शांति के माहौल में
ही बातचीत संभव: भारत
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सभी मसले आतंक और हिंसारहित वातावरण में
सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा पाकिस्तान की विदेश
मंत्री हिना रब्बानी खार के साथ आपसी बातचीत के अंतिम दौर की समीक्षा के लिए आज
इस्लामाबाद जा रहे हैं।
श्री कृष्णा ने कहा
कि भारत ने मुम्बई हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान को
पर्याप्त सबूत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वे बैठक के नतीजों का पहले से कोई अनुमान
नहीं लगा सकते तथा भारत और पाकिस्तान के सभी मसलों को सुलझाने का बेहतरीन तरीका
बातचीत ही है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ श्री कृष्णा की
बैठक के दौरान सभी द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा होगी, लेकिन आतंकवाद तथा
मुम्बई हमले के दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई का मामला भारत की चिंता का मुख्य विषय
है।
श्री कृष्णा ने कहा
कि आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग की दिशा में प्रगति हुई है और उन्हें उम्मीद है कि
दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ेगा, क्योंकि दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों के
केन्द्र में उनकी जनता ही है। विदेश मंत्री के साथ जा रहे हमारे संवाददाता ने खबर
दी है कि भारत दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बेहतर बनाने के लिए पाकिस्तान के
साथ नई वीजा प्रणाली पर दस्तखत करने के लिए तैयार है।
इस बीच, कल इस्लामाबाद में
भारत और पाकिस्तान संयुक्त आयोग के आठ तकनीकी उप समूहों की बैठक हुई। बैठक में
कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई। संयुक्त
आयोग की पूर्ण बैठक में विशेषज्ञ महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं।
पूर्व राजनीतिक जी
पार्थसरथी ने विदेश मंत्री एस एम कृष्णा की पाकिस्तान यात्रा को दोनों देशों के
बीच संबंध सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि ये एक
अच्छा मौका है बहस के लिए कई मुद्दों पर और हमारे लिए प्राथमिकता तो होगी आतंकवाद, हम यह नही कह सकते
कि हम बहुत खुश हैं उन कारवाईयों से जो पाकिस्तान ने अभी तक किया है। दोषियों को
न्याय के सामने लाने के लिए, जो भी वहां पर अदालती कार्यवाही चल रही है
वो बहुत धीमी गति से चल रही है और लोगों के मन में शक है यहां क्या इससे कुछ नतीजा
निकलेगा या नहीं। इसके अलावा यह अच्छा मौका होगा कृष्णा साहब के लिए कि आपसी
विश्वास बनाने के लिए कुछ कदमों पर बहस हो। जम्मू कश्मीर में जो नियत्रंण रेखा है
उसके पार यात्रियों को जाने के लिए सुविधाएं बढ़ाए जा सकते हैं। जो कश्मीर में
नियत्रंण रेखा है उसके पार व्यापार के जो संबंध हैं उसको भी हम बढ़ा सकते हैं।
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