जारवाओ मामले में एफआईआर
(पियूष शाह/राजीव सक्सेना)
पोर्ट ब्लेयर/नई दिल्ली (साई)। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में जारवाओं के नृत्य करते हुए चित्र दिखाए जाने और प्रकाशित किये जाने के बाद अंडमान निकोबार पुलिस ने इस मामले में एफ.आई.आर दर्ज की है। बम्बूफ्लाट थाने के एस.एच.ओ द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम उन्नीस सौ नवासी और आदिम जनजातिय संरक्षण नियमन उन्नीस सौ छप्पन के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
पिछले दिनों कई टीवी चैनलों पर जारवाओं को नृत्य करते हुए दिखाया गया था और गारजियन और लंदन ऑबजर्वर में इस बारे में चित्र और खबरें छपी थी। जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं उनमें गारजियन के इलियट स्मिथ, गैथिन चैम्बरलेन और स्वयं सेवी संगठन सरवाइवल इंटरनेश्नल से जुड़े एलबर्टो कैस्पानी तथा अन्य सदस्य शामिल है।
अंडमान-निकोबार प्रशासन ने सैलानियों के सामने नाचती अर्द्धनग्न जारवा महिलाओं का विडियो लेने वाले लोगों की बड़े पैमाने पर खोज शुरू की है। दूसरी तरफ केंद्र ने विडियो फुटेज को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है। अंडमान पुलिस ने विडियो की शूटिंग और उसे अपलोड करने के सिलसिले में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी, सूचना और प्रौद्योगिकी कानून, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आदिवासी संरक्षण कानून के तहत मामला दर्ज किया।
उधर, नई दिल्ली में गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, कि उन्हें अब विडियो की एक कॉपी मिल गई है और उन्होंने उसे जांच के लिए भेजा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वह खास विडियो, वे किसी ओर वीडियो की बात नहीं कर रहे, हो सकता है कि एक से ज्यादा ऐसे विडियो हों लेकिन उस खास विडियो के बारे में पता करने में हम सक्षम हुए हैं और यह 3-4 साल पुराना है।
चिदंबरम ने कहा कि विडियोग्राफर और टूर ऑपरेटर को तत्काल पकड़ने और उनसे पूछताछ करने के लिए अंडमान-निकोबार प्रशासन को निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अंडमान-निकोबार प्रशासन ने जो भी नीति अपनाई है वह अपनी जगह है। पर उन्होंने माना कि जो कुछ भी हुआ वह नीति का उल्लंघन था।
अंडमान-निकोबार पुलिस ने आरक्षी उपाधीक्षक की अगुवाई में विशेष टीम का गठन किया है जो उस कम्प्यूटर का पता लगाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों की साइबर शाखाओं से मदद लेगी, जहां इसका इस्तेमाल किया गया। लंदन के अखबार ऑब्जर्वर के इस कथित मामले को प्रकाशित करने और विडियो को अपलोड करने के बाद विवाद पैदा हो गया।
आईपीसी की धारा 292 (अश्लील सामग्री दिखाना), सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (ऐसी सूचना का प्रकाशन जो इलेक्ट्रानिक स्वरूप में अश्लील है), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून की धारा 3 (2), (किसी अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति को ऐसी चीज खिलाना या पिलाना, जिसमें नशीला पदार्थ हो) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इसके अलावा प्राचीन जनजातियों के संरक्षण से संबंधित कानून की धारा सात (वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए बफर क्षेत्र में प्रवेश) और धारा आठ (जारवा जनजाति के बारे में किसी तरह के विज्ञापन के जरिए पर्यटन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
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