मुख्यामंत्री विजय बहुगुणा का राजयोग लम्बा नहीं
आचार्य योगेश्वोरानंद डबराल की भविष्यवाणी
(सी.एस.जोशी)
देहरादून (साई)। ज्योथतिष विद्याओं के जानकारों के अनुसार सितारों की चाल के अनुसार जो योग बनते दिख रहे हैं उसमें उत्ततराखण्डक के मुख्यामंत्री विजय बहुगुणा का राजयोग लम्बाख नहीं है, ज्याहदा से ज्याहदा 6 माह में उन्हेंक मुख्यममंत्री पद त्या गना पड सकता है, दिल्लीह में ज्योततिष विधाओं के मर्मज्ञ तथा हिन्दूत विवि बनारस के पूर्व प्रोफेसर आचार्य योगेश्वीरानंद डबराल जी का कहना है कि विजय बहुगुणा के ग़ह कमजोर पडते जा रहे हैं, जिससे बहुगुणा बहुत डरे हुए हैं, इसके अलावा वह बैशाखी पर सीएम बने हुए हैं, उनका सीएम पद पर राजयोग लम्बा नहीं है, और निश्चिवत तौर पर उन्हेंु उत्त्राखण्डद के मुख्यममंत्री का पद त्याकगना पडेगा, ज्ञात हो कि आचार्य डबराल जी माथा तथा फोटो देखकर काफी कुछ सटीक बताते हैं, बैशाखी से मतलब रोज दिल्लीज दौड तथा हर कार्य में कांग्रेस हाईकमान को बीच में डालने से मतलब है,
इसी तरह की भविष्यडवाणी पशुपतिनाथ काठमांडो के राजगुरू पूज्यापाद लक्ष्मीैनारायण जी ने देहरादून चर्न्द्शेखर जोशी सम्पाथदक के निवास पर भविष्यणवाणी का ऐलान करते हुए कहा कि इसे प्रकाशित कर दो कि मेरी यह भविष्यपवाणी है कि सरकार की मनमानी पर अंकुश लगेगा। जनआंदोलनों ज्यारदा होगे तथा विजय बहुगुणा लम्बेष समय तक उत्तलराखण्डक के मुख्यामंत्री नहीं रह पायेगें। ज्ञात हो कि पूर्व सीएम डा0 रमेश पोखरियाल निशंक के बारे में भी गुरू जी ने सटीक भविष्यतवाणी की थी जिसे मैंने प्रकाशित किया था, इसके अलावा सितम्बेर 2011 में यूपी के सीएम अखिलेश के बारे में मेरे निवास से ही गुरूजी ने भविष्यरवाणी की थी, उस समय मेरे निवास पर लखनऊ से आये अखिलेश के मित्र ने उनकी अखिलेश से बात करायी थी, इसके बाद शपथ लेने के समय से ही अखिलेश ने गुरू जी को याद रखा और उनका सम्मायन किया।
गुरू जी का कहना है कि चंद्रमा मंगल के स्वामित्व वाली राशि वृश्चिक में गोचर हो रहा है तथा उसके साथ राहु की युति से ग्रहण योग बनने के कारण भूंकपन की स्थिति बनी। मंगल वर्तमान में वक्री है तथा अगले दो दिन में सूर्य भी राशि बदलने वाला है। शनि भी वक्री है। दो क्रूर ग्रह वक्री होने से ऐसी स्थिति निर्मित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। आने वाले कुछ दिनों में ऐसे योग अब मई में पुनरू बन सकते हैं। 19 मई 2012 से 25 मई 2012 के बीच भी भूंकपन, तूफान, सुनामी जैसे प्राकृतिक प्रकोप हो सकते हैं।
13 अप्रैल को सूर्य उपासना का ही दुर्लभ योग बना है, क्योंकि 13 से ही सूर्य उपासना की शुभ तिथि सप्तमी में सूर्य राशि बदलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा, जो मेष संक्रांति भी कहलाती है।
इस तरह संक्रांति-सप्तमी के संयोग में शास्त्रों में भी सूर्य पूजा से सफलता, यश व प्रतिष्ठा की कामनासिद्धि के लिए बताया विशेष सूर्य मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ होगा।
13 अप्रैल 2012 को एक अद्भुत ज्योतिषीय योग बन रहा है। इस दिन सूर्य मेष राशि में आ जाएगा। सूर्य की उच्च राशि मेष ही है। इसके साथ ही इस राशि में गुरु पूर्व से ही स्थित है। अब सूर्य और गुरु एक साथ राशि में रहेंगे। इन दोनों ग्रहों के ठीक सामने शनि अपनी उच्च राशि तुला में स्थित है। यह दुर्लभ योग है।
इस प्रकार का योग कई दशकों के बाद बनता है। वैसे तो सूर्य और शनि की ऐसी स्थिति हर 29 साल में बनती है। इससे पहले अप्रैल 1983 में 29 वर्ष पहले ऐसा योग बना था। वर्ष 2012 में इस योग में एक खास बात है कि मेष राशि में गुरु भी स्थित है। अर्थात सूर्य-शनि का उच्च राशि में होना एवं गुरु का सूर्य के साथ शनि पर पूर्ण दृष्टि रखना। यह एक ऐसा दुर्लभ योग है जो सदियों में बनता है।
गुरु मेष राशि में होगा जो उसकी मित्र राशि है, साथ ही सूर्य भी 14 मई 2012 तक इसी राशि में रहेगा। वैसे तो सूर्य-शनि का उच्च का होकर एक दूसरे के सामने होना कई प्राकृतिक एवं मानवीय त्रासदियों का कारण होता है लेकिन यह दुर्लभ योग सभी परेशानियों को कम करने वाला होगा। क्योंकि उच्च के सूर्य के साथ गुरु उच्च के शनि पर दृष्टि रखेगा। शनि वर्तमान में वक्री है। इसके कारण छोटे चक्रवाती तूफान आने की संभावनाएं बनेंगी। प्राकृतिक विपदाएं होने के योग बन सकते हैं। इस योग के प्रभाव से गर्मी प्रचंड रहेगी तथा सुबह-शाम मौसम खुशनुमा रहेगा। सरकार की मनमानी पर अंकुश लगेगा। जनआंदोलनों को सफलता मिलेगी।वहीं दूसरी ओर इस तरह के संयोग बनते जा रहे हैं जिससे उत्ताराखण्डष के मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा के सितारे प्रतिकूल जाने का इशारा करने लगे हैं, परन्तु। अच्छा् मार्गनिर्देशन न हो पाने से उनका ध्यासन इस ओर नहीं जा पा रहा है।
ज्ञात हो कि इस साल का पहला कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण अगले महीने 20 मई, रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को पड रहा है। इस दिन शनि जयंती भी रहेगी। वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। 11 अप्रैल को विनाशकारी भूकंप ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। ज्योतिष के अनुसार इस भूकंप की वजह चंद्र और राहु की युति से बना ग्रहण योग है।
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