एकजुट हुए आदिवासी
(एन.के.श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)। गांेडवाना भवन में आदिवासियों के साथ हुए लाठी चार्ज को लेकर अभी भी आदिवासी समुदाय में रोष और असंतोष बना हुआ है। राजधानी में आदिवासियों पर हुए लाठी चार्ज का गुस्सा खत्म नहीं हुआ है। शनिवार को गोंडवाना भवन में संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर को पुष्पांजलि देने एकत्र हुए सर्व आदिवासी समाज ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि वे नेताओं की गिरफ्तारी होने पर जमानत नहीं लेंगे।
सांसद नंद कुमार साय ने तो मांग की कि आदिवासियों के धर्मस्थल गोंडवाना भवन में घुसकर लाठी चलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। श्री साय ने कहा कि जिस तरह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर सिखों का पवित्र स्थल है उसी तरह छत्तीसगढ़ में गोंडवाना भवन आदिवासियों के पवित्र धर्मस्थल है।
यहां घुसकर पुलिस द्वारा लाठी बरसाना निंदनीय है। स्वर्ण मंदिर में सेना के घुसने पर कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। बड़ा खून-खराबा हुआ था। गोंडवाना भवन के दोषियों पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि लाठी चार्ज के दिन समाज के जिन 273 नेताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत 12 धाराएं लगाई गई हैं, यदि उन नेताओं की गिरफ्तारी होती है तो कोई भी जमानत नहीं कराएगा। बैठक में इस बात की निंदा की गई कि जेल डालने के बाद भी आदिवासियों पर गंभीर धाराएं लगाई गईं।
पुलिस ने उन नेताओं को भी मुजरिम बना दिया जो समाज के लिए सक्रिय रहते हैं, लेकिन जो प्रदर्शन में शामिल नहीं थे। वक्ताओं ने कहा कि पुलिस ने बल प्रयोग के तरीके आदिवासियों को आजमाए केवल गोली चलाने को छोड़कर। आदिवासियों पर हथियार रखने व नक्सली होने जैसे फर्जी आरोप मढ़ने की निंदा की गई।
चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर गिरधारीलाल भगत ने दलितों पर अत्याचार का इतिहास बताया। उन्होंने कहा कि सन् 900 से दलितों पर अत्याचार व शोषण हो रहा है। लाठी चार्ज की घटना की न्यायिक जांच की मांग की गई। पदाधिकारियों ने आशंका जताई कि हाईकोर्ट में देर से केविएट दाखिल करने की वजह से 32 प्रतिशत आरक्षण खटाई में पड़ गया है।
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