्मक रूप से प्रियंका और कांग्रेस से अविभूत ही नजर आने लगते हैं।

गड़करी की पीठ पर संघ का हाथ
महाराष्ट्र की सूबाई राजनीति से एकाएक उठकर देश के फलक पर छाने वाले भाजपा के निजाम नितिन गड़करी की लाटरी लग गई है। भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना वरद हस्त गड़करी की पीठ पर रख दिया है। गड़करी अब दूसरे टर्म के साथ ही देश के आम चुनाव भी करवाएंगे। प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी गड़करी ने न केवल भाजपा में ही अपनी मर्जी के मुताबिक काम किया है वरन् भगवा पार्टी को मनचाहे तरीके से हांका भी है। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि भाजपा को निर्देशित और मार्ग दिखाने वाला संघ इन दिनों गड़करी का खासा मुरीद हो चुका है। संघ ने गड़करी को साफ साफ कह दिया है कि वह गड़करी की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है।

पचौरी की अग्निपरीक्षा आरंभ
वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह की नाक का बाल बन चुके हरीश खरे को एकाएक प्रधानमंत्री कार्यालय से रूखसत कर उनके स्थान पर लाए गए टीवी एंकर पंकज पचौरी के सामने अब प्रमुख चुनौती यह सामने आ रही है कि क्या वे सरकार की नाकामियों पर पर्दा डालने का जतन कर पाएंगे। सरकार के आलोचकों और समालोचकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार हरीश खरे को आनन फानन हटाकर सरकार ने अपना चेहरा बदलने का प्रयास अवश्य ही किया है पर वह इस मामले में सफल नहीं हो पाएगी। इसका कारण यह है कि सरकार का चेहरा तो मनमोहन सिंह हैं, हरीश खरे तो बस मेकपमेन की भूमिका में थे। कहा जा रहा है कि हरीश खरे वाकई तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी थे, जिनके मुकाबले पंकज पचौरी पासंग में नहीं बैठ रहे हैं।

सिब्बल नहीं रहे मन के प्यारे
एक समय था जब प्रधानमंत्री आवास और कार्यालय में संचार मंत्री कपिल सिब्बल की तूती बोला करती थी। अब समय बदला है और सिब्बल की पूछ परख पीएमओ में कम हो चुकी है। पीएम के नए मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी ने इशारों ही इशारों में देश भर को बता दिया है कि कपिल सिब्बल की हैसियत और रसूख अब पीएमओ में नहीं बचा है। दरअसल, कपिल सिब्बल के फोटो आदि को फेसबुक और ट्विटर पर जमकर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। संभवतः यही कारण था कि सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर लगाम लगाने की वकालक कर डाली थी। उधर, पचोरी के पीएमओ में आमद देते ही प्रधानमंत्री कार्यालय ही ट्विटर पर आ गया। जानकारों का कहना है कि सिब्बल के सीधे विरोध के बाद इस तरह के कदम उठाने से साफ है कि पचौरी को इशारा दिया गया है वे इशारों में सिब्बल का कद समझा दें।

भट्टा परसौला न बन जाए घंसौर
जिस तरह जमीन के मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौला में किसानों का आदोलन छेड़ा था, उसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील जाते दिख रहा है। आदिवासियों की जमीनों पर जबरिया कब्जे के आरोप देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर लगने लगे हैं। बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के आदिवासियों की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि बिचौलियों के हाथों जमीन बेचने के बाद अब आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हो रहे हैं। जमीन का अधिग्रहण करते वक्त मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा आदिवासियों को जो सब्ज बाग दिखाए गए थे, वे अब तार तार हो रहे हैं। आलम यह है कि भोजन पानी के जुगाड़ में आदिवासी अब यत्र तत्र मेहनत मजदूरी को विवश हैं।

महामहिम बनने की तमन्ना मन में पाले बैठे हैं सेना प्रमुख
विवादों में घिरे सेना प्रमुख जनरल वी.के.सिंह मन ही मन रायसीना हिल्स को अपना आशियाना बनाने की जुगत में दिख रहे हैं। राजग की ओर से उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि आत्मविश्वास से लवरेज सेना प्रमुख कांग्रेस से टकराने में भी नहीं हिचक रहे हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि भाजपा की ओर से सेना प्रमुख को इस आशय के संकेत दिए जा चुके हैं। भाजपा को डर वाम दलों का है। वैसे बताते हैं कि प्रकाश करात का इसके लिए साफ्ट कार्नर है। पार्टी की अप्रेल में होने वाली बैठक में वाम दल इस मसले पर विचार कर सकते हैं। जनरल वी.के.सिंह अंदर ही अंदर फूले नहीं समा रहे होंगे, अधर, भाजपा द्वारा इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला और अजीत सिंह से भी बातचीत का मन बनाया जा रहा है।

ममता को लेकर कयास
कांग्रेस के साथ ममता बनर्जी की तल्ख बयानबाजी से अब सियासी गलियारों में इस बात को लेकर अंदाजा लगना आरंभ हो गया है कि त्रणमूल कांग्रेस का उंट अगले लोकसभा चुनावों के दौरान किस करवट बैठेगा? कयास लगाए जा रहे हैं कि ममता और कांग्रेस की तल्खी को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। वहीं कुछ का मानना है कि ममता वापस एनडीए के खेमे में जाने को आतुर दिख रही हैं। एनडीए में ममता बनर्जी की वापसी की खबरों का त्रणमूल कांग्रेस का एक धड़ा सिरे से विरोध कर रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार पश्चिम बंगाल में मुसलमानों ने त्रणमूल कांग्रेस को जितना समर्थन दिया है उससे कम तो वाम दलों को मिला करता था। इन परिस्थितियों में ममता बनर्जी भला अल्पसंख्यकों को नाराज कर भारतीय जनता पार्टी से हाथ कैसे मिला सकती हैं? वहीं, दूसरी ओर ममता की तल्खी को देखकर कांग्रेस के अंदरखाने में भी उनके खिलाफ रोष उमड़ने लगा है।

शिवराज पर संकट के बादल!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी संकट के बादल दिखाई पड़ने लगे हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पांच राज्यों की विधानसभाओं के परिणाम आने के उपरांत मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन अवश्यंभावी है। शिवराज सिंह चौहान के राज में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड ध्वस्त हो चुके हैं। सीबीआई, ईओडब्लू और लोकायुक्त छापों में सरकारी कर्मचारियों से अब तक अरबों की संपत्ति वसूली जा चुकी है। शिवराज की स्थित देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसी ही दिख रही है। शिवराज की दूसरी पारी में शायद ही कोई दिन एसा गया होगा जब मीडिया में किसी सरकारी कर्मचारी से लाखों करोड़ या अरबों रूपए मिलने की खबरें सुर्खियां न बनी हों। चुनावों में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में कांग्रेस इस बार नहीं चूकने वाली। यही कारण है कि शिवराज सिंह चौहान के सक्सेसर की तलाश शिद्दत से की जा रही है। चर्चाओं में भाजपा के एमपी चीफ प्रभात झा, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और अनूप मिश्रा के नाम सामने आए हैं।

कन्नोज के आलू किसान परेशान
समाजवादी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में सत्ता बनाने का दावा किया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि मुलायम सिंह यादव के साहेब जादे अखिलेश ही उत्तर प्रदेश नए निजाम होंगे। अखिलेश वर्तमान में कन्नौज से सांसद हैं। कन्नौज के आलू उत्पादक किसान जब अपनी समस्या लेकर मुलायम के पास गए तो मुलायम ने उन्हें पूरी तरजीह दी और मालूमात की कि आखिर आलू उत्पादकों की फसलें मण्डी तक क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं। मुलायम सिंह ने राजीव टंडन नामक विशेषज्ञ को बुला भेजा और एक प्रस्ताव तैयार करवाया। टंडन ने आलू प्रोसेसिंग यूनिट का प्रस्ताव बनाकर मुलायम को सौंप दिया। जिसमें कन्नौज में ही एक आलू प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की बात कही गई थी। मुलायम को कन्नौज से ज्यादा प्यार इटावा से है, फिर क्या था अब यह तय किया गया है कि आलू प्रोसेसिंग यूनिट इटावा में खुलेगा और कन्नौज के किसान करम पर ही हाथ रखे बैठे रहेंगे।

पुच्छल तारा
देश में दूसरी बार मौनी बाबा प्रधानमंत्री बने हैं। पहले पी.व्ही.नरसिंहराव ने पांच साल अपना मुंह बंद कर शासन चलाया इसके बाद कांग्रेस के कभी न चुनाव जीतने वाले डॉ.मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षकबनकर मौन हो गए हैं। इसी बात पर रूड़की से अमिता ने एक ईमेल भेजा है। अमिता लिखती हैं कि इंटरनेट की दुनिया में डॉ.मनमोहन सिंह का नाम ही बदल गया है। अब लोग उन्हें मौनमोहन सिंह कहने लगे हैं। इसका कारण भी है। मनमोहन जब भी कोई प्रस्ताव रखते हैं सदा ही उसका विरोध प्रणव मुखर्जी द्वारा कर दिया जाता है। फिर क्या मनमोहन सिंह मौन हो जाते हैं। इसलिए मनमोहन को अब मौनमोहन कहा जाने लगा है।

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