काले धन पर दादा की
राय अलग
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)।
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत ने विदेशों में जमा कालेधन का ब्यौरा
प्राप्त करने के लिए ३७ देशों से संधियां की हैं। पश्चिम बंगाल में खारग्राम में
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक बैठक में श्री मुखर्जी ने कहा कि भारतीयों द्वारा
विदेशों में जमा किया गया सारा पैसा, काला-धन नही है। उन्होंने कहा कि हो सकता है
कि व्यापारियों या व्यापारिक घरानों ने यह पैसा जमा कराया हो।
ब्लैक मनी को लेकर
अन्ना हजारे और बाबा रामदेव की तरफ से चलाई जा रही मुहिम के बीच वित्त मंत्री
प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि विदेशों में जमा सारा पैसा ब्लैक मनी नहीं है। उन्होंने
कहा कि इस तरह की मनी का पता लगाने के लिए 37 देशों के साथ समझौता किया गया है।
मुखर्जी ने
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग के दौरान कहा, श्विदेशों में जमा
सारा पैसा ब्लैक मनी नहीं है। हो सकता है इसे कई बिजनेसमैन और बिजनेस हाउसों की
तरफ से जमा कराया गया हो।श् इससे पहले ब्लैक मनी को लेकर प्रणव दा लोकसभा में
श्वेत पत्र जारी कर चुके हैं।
पश्चिम बंगाल जैसे
राज्यों से लगातार हो रही वित्तीय पैकेज की मांग के बारे में भी मुखर्जी बोले।
उन्होंने कहा कि राज्यों को अतिरिक्त पैसा देने के मामले में केंद्र के हाथ बंधे हुए
हैं क्योंकि पेट्रोल प्रॉडक्ट्स और खाने-पीने की चीजों पर बहुत ज्यादा सब्सिडी दी
जाती है। उन्होंने कहा, इन प्रॉडक्ट्स पर ज्यादा सब्सिडी देने की वजह से केंद्र के
हाथ बंधे हुए हैं।
मुखर्जी ने कहा कि
पेट्रो प्रॉडक्ट्स और खाद का दाम बढ़ने की एक अहम वजह सीरिया और लीबिया की अशांति
भी है। उन्होंने कहा, इन दोनों देशों से पोटाश खरीदा जाता था लेकिन इन देशों में
अशांति की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। मुखर्जी ने यह भरोसा भी दिलाया कि यूपीए
सरकार देश की आर्थिक-सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए कमिटेड है और इस दिशा
में कदम उठाए जा रहे हैं।
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