सोमवार, 30 अप्रैल 2012

जेल में बन रहे देशी मोबाईल चार्जर!


जेल में बन रहे देशी मोबाईल चार्जर!

(विक्की आनंद)

अमृतसर (साई)। पंजाब की जेलों में जरायम पेशा लोग अब इंजीनियर भी बन गए हैं। जेल में मोबाईल का उपयोग प्रतिबंधित है पर पंजाब की जेलों में इनका उपयोग धडल्ले से चल रहा है। जेल में मोबाईल चार्जर ना होने की भी कोई समस्या नहीं है। जेल के अपराधी कथित तौर पर इंजीनियर बन चुके हैं। जुगाड़ के चार्जर से मोबाईल फटाफट चार्ज हो जाते हैं।
पंजाब की विभिन्न जेलों में नशीले पदार्थ और मोबाइल फोन ले जाने के लिए कैदी अलग-अलग तरीके अपना ही रहे हैं लेकिन अब मोबाइल चार्ज करने के लिए कैदियों ने जेल में ही देसी चार्जर बनाने शुरू कर दिए हैं। कैदियों द्वारा तैयार किए गए ये मोबाइल चार्जर देखकर जेल विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं।
इससे विभाग में हड़कंप मच गया है। माचिस की डिब्बी से बने ये चार्जर काफी कामयाब भी साबित हो रहे हैं। ऐसे कई मोबाइल चार्जर जेल विभाग के अधिकारियों ने अमृतसर, फिरोजपुर, लुधियाना, पटियाला और राज्य की अन्य जेलों में कैदियों से पकड़े हैं। कहते हैं कि जेल सबसे सुरक्षित स्थान होती है जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है, पर पंजाब की जमीनी हकीकत कुछ और दास्तान कहती है।
पंजाब में सिर्फ नाभा जेल में ही हाई सिक्योरिटी मोबाइल जैमर है। इसके अलावा अन्य जेलों में मोबाइल जैमर नहीं हैं। अन्य जेलों में जैमर लगाने का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया है। विभिन्न जेलों में मोबाइल जैमर न होने की आड़ में ही कैदी जेलों में मोबाइल फोन ले जाने में कामयाब हो जाते हैं।
डीजीपी जेल शशिकांत ने जेलों में ऐसे देसी मोबाइल चार्जर पकड़े जाने पर हैरानी जताते हुए कहा कि इससे पहले जेलों में मोबाइल फोन ले जाने के लिए कैदी अलग-अलग तरीके अपनाते थे। कई कैदी फोन को कई भागों में बांटकर जेलों के अंदर ले जाते थे। अब मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए जेल के अंदर ही देसी तरीके से चार्जर बनाया जाना हैरान करने वाला है। ऐसा तो देश की जेलों में पहली बार पंजाब में ही देखा गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामले अमृतसर, फिरोजपुर, लुधियाना, पटियाला आदि बड़ी जेलों में ही सामने आए हैं। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
बताया जाता है कि पंजाब की विभिन्न जेलों में कैदी मोबाइल चार्ज करने के लिए दो तरीकों से देसी चार्जर बना रहे हैं। पहले तरीके के अनुसार एक माचिस की डिब्बी के दोनों तरफ से दो-दो तारें निकालकर डिब्बी में एक छोटा सर्किट लगा दिया जाता है और माचिस को बाहर से रबड़ चढ़ा दी जाती है। इन तारों को फोन और बिजली के सॉकेट से जोड़कर मोबाइल फोन चार्ज किया जाता है।
इस चार्जर में लगने वाला सर्किट इतना छोटा होता है कि उसे आसानी से जेल के अंदर ले जाया जा सकता है। चार्जर बनाने के दूसरे तरीके में एक माचिस के ऊपर बल्ब का ऊपरी हिस्सा तोड़कर टेप की मदद से फिट कर दिया जाता है, ताकि वोल्टेज कम की जा सके। फिर इसे तारों से जोड़कर मोबाइल चार्जर बनाया जाता है।
देसी चार्जर मिलने के बाद से ही जेल अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। पंजाब की सभी जेलों के अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जेलों में माचिस की अच्छे ढंग से जांच करें। क्योंकि माचिस से मोबाइल चार्जर बनाना काफी घातक है। जिस तरह माचिस की डिब्बी में सर्किट फिट कर मोबाइल चार्जर बनाया जा रहा है, उसी तरह ऐसे सर्किट फिट कर कुछ भी बनाया जा सकता है। अब से सभी जेलों में जाने वाले सामान की पहले अच्छी से जांच होगी। अधिकारियों की तसल्ली के बाद ही सामान अंदर जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं: