रहस्यमयी बीमारी के
इलाज हेतु यूएस जाएंगी राजमाता!
राहुल को लेकर हो सकता है प्रयोग
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को कौन सी बीमारी हुई है और वे किसकी शल्य
क्रिया कराकर लौटी हैं इस बारे में आज भी देश के किसी नागरिक को कुछ नहीं पता है, यहां तक कि
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर सोनिया का मर्ज
क्या है। इस माह एक बार फिर सोनिया अपने रूटीन चेकअप या आपरेशन के लिए विदेश जाने
वाली हैं, उस वक्त
राहुल के हाथों में कमान सौंपकर एक प्रयोग किया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि
पिछले साल दो अगस्त को कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी दुनिया के चौधरी अमरीका
की शरण में गईं थीं। भारत गणराज्य में आयुर्विज्ञान, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ आदि
मामलों में नित नए प्रयोग करने वाली कांग्रेस की अध्यक्षा को देश की चिकित्सा प्रणाली
और चिकित्सकों पर रत्ती भर विश्वास नहीं था तभी उन्होंने अपनी इस रहस्यमय बीमारी
के लिए अमरिका की उंगली थामी।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास)
के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस माह के मध्य में एक बार फिर सोनिया गांधी
अमरीका जा रही हैं। उनकी यह यात्रा कितनी लंबी होगी इस बारे में सूत्रों ने मौन
साध रखा है, किन्तु
सूत्रों ने इस बात के संकेत अवश्य ही दिए हैं कि सोनिया की यात्रा उनके स्वास्थ्य
कारणों से है और वे इस दरम्यान अपनी शल्य क्रिया अथवा रूटीन चेकअप करवाएंगी।
सोनिया की इस
रहस्यमय बीमारी के बारे में लगभग दस माह बीत जाने के बाद भी कांग्रेस की चुप्पी
आश्चर्यजनक ही मानी जा रही है। सोनिया की बीमारी के बारे में कयास लगाने वालों ने
इसे कैंसर की बीमारी निरूपित करने से भी गुरेज नहीं किया है। जेड़ प्लस सुरक्षा
वाली सोनिया की सुरक्षा में लगा एसपीजी का दस्ता भी अपना मुंह सिले हुए है।
कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार पर लगातार वार करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी ने
भी यह पूछने की जहमत नहीं उठाई है कि सोनिया किस बीमारी के इलाज के लिए विदेश गईं
और उनकी यात्रा एवं उनके साथ गए सरकारी सुरक्षा दस्ते के देयकों का भोगमान किसने
भोगा?
उधर, सूत्रों ने यह भी
कहा कि आदि अनादिकाल में चलने वाली सामंतशाही आज भी आजाद भारत गणराज्य में बरकरार
है। देश की सत्ता का हस्तांतरण सोनिया गांधी के हाथों से राहुल गांधी के हाथों में
धीरे धीरे होने लगा है। राहुल गांधी ने इस फेरबदल की प्रक्रिया को काफी पहले ही
अंजाम दे दिया था। वे देश भर का दौरा कर रहे हैं। देश भर में सांसद विधायकों से
राहुल गांधी रूबरू हो रहे हैं।
कांग्रेस का एक
बहुत बड़ा वर्ग चाह रहा है कि राहुल गांधी जल्द ही देश के प्रधानमंत्री बनें ताकि
बदलाव की बयार को महसूस किया जा सके, और पुराने पापों को धोकर खाता बही नए सिरे
से तैयार हो सके। यह बात आईने की तरह साफ है कि सत्ता की बागडोर संभालने का निर्णय
राहुल और सोनिया का नितांत निजी मामला है। राहुल अभी सत्ता संभालने के इच्छुक कतई
नहीं नजर आ रहे हैं।
राहुल के बेहद
करीबी एक नेता ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि राहुल गांधी मूल रूप से
मनमोहन सिंह की कार्यप्रणाली से बेहद खफा हैं। राहुल के निशाने पर केंद्र सरकार के
वे मंत्री हैं जिनके नाम नीरा राडिया प्रकरण में उजागर हुए हैं। राहुल उस जहाज का
कप्तान कतई नहीं बनना चाह रहे हैं जिस जहाज में ज्यादातर मंत्रियों की आयु 66 पार हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि
सरकार की कमान संभालने के पूर्व राहुल चाहते हैं कि सरकार और पार्टी की छवि सुधरे।
इसके लिए वे लगातार प्रयासरत भी हैं। पिछले एक साल में राहुल के ट्यूटर राजा
दिग्विजय सिंह के गलत कदमों से राहुल गांधी को काफी नुकसान हुआ है, जिसके बारे में
राहुल बेहद देरी से जागे।
कांग्रेस की कोर
कमेटी से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो सोनिया के विदेश जाने
के पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा अपने दुलारे पुत्र राहुल
गांधी को कांग्रेस की चाबी सौंप दी जाएगी। अपेक्षाकृत अधिक ताकतवर होकर राहुल
कांग्रेस संगठन में चाबुक चला सकते हैं जिसके प्रभाव बारिश में ही समझ में आने
लगेंगे।
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