कांग्रेसियों ने
तबियत से बांटे कोल ब्लॉक
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय और विजय दर्डा के बाद दो और नेताओं का नाता 2005-2009 के बीच कोयला
ब्लॉक आवंटन पाने वालीं कंपनियों से जुड़ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के
नेता प्रेम चंद गुप्ता के बेटों ने उस समय कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन किया था जब वह
केंद्र सरकार में कंपनी मामलों के मंत्री थे। गुप्ता का बेटा स्टील के कारोबार में
बिल्कुल नया था, इसके
बावजूद उन्हें ब्लॉक मिल गया।
सूचना एवं प्रसरण
राज्यमंत्री एस. जगतरक्षकन ने तो अलॉटमेंट से पांच दिन पहले जेआर पावर नामक कंपनी
बनाई और सरकारी कंपनी पुड्डुचेरी इंड्स्ट्रियल प्रमोशन डिवलपमेंट ऐंड इन्वेस्टमेंट
कॉरपोरेशन (पीआईपीडीआईसी) के साथ एमओयू साइन करके 17 जनवरी 2007 को कोल ब्लॉक के
लिए दावेदारी ठोक दी। 25 जुलाई को कंपनी को उड़ीसा के नैनी में कोल ब्लॉक मिल गया और
एक महीने के भीतर ही जेआर पावर ने अपनी हिस्सेदारी हैदराबाद की कंपनी केएसके
एनर्जी वेंचर्स को बेच दी, जिससे इस कंपनी को ब्लॉक से कोयला निकालने का अधिकार मिल गया।
बाद जगतरक्षकन ने 2009 में चुनाव लड़ने के
लिए कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके परिवार
के लोग अभी भी कंपनी के डायरेक्टर हैं। साफ है कि कोर सेक्टर में कोई ट्रैक
रेकॉर्ड न होने के बावजूद जेआर पावर को मनमानी पूर्ण तरीके से ब्लॉक आवंटित किए गए
और कंपनी ने इसे बेचकर एक महीने के भीतर ही मोटा मुनाफा कमा लिया। खास बात यह है
कि जिस पीआईपीडीआईसी के साथ जेआर पावर ने कोल ब्लॉक की दावेदारी जताने के लिए
संयुक्त उपक्रम बनाया था वह भी एक इन्वेस्टमेंट कंपनी है।
प्रेम चंद गुप्ता
के मामले में आईएसटी ग्रुप की सहायक कंपनी आईएसटी स्टील ऐंड पावर सवालों के घेरे
में है। इस कंपनी पर गुप्ता के दो बेटों मयूर और गौरव का मालिकाना हक है और वे ही
इसे ऑपरेट करते हैं। गुजरात अंबुजा और लाफार्ज जैसी दिग्गज सीमेंट कंपनियों के साथ
आईएसटी स्टील को महाराष्ट्र में दाहेगांव/मकरधोकरा ब्लॉक आवंटित किया गया था।
आईएसटी स्टील के
खिलाफ सीबीआई जांच का यह मामला नया है। लेकिन यह उन 58 कंपनियों में
शामिल है, जिन्हें इस
साल की शुरुआत में कोयला मंत्रालय ने सुस्त कामकाज के कारण कारण बताओ नोटिस जारी
किया था। जनवरी में हुई मीटिंग के विवरण के मुताबिक इस खदान में दिसंबर 2013 से प्रॉडक्शन शुरू
होना था। हालांकि,
ब्लॉक के माइनिंग प्लान को मंजूरी नहीं मिली है। इसका फॉरेस्ट
क्लीयरेंस, माइनिंग
लीज और भूमि अधिग्रहण लंबित हैं। गुप्ता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ब्लॉक में 2015 से प्रॉडक्शन शुरू
हो जाएगा। आईएसटी स्टील के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर गौरव गुप्ता के मुताबिक कंपनी
को अगस्त 2005 में
रजिस्टर करवाया गया था।
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