राष्ट्रगान से
परहेज है भाजपा को!
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। देश
के हृदय प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार अपनी कामयाबियों
पर भले ही इठला रही हो, पर शिव के गण (वरिष्ठ सरकारी कर्मचारी) किसी और के इशारों पर
ही काम कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान लाख जतन कर प्रदेश में भाजपा और खुद को
लोकप्रिय बनाने का प्रयास कर रहे हों पर आला अधिकारी उनके इन प्रयासों में पलीता
ही लगाते नजर आ रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि
पूर्व में मध्य प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करने वाले मध्य प्रदेश के
जनसंपर्क संचालनालय द्वारा अमरिका में मिलने वाले मध्य प्रदेश के सम्मान की खबर से
परहेज ही किया गया। इसके बाद स्वाधीनता दिवस के आयोजन में महामहिम लाट साहब द्वारा
स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के सम्मान की खबरों में फिरंगियों से लड़कर देश को
स्वाधीनता दिलावाने वालों को भूलकर जनसंपर्क विभाग द्वारा अपने लोगों और अफसरान के
नाम से खबर जारी कर साबित कर दिया कि अफसरान को शिवराज सिंह चौहान की छवि की परवाह
कतई नहीं है। प्रदेश के आला अधिकारियों की कारगुजारियों के चलते होने वाली स्थिति
से प्रदेश में शिवराज सिंह चौळान की छवि प्रभावित हुए बिना नहीं है।
मध्य प्रदेश भाजपा
के एक धड़े के बीच चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो मध्य प्रदेश में आयतित
होकर आए देश के एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा शिवराज सिंह चौहान की छवि पर
कालिख लगाने का जतन किया जा रहा है। आला अधिकारियों की पदस्थापना भी उक्त क्षेत्र
विशेष के लोगों के इशारों पर ही हो रही हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि अपनी
जमावट कर उक्त क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा तख्ता पलट का तानाबाना भी बुना जा
रहा है।
‘मितव्यययिता अपनाना है, प्रदेश को आगे
बढ़ाना है‘ स्लोगन के
साथ वर्ष 2012 की 120 रूपए (कर
अतिरिक्त) की मंहगी सरकारी दैनंदिनी (डायरी) में अनेक विसंगतियां हैं। प्रदेश
सचिवालय वल्लभ भवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि
इन डायरियों को जनसंपर्क विभाग के माध्यम से प्रदेश और दिल्ली के मीडिया में भी
निशुल्क बांटा जाता है। इन विसंगतियों पर मीडिया की नजर जाए और शिवराज सिंह चौहान
की छवि प्रभावित हो इस तरह के प्रयास भी किए गए हैं।
इस दैनंदिनी को
देखने पर साफ हो जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार को राष्ट्रगान से ज्यादा राष्ट्रगीत
प्यारा है। इसमें दूसरे सफे पर ही राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम‘ प्रकाशित किया गया
है। इस गीत का अनुवाद ना जाने कितने बार किया जा चुका है। उसी अनुवाद को एक बार
फिर जनसंपर्क के नौरत्नों में से एक डॉ.सुरेश तिवारी द्वारा किया गया बताया गया
है। इस पूरी डायरी में राष्ट्रगान ‘जन गण मन‘ का कहीं उल्न्लेख
नहीं मिल रहा है।
इतना ही नहीं इस
डायरी में सांसदों के आरंभ वाले पेज 34 पर संसद, विधानसभा सदस्यों
के आरंभ वाले पेज नंबर 39 में पार्श्व में विधानसभा की तस्वीर, मंत्रालय में पदस्थ
आईएएस के आरंभ वाले पेज 75 पर वल्लभ भवन, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय, लोकायुक्त आदि अनेक
भागों का वर्गीकरण अलग अलग पेज में किया गया है, पर किसी के पार्श्व
में संबंधित फोटो नहीं है। बहरहाल, इस डायरी में राष्ट्रगान के ना होने की तरह
तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
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