(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। बहुतायत में लोगों ने
बचपन में अपने कोर्स की किताब में ‘उसी से ठंडा, उसी से गरम‘ शीर्षक का पाठ
पढ़ा होगा। इसी तर्ज पर सिवनी में धान संग्रहण होता दिख रहा है। एक ही सरकारी
एजेंसी द्वारा सिवनी के पास और लखनादौन सहित अनेक स्थानों में ई-उपार्जन के माध्यम
से खरीदी गई धान का संग्रहण करवाया गया है। इसमें से लखनादौन की धान अपेक्षाकृत कम
मात्रा में ही सड़ पाई है, जबकि सिवनी की
धान का बड़ा हिस्सा सड़ चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनादौन
के कैप में रखी धान कम मात्रा में ही खराब हो पाई है। प्रशासनिक सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लखनादौन में रखी धान का रखरखाव उचित तरीके से किया
गया। इस धान को बारिश के पहले ही कैप में कैप लगाकर रख दिया गया था। यही कारण है
कि वहां रखी धान उठाव के समय भी सुरक्षित ही प्रतीत हुई।
वहीं दूसरी ओर सिवनी के नरेला और
अन्य कैप में रखी धान का रखरखाव उचित तरीके से नहीं करवाया गया। दिसंबर माह मे ही
धान को कैप में, खुले में रखा गया था। इस संबंध में
जब उस वक्त जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो जिम्मेदार अधिकारियों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया था कि धान को सुखाने के लिए खोलकर रखा गया है। खुली धान
असमय होने वाली बारिश में भीग गई थी, जिसमें से धान की
बोरियों में फफूंद भी लग गया था। इसी तरह धारना क्षेत्र में भी ई-उपार्जन के
माध्यम से खरीदी गई धान के बोरे खुले रखे हुए हैं।
पक्षी खा रहे धान
अनेक स्थानों से प्राप्त जानकारी के
अनुसार खुले में रखे धान के बोरों पर तोते, कौए एवं अन्य
पक्षियों के झुंड हमला कर रहे हैं। इन पक्षियों के द्वारा धान के बोरों से धान
निकालकर खाई जा रही है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर भी अनेक छायाचित्र इस आशय
वाले वायरल हो रहे हैं, पर प्रशासन का
ध्यान इस ओर न जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
गायब हैं धान की बोरियां!
वहीं, प्रशासनिक सूत्रों ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि धान
सड़ाने के पीछे जिम्मेदार अधिकारियों की मंशा स्पष्ट है। अधिकारियों, कर्मचारियों ने जानबूझकर धान को सड़वाया है। कहा जा रहा है कि
धान के स्टेग से सरकारी स्तर पर निकासी के दौरान धान के अनेक वाहन बिना किसी
इंद्राज के ही निकाल दिए गए और खुले बाजारों में बेच दिए गए हैं। अब स्टाक को
बराबर करने की गरज से धान को सड़वा दिया गया है, ताकि धान का स्टाक मिलाया जा सके।
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