सोमवार, 30 अप्रैल 2012

पीएम या प्रेजीडेंट हो सकते हैं प्रणव


पीएम या प्रेजीडेंट हो सकते हैं प्रणव

दादा से मुक्ति चाह रहे हैं कुछ कांग्रेसी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के संकट मोकच किन्तु पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के धुर विरोधी रहे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को लेकर कांग्रेस के अंदर ही अंदर समीकरण बनते जा रहे हैं। कुछ कांग्रेसी प्रणव दा के लंबे राजनैतिक जीवन और कांग्रेस के लिए ट्रबल शूटर की भूमिका के कारण उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के तरफदार हैं, तो कुछ नेता प्रणव दा के कद को देखकर अब उनसे मुक्ति के लिए प्रणव दा को रायसीना हिल्स पर काबिज करवाने की जुगत में हैं ताकि उनको सक्रिय राजनति से बाहर किया जा सके।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को बताया गया है कि एक तरफ युवराज राहुल गांधी युवाओं को आगे लाने की हिमायत कर रहे हैं वहीं दूसरी और प्रणव मुखर्जी सहित अनेक नेता (जिनमें सोनिया गांधी का भी शुमार है) साठ से उपर की आयु को पा चुके हैं। इन परिस्थितियों में उमर दराज नेताओं को अब रिटायर कर देना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में आला नेता अब इस बात पर दबाव बना रहे हैं कि जब देश में घपले घोटाले और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। अब लोग कांग्रेस के नाम से ही नफरत करने लगे हैं। बाबा रामदेव प्रकरण के बाद कांग्रेस की जमकर थू थू हुई। अण्णा प्रकरण भी कांग्रेस के लिए घातक ही साबित हुआ। हाल ही में सचिन को राज्य सभा के लिए नामित करने का मामला भी कांग्रेस के लिए ऋणात्मक ही गया है।
पांच राज्यों सहित दिल्ली में हुई कांग्रेस की हार के मंथन के उपरांत यह बात सामने आई है जिसमें हार का ठीकरा मनमोहन सरकार के भ्रष्टाचार पर फोड़ा गया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित के सांसद पुत्र संदीप दीक्षित ने भी नगरीय निकाय चुनावों के लिए मनमोहन सरकार की नीतियों को ही दोषी ठहराया है। कांग्रेस में इस बात पर जोर दिया जाना लगा है कि तत्काल ही सुधारवादी कदमों को उठाया जाए।
सोनिया के एक करीबी दूत ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि सोनिया गांधी ने दिसम्बर माह में ही इस बात पर सहमति दे दी थी कि पांच राज्यों के चुनावों के उपरांत मनमोहन सिंह को 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री आवास) से बदखल कर दिया जाए। मनमोहन के सक्केसर के बतौर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का नाम रेस में सबसे आगे था। हर बार उनके विरोधी प्रणव दा के द्वारा सोनिया पति राजीव गांधी की खिलाफत के घाव कुरेदकर घावों में मवाद जमा देते हैं जिससे सोनिया का मन भी प्रणव के लिए खट्टा ही हो जाता है।
उधर सोनिया गांधी भी इस समीकरण के लिए तैयार ही थीं। मनमोहन का तबादला रेसकार्स से महामहिम के आवास रायसीना हिल्स पर बनाने के लिए भी वे राजी थीं, किन्तु पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में कांग्रेस की फजीहत ने फौरी तौर पर इसे अमली जामा नहीं पहनने दिया गया।
हाल ही में पारसी जाति के राहुल गांधी ने अपने आप को ब्राम्हण बताकर तहलका मचा दिया। उधर, प्रणव मुखर्जी खुद बामन हैं। कहा जा रहा है कि प्रणव मुखर्जी के इशारे पर ही राहुल गांधी ने खुद का बामन बताया था। कांग्रेसी चाह रहे हैं कि प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाने के बजाए उन्हें रायसीना हिल्स स्थित महामहिम राष्ट्रपति के आवास में शिफ्ट कर दिया जाए ताकि कांग्रेस में उनकी बोलती तूती शांत हो सके।

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