0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 53
नहीं खोला संयंत्र प्रबंधन ने एक भी स्कूल
ग्रामीण बच्चों के लिए प्राईमरी एजूकेशन के बजाए उच्च शिक्षा की व्यवस्था का कर रहे दिखावा
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित किए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रबंधन द्वारा सरेआम नियम कायदों की अनदेखी की जा रही है, और शासन प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है।
आरोपित है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा छल कपट से कोसों दूर रहने वाले आदिवासियों की जमीनों को खरीदकर उन्हें पलायन पर मजबूर किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर स्थानीय क्षेत्र के विकास का सपना दिखाकर न केवल आदिवासियों को छला जा रहा है वरन् जनसेवकों की परोक्ष मदद से क्षेत्र में विकास की संभावनाओं पर तुषारापात किया जा रहा है।
बताया जाता है कि संयंत्र प्रबंधन ने पूर्व में क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने का वायदा किया था। गांव में जहां प्राथमिक शिक्षा को नौनिहाल तरस रहे हैं वहीं दूसरी ओर संयंत्र प्रबंधन द्वारा शिक्षा के विस्तार के नाम पर महज रस्म अदायगी ही की जा रही है। संयंत्र प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के नाम पर कोरी रस्म अदायगी ही की जा रही है।
देखा जाए तो संयंत्र प्रबंधन को घंसौर तहसील के ग्राम बरेला, गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई और हायर सेकन्डरी स्कूल खुलवाए जाने थे। इससे उलट संयंत्र प्रबंधन द्वारा महाविद्यालय स्तर पर आईटीआई की कुछ सीटें खुलवा दी हैं। यक्ष प्रश्न यह है कि गरीब गुरबे आदिवासियों के बच्चों को प्राथमिक स्तर से हायर सेकन्डरी स्तर की शिक्षा आखिर कहां से मुहैया हो सकेगी, जिसका दावा संयंत्र प्रबंधन द्वारा किया गया था।
बावजूद इसके यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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