बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 75
अंग्रेजी का मोह खा गया हरीश खरे को
हिन्दी की उपेक्षा भरी पड़ी पीएम के मीडिया एडवाईजर को
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। राजनैतिक और मीडिया की वीथिकाओं में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार हरीश खरे की बिदाई के कारण खोजे जा रहे हैं। घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार में घिरे और अघोषित तौर पर भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक बन चुके वजीरे आजम को दो मर्तबा चुनिंदा संपादकों की टोली और समाचार चेनल्स से रूबरू करवाने वाले हरीश खरे की बिदाई के कारणों को लेकर कयास लगने आरंभ हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूलतः अंग्रेजी मीडिया के प्रेमी हरीश खरे पर हिन्दी और क्षेत्रीय मीडिया की उपेक्षा के संगीन आरोप लगे थे। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का आवास) सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की राजमाता के संज्ञान में यह बात लाई गई थी कि हरीश खरे क्षेत्रीय भाषाई और हिन्दी के पत्रकारों को तरजीह नहीं दे रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि 10 जनपथ और प्रधानमंत्री आवास के बीच सामंजस्य के अभाव की खबरें सार्वजनिक होने से मीडिया में खबरें उछलने से पीएम का वैसे भी हरीश खरे से मोह भंग हो चुका था। इसके उपरांत जब हरीश खरे पर नकेल कसने के लिए उन्हें कहा गया कि वे पुलक चटर्जी को रिपोर्ट करेंगे, तब संभवतः हरीश खरे के अंदर का पत्रकार जागा और उन्होंने इसके लिए मना कर दिया।
उधर, पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे द्वारा पुलक चटर्जी को रिपोर्ट करने से इंकार कर दिया गया। हरीश खरे ने दो टूक कहा किया कि वे सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करने को तैयार हैं। फिर क्या था हरीश खरे के स्थान पर नए मीडिया सलाहकार की खोज आरंभ हो गई।
पीएम के मीडिया सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए आलोक मेहता, भारत भूषण, विनोद शर्मा, प्रणय राय के साथ ही साथ एक केंद्रीय मंत्री के प्रेस सचिव रहे पत्रकार के नामों पर विचार किया गया। कहा जा रहा है कि इन सभी ने भी पुलक चटर्जी को रिपोर्ट करने से साफ इंकार कर दिया।
(क्रमशः जारी)
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