0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 63
कहां गई लोक सुनवाई की कार्यवाही
लोकसुनवाई के मामले में पीसीबी मौन!
पीसीबी के साथ भारी लेनदेन की चर्चाएं!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के केंद्र सरकार की छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर के ग्राम बरेला में लगाए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के दूसरे चरण की लोकसुनवाई हुए लगभग दो माह बीत रहे हैं, फिर भी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रयण मण्डल (एमपी पीसीबी) ने इस मामले में मौन ही साधे रखा है।
गौरतलब है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा लगाए जा रहे पहले चरण के 600 मेगावाट की लोकसुनवाई की अस्पष्ट और अपठनीय प्रति पीसीबी ने अपनी वेब साईट पर डाली गई है। आरोपित है कि पहले चरण की लोकसुनवाई 22 अगस्त 2009 को बड़े ही गोपनीय तरीके से संपन्न करवा दी गई थी। इसमें आई अपत्तियों के बारे में प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने क्या कार्यवाही की यह बात सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारी ही जानते हैं।
इसके दूसरे चरण की लोकसुनवाई 22 नवंबर 2011 को संपन्न हुई। इस बारे में भी पीसीबी की वेब साईट 22 नवंबर 2011 तक खामोश ही रही। लोकसुनवाई में जब इस मामले में शोर शराबा हुआ तब जाकर 23 नवंबर को वेब साईट को अपडेट किया जाकर लोकसुनवाई 22 नवंबर को होने की सूचना दी गई। आरोपित है कि 22 अगस्त 2009 को संपन्न हुई लोकसुनवाई के बारे में शोर शराबा होने पर इसे 17 अगस्त को अपडेट कर जानकारी इसमें डाली गई थी।
दूसरे चरण की लोक सुनवाई में पहले तो पीसीबी की वेब साईट पर संयंत्र प्रबंधन की ओर से पुराना अर्थात 22 अगस्त 2009 वाला कार्यकारी सारांश ही डाल दिया गया। बाद में जब इस मामले में भी शोर शराबा हुआ तब जाकर एक माह के उपरांत संयंत्र प्रबंधन द्वारा नया कार्यकारी सारांश बनाकर पीसीबी को दिया गया। पीसीबी ने गौतम थापर की देहरी पर कत्थक करते हुए पुराने कार्यकारी सारांश को बदल दिया गया। पीसीबी के सूत्रों के अनुसार करोड़ों रूपयों की चढ़ोत्री के उपरांत ही पीसीबी के अधिकारियों ने इस मामले में मौन साधे रखा गया है।
यक्ष प्रश्न आज भी यही उठ रहा है कि जब कार्यकारी सारांश ही पीसीबी की वेब साईट पर नहीं था, पीसीबी के कार्यालयों में कार्यकारी सारांश पुराना वाला था तो लोक सुनवाई आखिर किस आधार पर संपन्न हो गई। नियमानुसार तो यह लोकसुनवाई ही निरस्त किया जाकर नए सिरे से लोकसुनवाई संपन्न कराना चाहिए। चर्चा है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा प्रदूषण नियंत्रण मण्डलके अधिकारियों के सामने थैलियों के मुंह खोल दिए हैं। संभवतः यही कारण है कि भारी आर्थिक दबाव के चलते प्रदूषण नियंत्रण मण्डल भी झाबुआ पावर के सुर में सुर मिला रहा है।
यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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