खफा आड़वाणी कर सकते
हैं विस्फोट!
अटल आड़वाणी युग की अघोषित बिदाई से खफा हैं
उमरदराज नेता
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और नितिन गड़करी की जुगलबंदी ने
भाजपा में अटल आड़वाणी के युग का अवसान कर दिया है। आनन फानन लिए गए इस निर्णय से
राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी हतप्रभ हैं। सालों साल भाजपा की सेवा कर
दो सीट से सरकार बनाने की स्थिति में लाने वाले आड़वाणी को इस तरह दूध में से मख्खी
की तरह निकाले जाने की उम्मीद कतई नहीं थी।
दिल्ली में
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि
भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी की दूसरी पारी के एन पहले संध ने साफ कर दिया था कि
पार्टी के उमर दराज नेता यानी 75 पार के नेताओं को बलात अनिवार्य
सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। इन नेताओं को पार्टी में अभिभावक, मार्गदर्शक, संरक्षक, पथ प्रदर्शक जैसी
भूमिकाओं को अंगीकार करना ही होगा।
इस तरह अचानक ही
मीडिया के माध्यम से कंपलसरी रिटायरमेंट पाने की सूचना भाजपा के उमर दराज नेताओं
पर गाज की तरह गिरी। संघ के निर्देशों के बाद राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी, जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जैसे
सीजन्ड नेता अब घर बैठने पर मजबूर हो रहे हैं।
संघ के सूत्रों का
कहना है कि इस बारे में जब आड़वाणी जुंडाली ने यह बात उनके संज्ञान में लाई तब
आड़वाणी ने इस संबंध में संघ नेतृत्व से चर्चा की। आड़वाणी का तर्क था कि जब केरल
में वाम दलों के पूर्व मुख्यमंत्री अच्चुतानंद अस्सी पार कर सीएम हो सकते हैं तो
उनके मुकाबले आड़वाणी, जसवंत, यशवंत और जोशी तो जवान ही हैं। इस पर संघ ने
साफ तौर पर कह दिया कि अब समय आ गया है जब भाजपा की कमान युवा हाथों में सौंपी जाए
और सत्तर पार के नेता घर बैठ जाएं।
बलात हाशिए पर डाले
गए नेता अब इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि सेवानिवृत्ति की आयु 75 साल के बजाए
सरकारी सिस्टम की तरह साठ या बासठ साल कर दी जाए। इससे अनेक नेताओं का घर बैठना तय
माना जा रहा है। 11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के
विदर्भ प्रांत के चंद्रपुर में जन्मे भागवत भी इस साल बासठ साल पूरे कर लेंगे। अब
नेताओं की मण्डली भागवत को ही सेवानिवृत्त करने के तरीकों पर विचार में लग गई है।
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