पवित्रता और स्वाद
का संगम है आम में
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
गरमी आते ही बाजारों में आम की बहार छा जाती है। सुनहरा रूप लिये आम अपने गुणों व
विभिन्न स्वादों के कारण ही फलों का राजा कहलाता है। गर्मी में आने वाले लगभग सभी
फल रसीले होते हैं जैसे लीची, आलूबुखारा, आड़ू आदि, पर आम के रसीले स्वाद
के सामने मानो सब फीके पड़ जाते हैं। अंग्रेजी शब्द मैंगो यानी आम भी तमिल शब्द के
मैनके या मैनगे से बना है।
हालांकि हिंदी में
आम शब्द संस्कृत के आम्र शब्द से लिया गया है। इसके मीठे रस में शरीर को लू से
बचाने की अद्भुत क्षमता है। भारत में आम की सबसे ज्यादा किस्में पायी जाती हैं। एक
लोककथा के अनुसार भगवान हनुमान ने रावण के बगीचे से इस पेड़ के बीज लिये थे।
महाभारत और रामायण में आम का उल्लेख एक से अधिक बार हुआ है इसलिए आम के फल, पेड़ और पत्तियों को
भारतीय संस्कृति में पवित्र स्थान प्राप्त है।
इसी आम के पेड़ के नीचे
अनेक धार्मिक उपाख्यान व घटनाएं हुई। शिव-पार्वती का विवाह, राधा-कृष्ण की
प्रणय लीला। गौतम बुद्ध विश्रम करने के लिए आम के पेड़ की छाया ही पसंद करते थे।
आम की अनेक
प्रजातियां है और हर प्रजाति की अपनी एक विशिष्ट महक और स्वाद है। प्रजातियों के
हिसाब से इनके आकार-प्रकार में भी भिन्नता देखी जा सकती है। कच्चे आम को अमिया
अथवा कैरी कहा जाता है। कैरी के विशिष्ट औषधीय उपयोग हैं। पका आम रसायनिक तत्वों
से परिपूर्ण होता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन, वसा और विभिन्न
खनिज पाये जाते हैं।
आम है कुछ खास
0 आम सिर्फ स्वाद में ही नहीं बल्कि गुणों का
भी खजाना है। आम कई घातक बीमारियों को मिटाने में हमारी मदद करता है।
0 शहद के साथ पक्केआम के सेवन से वायु तथा कफ
दोष दूर होता है।
0 यूनानी चिकित्सकों के अनुसार पक्का आम
आलस्य दूर करता है।
0 आम के अंदर कैंसर को रोकने की विशेषता पायी
जाती है।
0 आम को खाने से पाचन तंत्र अच्छा होता हैाने
से हमारी स्मरण शक्ति अच्छी रहती है।
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