सुनाई देने लगी
राष्ट्रपति चुनाव की रणभेरी
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का नेतृत्व
अपने सहयोगी दलों का अधिकतम समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करेगा, क्योंकि ऐसे
उम्मीदवार को ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक दलों का विश्वास और समर्थन हासिल होना
चाहिए। यह बात विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कल चेन्नई में कही।पिछले सप्ताह
कांग्रेस ने पार्टी तथा यू पी ए अध्यक्ष
सोनिया गांधी को राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का अधिकार दिया था।
इस बीच भारतीय जनता
पार्टी ने कहा है कि सत्तारूढ़ यू पी ए गठबंधन द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए अपना
उम्मीदवार घोषित करने के बाद ही वह राष्ट्रपति चुनाव के बारे में अपनी रणनीति का
खुलासा करेगी। हैदराबाद में भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने पत्रकारों से कहा कि
इस बार राष्ट्रपति पद का चुनाव चौंका देने वाला होगा।
उधर, मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति ने वाम और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ
विचार-विमर्श के बाद अपने पोलित ब्यूरो को राष्ट्रपति चुनाव के बारे में पार्टी की
रणनीति तय करने का अधिकार दे दिया। नई दिल्ली में पार्टी की केन्द्रीय समिति की दो
दिन की बैठक में कल यह निर्णय किया गया।
राष्ट्रपति चुनाव
के मसले पर कांगेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सक्रियता से राजनीतिक गलियारों में इसे
लेकर सरगर्मियां तेज हो चली हैं। यूपीए के घटक दलों के साथ सोनिया की मुलाकात के
बाद आ रहीं खबरें बता रही हैं कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी यूपीए की ओर से सबसे
प्रबल दावेदार के रूप में उभर रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति ने राष्ट्रपति पद के
उम्मीदवार के चयन के लिए जब से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत किया है, तब से यूपीए के
अनेक घटक दलों की उनसे मुलाकात हो चुकी है।
दो दिन पहले डीएमके
नेताओं एमके स्टालिन और टीआर बालू ने सोनिया से मुलाकात की थी। इससे पहले
राष्ट्रीय लोकदल के सुप्रीमो अजित सिंह भी कांग्रेस अध्यक्ष से मिल चुके हैं।
हालांकि न तो सोनिया गांधी ने और न ही सहयोगी दलों ने अपने पत्ते खोले हैं, लेकिन करीबी सूत्र
बता रहे हैं कि राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए के उम्मीदवार बतौर वित्त मंत्री प्रणब
मुखर्जी को लेकर उनकी राय बनती जा रही है। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि
यूपीए के अधिकांश घटक दलों ने सोनिया के साथ मुलाकात में प्रणब दा का नाम आगे
बढ़ाया है।
इतना ही नहीं, इससे पहले समाजवादी
पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी खुलकर प्रणब के पक्ष में आ चुके हैं। सपा
को अपने खेमे में लेने के लिए भी कांग्रेस उनके सुझाव की अनदेखी नहीं कर सकती।
लेकिन कांग्रेस के लिए अब भी सबसे बड़ी बाधा तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी
ही हैं। वे पहले ही साफ कर चुकी हैं कि उनकी पहली पसंद मीरा कुमार हैं। वे अब भी
इसी पर अडिग हैं। हालांकि सरकार ने पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण बिल को
कुछ समय के लिए टालकर ममता को मनाने की कवायद तेज कर दी है।
उधर, राष्ट्रपति चुनाव
को लेकर एनडीए ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस बीच, एनसीपी नेता पीए
संगमा ने शुक्रवार को भाजपा नेता और एनडीए के कार्यकारी चेयरमैन लालकृष्ण आडवाणी
से उनके निवास पर मुलाकात की। इससे पहले अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता और बीजद
प्रमुख नवीन पटनायक ट्राइबल के नाम पर संगमा का नाम आगे बढ़ा चुके हैं।
हालांकि भाजपा के
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार एनडीए संगमा के नाम का समर्थन करने के बजाय अपना ही
उम्मीदवार उतारेगी,
ताकि यह दर्शा सके कि वह सरकार के साथ नहीं है। शुरुआती
ना-नुकुर के बावजूद राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए की ओर से वित्त मंत्री प्रणब
मुखर्जी ही सबसे प्रबल दावेदार के रूप में उभर रहे हैं। यूपीए के घटक दलों ने
सोनिया गांधी के साथ मुलाकात में भी प्रणब दा का नाम ही आगे बढ़ाया है। हालांकि
अंतिम निर्णय सोनिया को ही करना है।
माना जा रहा है कि
इस सप्ताह के अंत में इलाज के लिए विदेश जाने के पहले ही सोनिया गांधी द्वारा अपने
उम्मीदवार की घोषणा कर दी जाएगी इसके लिए सबसे उपर प्रणव मुखर्जी का नाम आ रहा है।
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