कोल ब्लाक में कोई
भ्रष्टाचार नहीं: श्रीप्रकाश
(शिल्प)
भुवनेश्वर (साई)।
केंन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने पिछले १५ वर्षों के दौरान कोयला
ब्लाकों के आवंटन में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार किया है। हालांकि
उन्होंने कहा कि आवंटित कंपनियों ने कोयले का दुरूपायोग किया है कि नहीं, इसका पता जांच के
बाद ही चल पाएगा।
भुवनेश्वर में कल
शाम संवाददाताओं से बातचीत में श्री जायसवाल ने कहा कि अब तक की सरकारों ने आम
आदमी को मुनासिब दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए निजी कंपनियों को कोयला ब्लाकों
के आबंटन की नीति अपनाई, क्योंकि अकेले कोल इंडिया बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर सकता था।
उनहोंने कहा कि
पिछले पंद्रह सालों में जो कोल ब्लॉक दिये गये उसके पीछे मोटिव यह था कि देश की
पॉवर रिक्वायरमेंट को हम सब्सिडाइज रेट पर दे सकें। कोल ब्लॉक के एलोकेशन में कहीं
कोई स्कैम नहीं है,
कोई गलती नहीं है, कोई घोटाला नहीं है। अब कोल ब्लॉक लेने के
बाद इन लोगों ने क्या किया है, यह इन्क्वायरी का विषय हो सकता है।
श्री जायसवाल ने
बताया कि कंपनियों के सरकार के साथ किये गए बिजली की खरीद संबंधी समझौतों के बाद
ये आंवटन किये गए । उन्होंने ये भी बताया कि १९९३ और १९९९ के दौरान आठ ब्लाकों के
आवंटन किये गए जबकि एनडीए सरकार ने १९९९ से २००४ के बीच ३२ ब्लाकों के आबंटन किये
और यूपीए सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान १५३ आबंटन किये गए।
श्री जायसवाल ने
कहा कि सौ प्रतिशत मामलों में बिजली खरीद समझौते किये गए। टीम अण्णा द्वारा कोयला
ब्लॉको के आवंटन में सीएजी के रिपोर्ट के हवाले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की
आलोचना के संबंध में एक प्रश्न के जवाब में कोयला मंत्री ने कुछ लोगों और राजनीतिक
दलों के आरोपों का खंडन किया।
उधर, केंद्रीय
अन्वेषण ब्यूरो-सी बी आई ने २००६ से २००९ के बीच निजी कंपनियों को कोयला खंडों के
आवंटन में अनियमितताओं और निजी कंपनियों द्वारा इसका दुरूपयोग करने के आरोपों की
प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। सी बी आई प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने कल आकाशवाणी को
बताया कि एजेंसी ने जांच शुरू कर दी है। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने इस बारे में
भारतीय जनता पार्टी के प्रकाश जावड़ेकर और हंसराज अहीर के आरोपों को सी बी आई को
भेज दिया था।
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