ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
सियासी पारी शायद ही रास आए मास्टर
ब्लास्टर को!
क्रिकेट में अनगिनत पारियां खेलने
वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को सियासी पारी शायद ही रास आए। क्रिकेट के खेल
में गेंद को सीधे सीधे मारना ही होता है। वैसे क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता
है, किन्तु जहां तक राजनीति का सवाल है, राजनीति के मामले में सब कुछ उलट
पुलट ही है। एक लाईन में ‘राजनीति‘ की परिभाषा यही है कि जिस ‘नीति‘ से ‘राज‘ हासिल हो वही ‘राजनीति‘ है। राज हासिल करने के लिए
कोई भी रास्ता अख्यितार करने की अघोषित छूट दी गई है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में
कांग्रेस की हालत बेहद खराब हो चुकी है यह बात किसी से छिपी नहीं है। नेहरू गांधी परिवार
की पांचवी पीढ़ी यानी राहुल घांदी का जादू चुक गया है। अब कांग्रेस को नया तारणहार चाहिए।
इसी के मद्देनजर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को राज्य सभा में नामित कर सांसद बनाया
गया, फिर राहुल घांदी के सरकारी आवास के सामने एक सेवन स्टार बंग्ला ऑफर हुआ। सचिन ने
इसे सरकारी धन के अपव्यय और फिजूलखर्ची बताकर ठुकरा दिया। देखना यह कि क्या सचिन बतौर
सांसद मिलने वाले वेतन का भी त्याग करते हैं? सचिन की भाव भंगिमाएं बता रही हैं
कि उन्हें भी अमिताभ बच्चन, गोविंदा की भांति सियासी पारी रास नहीं आ रही है।
अन्नू के बहाने मीडिया पर निशाना
साधा मन्नू ने
पंद्रह मंत्रियों के खिलाफ टीम अण्णा
द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त जैसे ही देश के सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री
कार्यालय को सौंपी गई, पीएमओ हरकत में आ गया। पीएमओ के सूत्रों के अनुसार पीएम ने विशेषज्ञों
को बुला भेजा और इसका माकूल जवाब समय सीमा में बनाने के निर्देश दे डाले। इस बार पीएम
के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी ने अपने आपनी उपयोगिता को साबित करते हुए पीएम की पेशानी
पर आने वाली पसीने की बूंदों को बखूबी पोंछ दिया है। सूत्र कहते हैं मीडिया में लंबे
समय तक रहने वाले पचौरी ने टीम अण्णा के आरोपों का जवाब देते हुए कह डाला कि आरोप मीडिया
की कहानियों पर आधारित हैं। इशारों ही इशारों में प्रधानमंत्री कार्यालय ने मीडिया
की विश्वसनीयता पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पिछले कई माहों से मीडिया सहित सोशल
नेटवर्किंग वेब साईट में कांग्रेस और केंद्र सरकार को जिस तरह से आड़े हाथों लिया जा
रहा है उससे कांग्रेस नेतृत्व प्रधानमंत्री से बेहद खफा चल रहा है। अब देखना यह है
कि मीडिया की खबरों को मनगढ़ंत कहानियां निरूपित करने पर ‘घराना पत्रकारिता‘
के पुरोधा मीडिया
का अगला कदम क्या होता है?
अंटोनी को भा रही ब्लेक लिस्टिेड
कंपनियां
रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी वैसे तो
साफ सुथरी छवि के धनी समझे जाते हैं पर रक्षा मंत्रालय के अंदर जो कुछ चल रहा है उसे
देखकर लगता है मानो अंटोनी का दामन उनके मातहत ही साफ सुथरा रखना नहीं चाहते हैं। स्विस
मूल की हथियार कंपनी रीनमेटल एयर डिफेंस एजी पर सीबीआई के छापों के बाद भी तथा इजराईल
की मिलेट्री इंडस्ट्री जो ब्लेक लिस्टिेड हो चुकी है से डील के मामले में अभी रक्षा
मंत्रालय का रवैया साफ नही ंहै। रक्षा मंत्रालय द्वारा ब्लेक लिस्टिड कंपनियों के साथ
सौदेबाजी आज भी बदस्तूर जारी है। रक्षा मंत्रालय द्वारा इन कंपनियों से असलाह की खरीदी
आज भी जारी है। सेना को टेवर असाल्ट, एंटी मेटेरियल, टार 21 आदि रायफल्स से लैस
किया गया है। ये सभी इन ब्लेक लिस्टिेड कंपनियों से ही खरीदे गए हैं। हद तो उस वक्त
हुई जब काली सूची में दर्ज इन कंपनियों को इसी साल मार्च अंत में रक्षा मंत्रालय द्वारा
सरकारी तौर पर आयोजित डिफेंस एक्सपो में भाग लेने की अनुमति प्रदान की गई। हालात देखकर
लगने लगा है कि रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी की छवि को मटियामेट करने पर तुल चुके हैं
नौकरशाह!
कमल नाथ की नजरें वित्त मंत्रालय
पर!
ताउम्र कांग्रेस की सेवा करने वाले
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को रायसीना हिल्स स्थित महामहिम राष्ट्रपति भवन में स्थानांतरित
करने की अटकलों के बीच देश के नए वित्त मंत्री के लिए भी लाबिंग तेज हो चुकी है। वैसे
मूलतः पत्रकार राजीव शुक्ला के मंत्री रहते हुए भी पार्टी कार्यसमिति की बातों को मीडिया
तक पहुंचाने केे लिए दादा प्रणव मुखर्जी को अधिकृत किए जाने के भी निहितार्थ लगाए जा
रहे हैं। नार्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय का अगला निजाम कौन होगा इस पर भी अभी से
कयास लगने आरंभ हो गए हैं। वन एवं पर्यावरण, वस्त्र, वाणिज्य उद्योग, भूतल परिवहन के उपरांत शहरी
विकास का कार्यभार संभालने वाले कमल नाथ के मन में वित्त मंत्री बनने की चाहत जाग उठी
है। सियासी फिजां में चल रही चर्चाओं के अनुसार अगर दादा को रायसीना हिल्स स्थानांतरित
किया जाता है तो उनके स्थान पर वित्त मंत्री के लिए सबसे प्रबल दावेदार कमल नाथ ही
हैं। उनके बाद मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सी.रंगराजन और जयराम रमेश के नाम
सामने आ रहे हैं।
लखपति टायलेट वापरने की चाहत!
देश में महज बीस तीस रूपए रोज कमाने
वाले को गरीब की श्रेणी से बाहर रखने वाले योजना आयोग के नए कारनामे से देश अचंभित
है। योजना आयोग ने अतिविशिष्ट लोगों के ‘प्रसाधन‘ के लिए ज्यादा नहीं महज
35 लाख रूपए से एक टायलेट को संवारा है। यह सब ‘मीडिया‘ की ही उपज हो सकती है,
पर सच्चाई भी
यही है। गरीब गुरबों के गाढ़े पसीने की कमाई से संचित राजस्व को योजना आयोग द्वारा इस
तरह आग लगाने के बाद भी कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी, युवराज राहुल गांधी सहित
समय समय पर केंद्र सरकार का विरोध करने का प्रहसन करने वाले विपक्षी दल को भी मानो
सांप सूंघ गया है, कोई भी कुछ बोलने को राजी नहीं दिख रहा है। इसके पहले भी मितव्ययता
के दरम्यान सांसदों के आवासों में पुराने एसी को बदलकर नए एसी लगवाए गए थे। योजना आयोग
की अनुमति के बिना पत्ता हिलना संभव नहीं है। मतलब साफ है कि योजना आयोग द्वारा सख्ती
और मितव्ययता का महज दिखावा ही किया जाता है। अब हर कोई पेंतीस लाख रूपए के टायलेट
में प्रसाधन करने का इच्छुक नजर आ रहा है। कुछ ने तो अपने अपने कार्यालयों में इस तरह
के टायलेट बनवाने के सपने देखकर विस्त्रत प्राक्कलन यानी डीपीआर बनवाने की बात भी कह
दी है।
पारेख ने बढ़ाई मनमोहन की मुसीबत!
टीम अण्णा के आरोपों का जवाब देकर
अभी मनमोहन सरकार संभल भी नहीं पाई कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की सांसे एक बार
फिर तेज होती दिख रही हैं। मनमोहन सिंह के कोयला मंत्री रहने के दौरान कोयला सचिव रहे
पी.सी.पारेख ने कहा है कि मनमोहन सिंह अगर चाहते तो कोयला घोटाले को रोका जा सकता था।
एक निजी समाचार चेनल को दिए साक्षात्कार में पारेख ने कहा कि मनमोहन सिंह को कोयला
नीति में बदलाव की आवश्यक्ता ही नहीं थी, मनमोहन सिंह अगर चाहते तो बस एक प्रशासनिक
आदेश जारी कर पारदर्शिता ला सकते थे। पारेख के अनुसार वे विभाग में सचिव थे,
और इसी हैसियत
से उन्होंने मनमोहन सिंह को मशविरा दिया था। एक तरफ तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने टीम
अण्णा के अरोपों को मीडिया की कतरनें बताया है वहीं दूसरी ओर मीडिया में ही तत्कालीन
कोयला सचिव पी.सी.पारेख के इस बयान से प्रधानमंत्री कार्यालय का सकते में आना स्वाभाविक
ही है।
कन्नोज की राह पर लखनादौन!
राजनीति में सब कुछ संभव है। एक दूसरे
के घुर विरोधी होने का दावा करने वाले भी निहित स्वार्थों के लिए हथियार डाल दिया करते
हैं। उत्तर प्रदेश के निजाम अखिलेश यादव द्वारा मुख्यमंत्री बनने के बाद रिक्त की गई
लोकसभा सीट पर तो मानो गजब ही हो गया। मुलायम सिंह को पानी पी पी कर कोसने वाली मायावती,
भारतीय जनता
पार्टी, कांग्रेस किसी ने भी अखिलेश की अर्धांग्नी डिंपल के खिलाफ आश्चर्यजनक तौर पर अपना
प्रत्याशी नहीं उतारा। सारा देश इस घालमेल को देख रहा है। इसी तर्ज पर केंद्रीय मंत्री
कमल नाथ के प्रभाव वाले महाकौशल में देखने को मिल रहा है। महाकौशल के सिवनी जिले में
नगर पंचायत लखनादौन में पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय मुनमुन के खिलाफ कांग्रेस
और भाजपा ने कमजोर प्रत्याशी उतारा और दिनेश ने परचम लहरा दिया। वर्तमान में दिनेश
राय की माता सुधा राय निर्दलीय मैदान में हैं और उनकी जीत के दावे जोरो ंपर हैं। इसके
पीछे एक बार फिर कांग्रेस भाजपा का इस पंचायत के लिए हथियार डाले जाने की कहानी पार्श्व
में सुनाई जा रही है। एआईसीसी और बीजेपी के नेशनल हेडक्वार्टर में इस पंचायत को लेकर
चर्चाएं होने लगी हैं।
कुर्सी छोड़ने राजी नहीं मनमोहन
नेहरू गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी
की सत्ता की मलाई चखने की तैयारी में सोनिया गांधी के खासुलखास डॉ.मनमोहन सिंह सबसे
बड़े शूल के रूम में सामने आ रहे हैं। देश का प्रथम पुरूष बनाने की शर्त पर मनमोहन ने
गद्दी छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है, जिससे कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी
की ताजपोशी पर ग्रहण लग गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना
करने की शर्त पर कहा कि अब राहुल की ताजपोशी के लिए माकूल नजर आ रहा है 2014 का आम
चुनाव। पर इसके लिए वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहीं एजडेस्ट करना जरूरी नजर
आ रहा है। उधर, डॉ.मनमोहन सिंह इस जुगत में लगे हैं कि वे देश के इतिहास में
नेहरू गांधी परिवार से इतर एसे व्यक्ति के तौर पर अपना नाम दर्ज करवाएं कि जो सबसे
लंबे समय तक वजीरे आजम की कुर्सी पर रहा हो। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि मनमोहन
ने किसी भी कीमत पर चुनावों के पहले कुर्सी छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है।
मुस्लिम राष्ट्रपति के पक्ष में नहीं
हैं सोनिया
इस साल जुलाई में रायसीना हिल्स स्थित
महामहिम राष्ट्रपति के भवन को पांच साल के लिए नया मालिक मिलने वाला है। इसके लिए गुपचुप
तरीके से जोड़तोड़ आरंभ हो गई है। इस दौड़ में वर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी दौड़
में शामिल हैं, पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी मुस्लिम प्रधानमंत्री
के लिए राजी नहीं बताई जा रही हैं। सियासी फिजां में चल रही चर्चाओं के अनुसार मुस्लिम
प्रत्याशी को इस पद के लिए सोनिया के रेड सिग्नल का कारण यह बताया जा रहा है कि मुसलमानों
के हिमायमती समझे जाने वाले समाजवादी पार्टी के क्षत्रप इसका सारा श्रेय ले उड़ेंगे।
इसी डर के चलते सोनिया द्वारा अल्पसंख्यकों की नाराजगी मोल लेने का जोखिम भी उठाया
जा रहा है। सिर्फ मुलायम के श्रेय्रश् लेने के डर से मुसलमान राष्ट्रपति पर सोनिया
की ना को लेकर अब सियासत गर्माने लगी है। सिर्फ श्रेय लेने की बात से डरकर कांग्रेस
का अल्पसंख्यकों के प्रति मोहभंग को लेकर काफी चर्चाएं, आशंकाएं, कुशंकाएं सियासी फिजा में
तैर गई हैं।
अमेठी पर है युवराज का पूरा ध्यान
जिस तरह देश भर में कांग्रेस का ग्राफ
तेजी से गिरा है उसे देखकर कांग्रेस के आला नेताओं की घिघ्घी बंधी हुई है। बड़े नेताओं
को अब भय सताने लगा है कि कांग्रेस का चमत्कारी चेहरा अब गुजरे जमाने की बात हो चुका
है। हर नेता अपने अपने संसदीय क्षेत्र को सींचने की जुगत में लग गया है। कांग्रेस के
शीर्ष नेता राहुल गांधी ने भी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पर ध्यान देना आरंभ कर दिया
है। सूत्रों के अनुसार संसदीय क्षेत्र से आए लोगों से राय शुमारी के उपरांत राहुल ने
कड़े और अप्रिय फैसले लेने का मन बनया है। इसी कड़ी में सालों साल से नेहरू गांधी परिवार
के विश्वस्त रहे अमेठी के कांग्रेसी नेता किशोरी लाल शर्मा को राहुल ने बर्खास्त करने
के आदेश दे डाले। किशारी लाल पिछले दो दशकों से नेहरू गांधी परिवार के लिए अमेठी की
कमान संभाले हुए थे। शर्मा के स्थान पर राहुल के सलाहकार कनिष्क सिंह ने राजस्थान राज्य
सेवा के अधिकारियों धीरज श्रीवास्तव और मान सिंह का नाम आगे बढ़ाया है।
पुच्छल तारा
इस समय सियासी पारा पूरे शबाब पर
है। भाजपा में नरेंद्र मोदी वर्सेस संजय जोशी का मामला जमकर उछल रहा है। संजय जोशी
की राजनैतिक हत्या के आरोप भी मोदी पर लगने लगे हैं। भाजपा के मुखपत्र में नरेंद्र
मोदी को भी परोक्ष तौर पर लानत मलानत भेजना आरंभ हो गया है। मोदी खामोश हैं,
पर देश के काटूनिस्ट
शांत नहीं हैं। हाल ही में एक कार्टून के साथ कानपुर से प्रतीक कुमार ने एक ईमेल भेजा
है। प्रतीक लिखते हैं कि नरेंद्र मोदी को उनके एक लग्गू भग्गू ने बताया कि पार्टी के
मुखपत्र में छप रहा है कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है। इस पर छूटते ही नरेंद्र मोदी
बोले कन्नोज को देख रहे हो! पहले पार्टी से पूछे कि वह है कहां?
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