ब्याज दरों में
कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक
(दीपक अग्रवाल)
मुंबई (साई)।
औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में गिरावट और मुद्रास्फीति में बढोतरी के मद्देनजर
रिजर्व बैंक अपनी मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में क्या कदम उठाएगा, इसको लेकर उद्योग
जगत की बेचौनी बढ गई है। बीते वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर घटकर नौ साल
के निचले स्तर 6।5 प्रतिशत पर आने के
साथ सरकार और अर्थशास्त्री दोनों ही इस बात की वकालत कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक को
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के बजाय वृद्धि दर को प्राथमिकता देनी चाहिए।
गत शनिवार को, वित्त मंत्री प्रणव
मुखर्जी ने भी उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक ‘‘मौद्रिक नीति में
समायोजन करेगा। क्योंकि हम राजकोषीय नीति को समायोजित कर रहे हैं।’’ रिजर्व बैंक के
गवर्नर डी। सुब्बाराव सोमवार को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे और
उद्योग जगत को अनुमान है कि आरबीआई रेपो दर में कम से कम चौथाई प्रतिशत की कटौती
कर इसे 7।75 प्रतिशत पर लाएगा
और साथ ही वह सीआरआर एक प्रतिशत तक घटा सकता है।
इस साल अभी तक
आरबीआई गवर्नर ने सीआरआर में 1.25 प्रतिशत की अच्छी खासी कटौती कर चुका है।
बैंक ने वार्षिक मौद्रिक नीति की घोषणा के समय रेपो दर में बाजार के अनुमान से
अधिक जा कर आधा प्रतिशत की कटौती की थी। इससे पहले मार्च 2010 से 2011 की आखिरी तिमाही
तक, 20 माह के
लंबे दौर में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कुल मिला कर 3.50 प्रतिशत की वृद्धि
की थी।
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