महामहिम चुनाव को
लेकर आड़वाणी गड़करी में रार
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
ममता मुलायम द्वारा बुधवार 13 जून को की गई संयुक्त पत्रवार्ता के बाद
उम्मीद जताई जा रही थी कि कांग्रेसनीत संप्रग में फूट पड़ जाएगी। इससे उलट भाजपानीत
राजग में घटक दलों की तिरछी चाल के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी के अंदर भी अब
दो तरह के स्वर मुखर होते दिख रहे हैं। इनमें से एक प्रणव मुखर्जी के पक्ष में आता
दिख रहा है।
देश के महामहिम
राष्ट्रपति के प्रत्याशी को लेकर भाजपा के अंदर चल रहे मंथन से अमृत और विष दोनों
ही निकलने की उम्मीद जताई जा रही है। भाजपा का एक धड़ा इस बात का पक्षधर बताया जा
रहा है कि राष्ट्रपति के प्रत्याशी को लेकर बखेड़ा इस कदर बढ़ा दिया जाए कि मध्यावधि
चुनाव की नौबत आ जाए। इसके लिए ममता बनर्जी अभी के हालातों में अपना कंधा देने को
राजी दिख रहीं हैं। किन्तु ममता कब पलट जाएं कहा नहीं जा सकता है।
दिल्ली में
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि
मध्यावधि चुनावों की संभावनाओं को लेकर भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और गुजरात के
निजाम नरेंद्र मोदी ने संघ के आला नेताओं से रायशुमारी की है। अंत में नरेंद्र मोदी
के इस तर्क से सभी सहमत हुए हैं कि गुजरात चुनाव के पहले किसी भी कीमत पर मध्यावधि
चुनाव ना करवाए जाएं।
उधर, दूसरी तरह राजग के
पीएम इन वेटिंग की आसनी से बलात हटाए जा रहे एल.के.आड़वाणी के करीबी सूत्रों का
कहना है कि आड़वाणी जुंडाली चाह रही है कि तत्काल ही कुछ इस तरह का सीन बना दिया
जाए कि मध्यावधि चुनाव हो जाएं। आड़वाणी की मंशा भी कमोबेश यही दिख रही है।
इसके पीछे तर्क
दिया जा रहा है कि चूंकि नरेंद्र मोदी को आधिकारिक तौर पर अभी पीएम इन वेटिंग नहीं
बनाया गया है, और अगर
वर्तमान में मध्यावधि चुनाव हुए तो निश्चित तौर पर वे आड़वाणी की अगुआई में ही
होंगे। एक बार फिर (संभवतः आखिरी बार) आड़वाणी के मन में दांव खेलने की इच्छाएं
कुलांचे मार रहीं हैं। कहा जा रहा है कि इसके लिए आड़वाणी ने अपने सारे घोड़े छोड़
दिए हैं।
आड़वाणी जुंडाली के
बीच चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो आड़वाणी के सहयोगी इस समय मुलायम सिंह
यादव, ममता
बनर्जी, जयललिता, जगन आदि के संपर्क
में हैं जो मध्यावधि चुनाव के पक्ष में दिख रहे हैं। पश्चिम बंगाल में परचम लहराकर
ममता, तो उत्तर
प्रदेश में अपनी सरकार बनाकर मुलायम गदगद हैं। वहीं जयललिता का सोचना है कि अभी
करूणानिधि के खिलाफ माहौल है जिसे भुनाया जा सकता है, जगन की शानदार पारी
सभी के सामने हैं। सभी का मानना है कि अगर मध्यावधि चुनाव हुए तो वे पहले से अच्छा
परफार्म कर सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर दो घंटे से अधिक तक चली इस बैठक
के बाद इस एनडीए संयोजक और जदयू नेता शरद यादव ने किसी नतीजे पर नहीं पंहुचने की
बात स्वीकार करते हुए संवाददाताओं से कहा, बैठक में यह राय बनी कि इस मामले में कोई
सही फैसला करने के लिए अभी और वक्त चाहिए। साथ ही, एनडीए शासित
राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार-विमर्श की भी जरूरत है। आडवाणी को जिम्मदारी
दी गयी है कि वे सबसे बात करें।
उधर, शिवसेना ने बैठक
में शामिल नहीं होने का फैसला कर मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। बाल ठाकरे के आवास पर
पार्टी की अलग से बैठक हुई और कहा गया कि कलाम का समर्थन किया जाये. कलाम नहीं, तो कोई नहीं. हम
ममता बनर्जी के साथ हैं। शिवसेना ने पिछले चुनाव में भी भैरोंसिंह शेखावत का
समर्थन करने की बजाय प्रतिभा पाटील का समर्थन किया था।
पूर्व लोकसभा
अध्यक्ष पीए संगमा ने ममता बनर्जी को फोन कर समर्थन मांगा है। तृणमूल सांसद कुणाल
घोष ने बताया कि ममता ने संगमा से कहा कि अगर कलाम इस चुनाव में खड़े होते हैं, तो वे भी कलाम का
समर्थन करें। संगमा ने कहा, वे भी रेस में हैं और उन्हें पता चला है कि
कलाम चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं।
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