दहेज के चक्कर में बंधे कस्टम सुपरडेंट
जयपुर (साई)। बहुओं को दहेज के लिए प्रताडि़त करने वाले कस्टम अधीक्षक संतोष कुमार वर्मा, उनकी पत्नी सुशीला और डॉक्टर बेटे विवेकांशु को महिला थाना (पश्चिम) पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया। कस्टम अधीक्षक की दोनों बहुओं ने 27 मार्च को इनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा केस दर्ज करवाया था।
गौरतलब है कि संतोष और उनकी पत्नी के खिलाफ साले की पत्नी ने भी 2007 में मामला दर्ज कराया था। साले की पत्नी विद्युत विभाग में जेईएन है। संतोष कुमार 30 अप्रेल को सेवानिवृत होने वाले हैं। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार संतोष वर्मा (59) सुशीला वर्मा (55)वैशाली नगर के गंगा सागर कॉलोनी में रहते हैं।
मुख्य आरोपी संतोष कस्टम विभाग जयपुर में कार्यरत है। बेटा डॉ. विवेकांशु वर्मा ब्यावर में कार्यरत है। संतोष का बड़ा बेटा दुष्यंत उर्फ विश्वेंद्र वर्मा फरार है। जिसकी तलाश में पुलिस टीम गुडगांव भेजी गई है। दुष्यंत गुडगांव में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है।
संतोष वर्मा के बड़े बेटे विश्वेंद्र वर्मा की शादी उदयपुर निवासी कीर्ति सोनी के साथ वर्ष 2005 में हुई थी। शादी के बाद से ही सास-ससुर व पति दहेज के लिए प्रताड़ना देने लगे। कीर्ति ने वर्ष 2008 में उदयपुर के एक नर्सिग होम में बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म के बाद कीर्ति को घर से निकाल दिया। इसके बाद संतोष कुमार छोटे बेटे की शादी के समय कीर्ति को पीहर से वापस अपने घर ले आए।
उधर, कस्टम अधीक्षक संतोष ने समाचार एजेंसी आॅफ इंडिया को बताया कि उसने दहेज के लिए प्रताडि़त नहीं करने की बात कही। छोटे बेटे की शादी के बाद कीर्ति को दहेज के लिए प्रताडि़त कर वापस घर से निकाल दिया गया। तब कीर्ति अपनी बेटी को लेकर पीहर उदयपुर चली गई। इसके बाद महिला थाने में ससुर संतोष कुमार, साफ्टवेयर इंजीनियर पति व सास के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया।
संतोष कुमार वर्मा के छोटे बेटे डॉ. विवेकांशु की शादी 2010 में झोटवाड़ा निवासी निधि सोनी के साथ हुई। छोटी बहु के साथ भी सास-ससुर व पति र्दुव्घ्यवहार करने लगे। दहेज कम लाने के लिए शादी के एक सप्ताह बाद से ही प्रताड़ना देने लगे। निधि के परिजनों से प्लॉट खरीदने के लिए 50 लाख रुपए देने की मांग करने लगे।इसके बाद शादी के कुछ माह बाद ही निधि को भी घर से निकाल दिया। इसके बाद से वह अपने पीहर में रहने लगी। निधि ने भी कीर्ति के साथ महिला थाने में मामला दर्ज कराया था।
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न्यायालय दहेज आदेश
अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ दर्ज करें मामला
घर का सामान पुत्रवधू को जबरन दिलाने के मामले को अदालत ने गंभीर माना
जयपुर 2 जून 2013: राजस्थान में जयपुर महानगर की अदालत ने दहेज प्रकरण में पुलिस द्वारा बरामदगी नहीं होने के बावजूद दबाव में घर का सामान लड़की वालों को दिलाने के मामले को गंभीर मानते हुए दोषी पुलिस अधिकारी श्रीमती कुसुमलता मीणा के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं |
महानगर मजिस्ट्रेट श्री राकेश रामावत ने संतोष कुमार वर्मा के प्रार्थना पत्र पर जबरन दिलाये गए सामन को अदालत में पेश करने के भी निर्देश दिए हैं |
श्री वर्मा ने अदालत को बताया था कि निधि सोनी के परिवाद पर मुझे व मेरी पत्नि तथा पुत्र को बिना पूर्व नोटिस व सूचना के प्रात: 5 बजे दिनांक 15.04.2012 को पुलिस दल ने गिरफ्तार किया तथा दहेज का सामान दिलाने के लिए दबाव डाला | पुलिस ने घर एवं बैंक लोकर कि तलाशी ली, लेकिन दहेज का सामान नहीं मिला |
इसके बाद पुलिस ने रिश्तेदारों पर दबाव डाला कि घर का सामान लाकर दो, तभी गिरफ्तार व्यक्तियों कि जमानत होगी | इस पर कुछ सामान बाजार से तथा कुछ घर से लेकर पुलिस को दिया गया | पुलिस ने सारा सामान पीडिता को दे दिया, लेकिन जप्ती की कार्यवाही नहीं कि गई |
जमानत मिलने के बाद श्री वर्मा ने अदालत से पुलिस के दुराचरण कि शिकायत करते हुए अपना सामान वापिस लेने का आग्रह किया | इस पर अदालत ने जबरन दिलाया गया सामान अदालत में पेश करने का आदेश दिया | अदालत ने जांच अधिकारी कुसुमलता मीणा के खिलाफ अपराधिक मुकदमा व विभागीय जांच के आदेश दिए हैं और सुनवाई कि तिथि दिनांक 17.6.2013 नियत की है |
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