क्या कपड़ों की तरह
गर्ल फ्रेंड बदल रहे हैं युवराज
हिन्दुस्तान की मल्लिका बनने छोड़ा मुस्लिम
धर्म!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस के 43 साल के
युवराज राहुल गांधी आज भी कुंवारे ‘जेठ‘ हैं। उनके अनुज वरूण गांधी का ब्याह हो चुका
है पर वे आज भी कुंवारे हैं। उनके बारे में ज्योतिषियों ने कहा था कि उनका विवाह 48 की उम्र तक संभव
नहीं है। अंग्रेजी का एक शब्द है ‘हयूमेन बीईंग‘। इस नाते राहुल के
सीने में भी एक दिल धड़कता तो होगा। 43 साल को प्रोढ़ावस्था (भारतीय राजनीति में यह
टीन एज की शुरूआत है) का आगाज माना जाता है। बावजूद इसके कुंवारे राहुल को लेकर
तरह तरह की अफवाहें सियासी फिजां में तैर गई हैं।
भारत गणराज्य की
स्थापना में अपनी महती भूमिका निभाने वाली कांग्रेस के युवराज हैं राहुल गांधी।
राहुल गांधी का असली नाम राहुल विन्ची बताया जाता है। अगर यह सच है तो राहुल गांधी
अपनी असली पहचान छिपाकर भारत के कानून का खुला मजाक उडा रहे हैं, जिस पर कार्यवाही
होना चाहिए।
वैसे राहुल विन्ची
उर्फ राहुल गांधी की जात क्या है? वे कौन सा धर्म अपना रहे हैं? वे 43 बरस से कुंवारे
क्यों हैं? उनकी सहचरी
कौन है? यह राहुल
गांधी का नितांत निजी मामला है, किन्तु जब काई सार्वजनिक जीवन में आता है तो
उसके निजी जीवन में भी तांकझांक आरंभ हो जाती है जो उचित नहीं है।
राहुल विन्ची उर्फ
राहुल गांधी ईसाई हैं या हिन्दू सनातन पंथी यह तो शोध का ही विषय है। हाल ही में
राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी ने अपने आप को ब्राम्हण करार दिया था, किन्तु उनके बारे
में कहा जाता है कि वे मसीही समाज को मानने वाले हैं। सोनिया गांधी के निवास पर
प्रार्थना सभाएं होती रहती हैं। राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी के फोटो उनकी एक
मित्र के साथ प्रकाशित हुए हैं।
अब मोस्ट एलिजिबल बैचलर
राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी की कोलंबियाई मित्र को लेकर पहले राहुल चर्चित रहे।
फिर मीडिया में खबर आई कि उत्तर प्रदेश के एक ब्राम्हण परिवार जिसका नेहरू गांधी
परिवार से काफी गहरा नता है, की बाला से उनका विवाह होने वाला है। अब
अफगानिस्तान की एक मुस्लिम राजकुमारी के बारे में एक समाचार पत्र ने खुलासा कर
सनसनी फैला दी है।
एक भरोसेमंद मीडिया
संस्थान के प्रकाशन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी
को अब प्यार हो गया है। इस रिपोर्ट में राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी का नाम
अफगान के पूर्व शासक मोहम्मद जहीर शाह की पोती से जोड़ा गया है। लेकिन रिपोर्ट में
अफगानी राजकुमारी का नाम नहीं दिया गया है।
सियासी फिजां में
यह बात तेजी से उभर रही है कि अगर यह खबर सही है तो क्या राहुल विन्ची उर्फ राहुल
गांधी वेरोनिका को भूल गए? ज्ञातव्य है कि स्पैनिश मूल की वेरोनिकाके साथ राहुल का नाम
पहले से जुड़ता रहा है। 1999 के विश्व कप के दौरान दोनों की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद दोनों के
‘करीबी‘ रिश्तों को लेकर
कयास लगाए जाते रहे हैं।
देश के एक मशहूर
पत्रकार के उक्त प्रकाशन ने यह दावा भी किया है कि अफगानी राजकुमारी ने धर्म
परिवर्तन करते हुए ईसाई धर्म भी स्वीकार कर लिया है। इस अखबार के अनुसार यह जोड़ा
रविवार को सोनिया गांधी के आवास पर आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा होम चौपल में
भी साथ-साथ हिस्सा ले चुका है। रिपोर्ट के
मुताबिक, राहुल
विन्ची उर्फ राहुल गांधी और अफगानी राजकुमारी को दिल्ली के अमन होटल में साथ-साथ
देखा जा सकता है। दोनों इस होटल में अक्सर आते हैं। राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी
होटल के फिटनेस सेंटर में काफी वक्त बिताते हैं।
यहां उल्लेखनीय
होगा कि अफगानी राजकुमारी के दादा जहीर शाह ने 1933 से लेकर चार दशकों
तक अफगानिस्तान पर राज किया। 1973 में उनके ही चचेरे भाई मोहम्मद दाऊद खान ने
उनका तख्तापलट कर दिया। इसके बाद जहीर शाह इटली चले गए और वहां निर्वासित जीवन
जीने लगे। लेकिन 2002 में वे
फिर अफगानिस्तान लौटे और उन्हें फादर ऑफ नेशन का खिताब दिया गया। 2007 में 93 साल की उम्र में
जहीर शाह का निधन हुआ।
उक्त रिपोर्ट को
अगर सच माना जाए तो वैरोनिका के बाद इस नई अफगानी मुस्लिम राजकुमारी जिसने
हिन्दुस्तान की मल्लिका बनने के लिए अपना धर्म बदलकर मसीही समाज को अपना लिया है।
इस तरह राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी ने अपनी पुरानी मित्र वैरोनिका को भुलाकर नई
मित्र बना ली है। सियासी गलियारों में यह प्रश्न भी तेजी से उभर रहा है कि भारत
गणराज्य की बागडोर संभालने वाले इटली मूल की सोनिया मानियो के पुत्र राहुल विन्ची
उर्फ राहुल गांधी कपड़ों की तरह अपनी गर्लफ्रेंड बदल रहे हैं?
1 टिप्पणी:
bahut sundar srijan, badhai.
प्रिय महोदय
"श्रम साधना "स्मारिका के सफल प्रकाशन के बाद
हम ला रहे हैं .....
स्वाधीनता के पैंसठ वर्ष और भारतीय संसद के छः दशकों की गति -प्रगति , उत्कर्ष -पराभव, गुण -दोष , लाभ -हानि और सुधार के उपायों पर आधारित सम्पूर्ण विवेचन, विश्लेषण अर्थात ...
" दस्तावेज "
जिसमें स्वतन्त्रता संग्राम के वीर शहीदों की स्मृति एवं संघर्ष गाथाओं , विजय के सोल्लास और विभाजन की पीड़ा के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा कथा , उपलब्धियों , विसंगतियों ,राजनैतिक दुरागृह , विरोधाभाष , दागियों -बागियों का राजनीति में बढ़ता वर्चस्व , अवसरवादी दांव - पेच तथा गठजोड़ के दुष्परिणामों , व्यवस्थागत दोषों , लोकतंत्र के सजग प्रहरियों के सदप्रयासों तथा समस्याओं के निराकरण एवं सुधारात्मक उपायों सहित वह समस्त विषय सामग्री समाहित करने का प्रयास किया जाएगा , जिसकी कि इस प्रकार के दस्तावेज में अपेक्षा की जा सकती है /
इस दस्तावेज में देश भर के चर्तित राजनेताओं ,ख्यातिनामा लेखकों, विद्वानों के लेख आमंत्रित किये गए है / स्मारिका का आकार ए -फॉर (11गुणे 9 इंच ) होगा तथा प्रष्टों की संख्या 600 के आस-पा / विषयानुकूल लेख, रचनाएँ भेजें तथा साथ में प्रकाशन अनुमति , अपना पूरा पता एवं चित्र भी / लेख हमें हर हालत में 30 जुलाई 2012 तक प्राप्त हो जाने चाहिए ताकि उन्हें यथोचित स्थान दिया जा सके /
हमारा पता -
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