सहाराश्री को छुड़ाने के लिए
कर्मचारियों से मांगा उधार
(दीपांकर श्रीवास्तव)
लखनऊ (साई)। सहारा ने अपने प्रमुख
सुब्रत रॉय को जेल से निकालने के लिए अपने कर्मचारियों और करीबियों से मदद मांगी
है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा रखी गई शर्त के 10 हजार करोड़ जुटाने के लिए सहारा इंडिया
परिवार के कर्मचारियों और अन्य शुभचिंतकों से अपनी इच्छा व क्षमता के अनुसार 1, 2, 3 लाख रुपये या
उससे अधिक की राशि का योगदान करने का आग्रह किया गया है.
इस प्रस्ताव के तहत मनोरंजन से खुदरा
कारोबार क्षेत्र में कार्यरत सहारा समूह के कर्मचारियों को उनके इस योगदान के लिए
सहारायिन ए-मल्टीपरपज सोसायटी लि. के शेयर दिए जाने की बात है. सहारा समूह का दावा
है कि उसके 11 लाख वेतनभोगी व फील्ड कर्मचारी है. इस योगदान की अपील इस सोसाइटी के
निदेशकों और समूह के ‘एसोसिएट्स‘ के हस्ताक्षरों के साथ जारी एक पृष्ट के पत्र के जरिये की गई
है.
इस बारे में संपर्क किए जाने पर
सहारा के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह पत्र सुब्रत राय या प्रबंधन द्वारा जारी
नहीं किया गया है. यह मौजूदा स्थिति के मद्देनजर लोगों की भावनात्मक पहल है. एक
अधिकारी ने कहा कि यह नहीं समझा जाना चाहिए कि सहारा समूह या प्रबंधन अपने
कर्मचारियों से योगदान के लिए कह रहा है. सुब्रत रॉय ने इस संगठन का निर्माण
परिवार के रूप में किया है. ऐसे में देशभर में बड़ी संख्या में पत्र आ रहे हैं.
उम्मीद है कि हमारे मुख्य अभिभावक के प्रति इस भावना को समझा जाएगा.
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सुब्रत
रॉय को 4 मार्च से तिहाड़ जेल में बंद हैं. न्यायालय ने राय को अंतरिम जमानत देने
के लिए समूह को पहले 10,000 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है. इसमें 5,000 करोड़
रुपये बैंक गारंटी के रूप में होंगे. हालांकि समूह के वकीलों ने अदालत को बताया कि
सुब्रत रॉय और दो अन्य निदेशकों की रिहाई के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना समूह के लिए
मुश्किल हो रहा है. इन वकीलों ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत का निवेशकों का 20,000
करोड़ रुपये सेबी के पास नहीं जमा कराने के लिए रॉय को जेल भेजने का आदेश गैरकानूनी
व असंवैधानिक है.
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