(शरद खरे)
प्रदेश भर में अवैध रूप से संचालित
होने वाली यात्री बस एक तरफ तो यात्रियों की जेबें ढीली कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर शासन के राजस्व में भी सेंध लगा रही हैं। अवैध
रूप से संचालित होने वाली यात्री बसों के संचालकों के लिए सिवनी बेहद मुफीद ही
साबित हो रहा है। सिवनी में अवैध यात्री बसों का धंधा जमकर चल रहा है। अवैध यात्री
बसों के परमिट, फिटनेस, आदि की जांच करना न तो परिवहन विभाग के ही बस की बात रह गई है
और न ही यातायात पुलिस की नजरें ही इन पर इनायत हो रही हैं। सिवनी में अवैध यात्री
बसों का गोरखधंधा सालों साल से बदस्तूर चल रहा है।
सिवनी जिले में अवैध यात्री बसों पर
पूर्व जिला कलेक्टर मनोहर दुबे एवं तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार ने
बंदिश लगवा दी थी। उस समय सिवनी जिले में अवैध यात्री बस न तो शहर में ही प्रवेश
कर पाती थीं और न ही सवारियां ही भर पाती थीं। इन दोनों ही अधिकारियों के
स्थानांतरण के उपरांत अवैध यात्री बसों का सिवनी में प्रवेश एक बार फिर आरंभ हुआ
जो अब तक नहीं रूक सका है।
वर्तमान में यह सब तब हो रहा है जबकि
बस स्टैंड परिसर में ही यातायात पुलिस की एक चौकी भी स्थापित हो चुकी है। अब तो
यातायात पुलिस के पास यह कहने का बहाना भी नहीं रह जाता है कि उसके पास अमले की
कमी है। अगर बस स्टैंड में पुलिस चौकी स्थापित है तो निश्चित तौर पर कम से कम एक
कर्मचारी तो वहां तैनात रहता ही होगा। क्या उस कर्मचारी का यह कर्तव्य नहीं है कि
बस स्टैंड परिसर के इर्द गिर्द या अंदर से सरे आम सवारी भरने वाली यात्री बस को
पकड़कर थाने के प्रांगण में खड़ा करवाए?
ऐसा नहीं है कि पुलिस या प्रशासन के
आला अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि यह सब अवैध काम तेजी से संचालित
हो रहे हैं। दरअसल, इनमें से अधिकांश
बस या तो प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की हैं या फिर लक्ष्मी
मैया की कृपा से इन बसों को दो नंबर में संचालित किया जा रहा है। परिवहन विभाग के
आला अधिकारी तो न जाने कब से सड़कों पर दिखे तक नहीं हैं।
एक समय था जबकि यातायात पुलिस और
परिवहन विभाग द्वारा जिला न्यायालय के किसी न किसी माननीय न्यायधीश के साथ वाहनों
की चेकिंग का कार्य किया जाता था। इसे मजिस्ट्रेट चेकिंग का नाम दिया जाता था। इस
चेकिंग में बचने की गुंजाईश कम ही हुआ करती थी। माननीय न्यायधीश के सामने पुलिस और
परिवहन महकमे के कर्मचारी अधिकारी वाहन के संचालकों, वाहन चालकों के साथ सेटिंग नहीं कर पाते थे।
सिवनी शहर में वाहनों की रेलमपेल
किसी से छिपी नहंीं है। अवैध बस संचालक एक तो गलत कार्य को अंजाम देते हैं, साथ ही साथ उनके द्वारा शहर भर में जगह-जगह बस रोककर न केवल
सवारी बैठाई जाती है वरन् सामान भी भरा जाता है, जिससे आने जाने वाले राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना
पड़ता है। राहगीरों की परेशानी से भला किसी को क्या लेना देना। दो पहिया वाहन चालक
परेशान होते हैं तो होते रहें। यात्री परेशान हों, नागरिक परेशान हों होते रहें, पर इन अवैध बसों पर कार्यवाही न करने का अघोषित प्रण शायद
यातायात पुलिस और परिवहन विभाग ने ले रखा है, जिसे वे बदस्तूर
जारी रखे हुए हैं। अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्या कारण है कि अवैध बसें आज भी सड़कों
का सीना बेरहमी से रौंद रहीं हैं।
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