0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 51
आपने हमें जगाया इसके लिए हम आभारी हैं: बुंदेला
हमारा काम कार्यवाही करना नहीं अनुशंसा विभाग को भेजना है: बुंदेला
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। ‘मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड मे लगने वाले मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट के बारे में लोकसुनवाई की विसंगतियों को हमारे ध्यान में लाने के लिए हम आपके आभारी हैं। हमारा काम अनियमितताओं पर कार्यवाही करना नहीं, वरन् गफलतों के बारे में अनुशंसा कर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को अपना प्रतिवेदन भेजना है। कार्यवाही करने का काम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का है।‘ उक्ताशय की बात मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के प्रभारी श्री बंुदेला ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही गई।
श्री बुंदेला ने कहा कि घंसौर के बरेला ग्राम में लगने वाले 1200 मेगावाट के पावर प्लांट की दो चरणों में हुई लोकसुनवाई में जो भी बातें प्रकाश में लाई गईं उनका प्रतिवेदन बनाकर उसे मध्य प्रदेश शासन की ओर से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रेषित कर दिया गया है। अंतिम निर्णय केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को ही लेना है।
उन्होंने कहा कि जहां तक दूसरी लोकसुनवाई में वृक्षारोपण का मसला सामने आया है तो उनकी जानकारी में संयंत्र प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण किया गया है। इनमें से कितने पौधे बचे हैं इसकी जांच की जाएगी। जब उनके संज्ञान में यह बात लाई गई कि संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा द्वारा 22 नवंबर 2011 को आहूत लोकसुनवाई में कहा गया कि वृक्षारोपण किया ही नहीं गया है, पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि पता नहीं श्री मिश्रा ने यह बात कैसे कह दी।
लोकसनुवाई की मुनादी के बारे में बोलते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि इसका विज्ञापन टाईम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित करवाया गया है इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि इसकी मुनादी नहीं पीटी गई। जब क्षेत्रीय अखबारों में विज्ञापन की बात उनसे पूछी गई तो वे मौन साध गए। इस संयंत्र के प्रथम चरण की अनुमति मिलने के बाद भी धूल उड़ाती सड़कों के बारे में पूछे जाने पर श्री बुन्देला ने कहा कि अभी परियोजना पूरी नही हुई है अतः इस बारे में कुछ कहना मुनासिब नहीं है।
जब उनसे यह कहा किया कि प्रथम चरण की अनुमति मिलने के बाद भी सड़क निर्माण का काम आरंभ नहीं कराया गया है तो उन्होने कहा कि अभी परियोजना आरंभ हुई है पूरी नहीं। जब उनसे कहा गया कि संयंत्र प्रबंधन ने निर्माण अवस्था में ही सड़कों को पक्का करने का वायदा किया था, के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है।
जब लोकसुनवाई में हुई विसंगतियों और मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में डाले जा रहे पावर प्लांट द्वारा उड़ाई जा रही नियम कायदों की खिल्ली के बारे में श्री बुंदेला को विस्तार से बताया गया तो उन्होंने कहा कि वे आभारी हैं कि उन्हें जगाया गया है। अपनी सीमाओं का दुखड़ा रोते हुए उन्होंने कहा कि वे इस मामले में कार्यवाही करने में सक्षम नहीं हैं, किन्तु वे इन सारी आपत्तियों की एक टीप बनाकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को अवश्य ही प्रेषित करेंगे।
उन्होंने कहा कि अगर कोई भी पर्यावरण के नियमों के खिलाफ काम करेगा तो उसके खिलाफ मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल कार्यवाही करता है, किन्तु झाबुआ पावर का यह संयंत्र अभी निर्माणावस्था में है अतः नियम विरूद्ध कामों के बारे में वे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को अपना प्रतिवेदन भेज ही सकते हैं।
गौरतलब है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में ही इन बातों का उल्लेख किया गया था, किन्तु निर्माण अवस्था में ही संयंत्र प्रबंधन अपने वायदे से मुकर रहा है। मण्डल के जबलपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के चीफ केमिस्ट श्री देव भी लोकसुनवाई में उपस्थित हुए थे और वे भी धूल उड़ाती सड़कों से ही वहां पहुंचे थे। धूल से सराबोर क्षेत्र देखकर भी उन्हें पर्यावरण के नुकसान का भान न होना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
(क्रमशः जारी)
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