शनिवार, 3 नवंबर 2012

हजारों करोड़ डकारे! अब ओर की चाहत!


हजारों करोड़ डकारे! अब ओर की चाहत!

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। कांग्रेस अब शायद घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार का ही पर्याय बनकर रह गई है। महाराष्ट्र में केंद्र सरकार की बाल विकास योजना में एक हजार करोड़ रूपए का घोटाला सामने आया है। खाद्य सुरक्षा पर चल रही सरकारी योजनाओं की निगरानी के लिए नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के कमिश्नर ने अपने प्रतिवेदन में इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा किया है।
प्रतिवेदन के मुताबिक निजी कंपनियों ने फर्जी महिला मंडल बना कर पूरी योजना पर कब्जा कर लिया। कमिश्नर ने सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरे इस मामले में नेताओं, अफसरों व ठेकेदारों की मिली-भगत की निष्पक्ष जांच करवायी जाए। बताया जाता है कि पूरे घोटाले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट कमिश्नर्स और नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने मुख्यमंत्री को दी थी लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ।
उधर, पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि समन्वित बाल विकास योजना यानी आईसीडीएस कुपोषण से लड़ने के लिए देश की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है। दो अक्टूबर 1975 को शुरू हुई इस योजना के संदर्भ में 7 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने आईसीडीएस में ठेका देने पर रोक लगा दी थी। लेकिन इस आदेश के बाद भी महाराष्ट्र सरकार ने 2009 में नियम बदल कर सामुदायिक संगठनों और महिला संस्थानों को ठेका लेने की इजाजत दे दी।
उल्लेखनीय है कि ये योजना 6 साल के बच्चों और उनकी माताओं को मुफ्त भोजन मुहैया कराने के लिए है। 2012-13 के केंद्रीय बजट में इस योजना को 15 हजार 850 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है।
महाराष्ट्र में फिलहाल योजना में कुल 553 प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं। इन प्रोजेक्ट का जिम्मा 3 महिला मंडलों के हाथ में है, लिहाजा सीधी अंगुली इन पर उठ रही है। इनमें से 364 प्रोजेक्ट ग्रामीण इलाके में, 85 प्रोजेक्ट आदिवासी इलाके में और 104 प्रोजेक्ट शहरों के स्लम इलाके में काम कर रहे हैं।