शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

. . . मतलब नर्मदा बचाओ वाले सैट हैं थापर से!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  62

. . . मतलब नर्मदा बचाओ वाले सैट हैं थापर से!

नर्मदा को प्रदूषित करने पर आमदा पावर प्लांट पर मौन है 

नर्मदा बचाओ आंदोलन



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के केंद्र सरकार की छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर के ग्राम बरेला में लगाए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट से पुण्य सलिला नर्मदा नदी के भयंकर तरीके से प्रदूषित होने का खतरा मण्डरा रहा है और इसे जानते बूझते हुए भी नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व कर्ताओं ने इसकी सुध लेने का कोई जतन नहीं किया है।
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा अपने प्रतिवेदन में साफ कहा है कि दो चरणों में लगने वाले इस संयंत्र में प्रत्येक संयंत्र से 853 टन जमीनी और 3416 टन फ्लाई एश का उत्सर्जन होगा। इस तरह जब दोनों संयंत्र आरंभ हो जाएंगे तब प्रतिदिन 1706 टन जमीनी और 6 हजार 832 टन फ्लाई एश का उत्सर्जन होगा। एक माह का अगर अनुमान लगाया जाए तो माह भर में जमीनी राख 51 हजार 180 टन और उड़ने वाली राख की तादाद दो लाख 4 हजार 960 टन हो जाएगी।
संयंत्र प्रबंधन ने स्वयं ही लिखित तौर पर स्वीकार किया है कि संयंत्र में कोयला ज्वलित बॉयलर ही वायुप्रदूषण का मुख्य कारक होगा। संयंत्र प्रबंधन द्वारा कराए गए परीक्षण में वायू की दिशा उत्तर और उत्तर पूर्व प्राप्त हुई थी। गौरतलब है कि संयंत्र से उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में ही नर्मदा नदी पर बंधे बरगी बांध का जलभराव क्षेत्र है।
इससे साफ हो जाता है कि एक साल में 6 लाख 22 हजार 690 टन जमीनी राख संयंत्र में एकत्र होगी, जिसके भण्डारण की समस्या से संयंत्र प्रबंधन को दो चार होना ही पड़ेगा। इतना ही नहीं इसका सबसे दुखद पहलू तो यह सामने आ रहा है कि उड़ने वाली राख की तादाद 24 लाख 93 हजार 680 टन होगी। यह राख लगभग एक हजार फुट उंची चिमनी से उड़ेगी जो क्षेत्र में कहर बरपाएगी।
इसका सबसे कष्टकारी पहलू यह होगा कि हवा की दिशा बरगी बांध के जलभराव क्षेत्र की ओर होने से कुछ ही माहों में बरगी बांध की तलहटी में यह राख सिल्ट के बतौर जमा हो जाएगी। इसके साथ ही साथ राख से बांध का पानी भी प्रदूषित हुए बिना नहीं रहेगा। अभी इस क्षेत्र में दो और संयंत्र प्रस्तावित हैं, जो भविष्य में कहर बरपाने के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं।
इधर नर्मदा बचाओ आंदोलन ने राज्य सरकार से महेश्वर परियोजना के संबंध में हुए सभी समझौतों को रद्द करने और किसी भी हालत में इस परियोजना की बिजली की खरीदी को मंजूरी नहीं देने की मांॅग की है। संगठन ने इस बारे में अपने वकील के माध्यम से राज्य के मुख्य सचिव अवनि वैश्य, ऊर्जा सचिव मोहम्मद सुलेमान और वित्त सचिव अजय नाथ को कानूनी नोटिस भेजा है। उसने पिछले वर्षों में महेश्वर परियोजनाकर्त्ता को प्रदेश की जनता के धन की कीमत पर अवांछित लाभ देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की मॉंग भी की है।
इस नोटिस में नर्मदा बचाओ आंदोलन ने कहा है कि राज्य सरकार ने दो हजार पॉंच में स्वयं स्वीकार किया था कि परियोजना लाभदायक नहीं रही। लेकिन, इसके बावजूद सरकार द्वारा परियोजना को समर्थन देते रहना राज्य के हितों के खिलाफ है। आज भोपाल में पत्रकारों से चर्चा करते हुए संगठन के आलोक अग्रवाल ने कहा कि शासन को इस नोटिस के जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। उसके बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
एक तरफ तो नर्मदा को बचाने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा महेश्वर में आंदोलन किया जा रहा है, वहीं पुण्य सलिला जीवन दायिनी नर्मदा नदी को अमरकंटक के उपरांत महज कुछ सौ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद ही प्रदूषण की भेंट चढ़ने की तैयारी की जा रही है जिस मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन पूरी तरह मौन ही है। इन परिस्थितियों को देखकर लगने लगा है कि आंदोलन के नेतृत्वकर्ता पूरी तरह से मशहूर उद्योगपति गौतम थापर से सेट होकर उनकी देहरी पर कत्थक कर रहे हैं।
कुल मिलाकर नर्मदा नदी प्रदूषित हो, सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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