हर्बल खजाना ----------------- 24
पौरूषत्व के लिए लाभकारी है गुडहल
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)। घरों, उद्यानों और सडकों के किनारे गुडहल को आमतौर पर लगाया जाता है। इसके सुंदर फ़ूल भगवान की भेंट भी चढाए जाते है। गुडहल का वानस्पतिक नाम हिबिस्कुस रोज़ा- सायनेंसिस है। इसके फ़ूलों को जूतों पर रगडने से जूते चमक उठते है।
इसके फ़ूल कामोद्दीपक होते है और अनियमित माहवारी, यौन रोगों, ब्रोन्कियल नज़ला, खांसी जैसे रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाए जाते है। गुडहल के फ़ूल को चबाया जाए तो यह स्फ़ूर्तिदायक होता है और माना जाता है कि यह पौरूषत्व को बढावा देता है।
फ़ूलों के तिल के तेल में गर्म करके लगाने से बालों का झडना बंद हो जाता है और आदिवासी मानते है कि यह बालों का रंग भी काला कर देता है। डाँग- गुजरात में आदिवासी महिलाएं गुडहल की पत्तियों और फ़ूल को पानी में कुचल लेती है और जिससे झागनुमा एक पेस्ट तैयार हो जाता है। इस पेस्ट का उपयोग शैम्पू और कंडीशनर की तरह किया जाता है।
इसी झागनुमा पेस्ट को कैंसर से बनी गाँठों पर भी लेपित किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को इसके फ़ूल का सेवन नहीं करना चाहिए, दरअसल इसमें गर्भपात करने का गुण होता है। पत्तियाँ विरेचक गुण की होती अतः अत्यधिक अपचन या पेट की गडबडी हो जाने पर कम मात्रा में इसका सेवन किया जा सकता है। इसके फ़ूलों की चाय बनाकर पी जाए तो यह वजन घटाने में समर्थ होती है।
(साई फीचर्स)
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